Bihar Election: राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण विजेता श्रेयसी के लिये आसान नहीं है चुनावी समर में निशाना लगाना, जानें क्षेत्र का सियासी समीकरण

By भाषा | Published: October 21, 2020 02:58 PM2020-10-21T14:58:21+5:302020-10-21T14:58:21+5:30

श्रेयसी सिंह ने कहा है कि वह बिहार में खेल को प्रतिस्पर्धी और पेशेवर बनाने के लिये खेल प्राधिकरण स्थापित करना चाहती हैं। वहीं, मतदाता सूची के अनुसार 2019 में इस सीट पर 2,91,056 मतदाता हैं।

Gold winner in Commonwealth Games is not easy for Shreyasi, target in election summer, know the political equation of the region | Bihar Election: राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण विजेता श्रेयसी के लिये आसान नहीं है चुनावी समर में निशाना लगाना, जानें क्षेत्र का सियासी समीकरण

श्रेयसी सिंह (फाइल फोटो)

Highlightsजमुई सीट पर दो महिला उम्मीदवार हैं जिसमें प्रमुख श्रेयसी सिंह को चिराग पासवान का भी समर्थन प्राप्त है।चिराग पासवान ने श्रेयसी को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें अपनी छोटी बहन की तरह बताया है।पिछली बार इस सीट पर दूसरे स्थान पर रहे अजय प्रताप इस बार भाजपा से बागी होकर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।

जमुईश्रेयसी सिंह ने साल 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में शूटिंग में भले ही सटीक निशाना लगाकर स्वर्ण पदक जीता हो लेकिन उनके लिये चुनावी समर में जीत हासिल करना इतना आसान नहीं होगा। बिहार की जमुई सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उम्मीदवार श्रेयसी सिंह का मुकाबला पूर्व मंत्री एवं राजद के कद्दावर उम्मीदवार विजय प्रकाश से है।

जमुई सीट पर पहले चरण के चुनाव में 28 अक्टूबर को मतदान होना है शूटिंग में दुनियाभर में नाम कमाने वाली श्रेयसी हाल ही में भाजपा में शामिल हुई थी और पार्टी ने उन्हें जमुई से अपना प्रत्याशी बनाया। 29 वर्षीया सिंह पूर्व मंत्री और बिहार के दिग्गज नेता दिवंगत दिग्विजय सिंह की पुत्री हैं और पहली बार चुनावी राजनीति में उतरी हैं।

जमुई सीट कई कारणों से हाईप्रोफाइल सीट के रूप में चर्चित है। इसमें एक कारण यह है कि शूटिंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली श्रेयसी सिंह यहां से चुनाव लड़ रही हैं जो जमुई संसदीय क्षेत्र में आता है और जहां से लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान सांसद हैं। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग हो गई है और उन्होंने नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता मानने से इनकार कर दिया है।

जमुई में मुकाबला बहुकोणीय है। भाजपा से श्रेयसी सिंह के सामने राजद के विजय प्रकाश है। वहीं भाजपा के बागी अजय प्रताप राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। चुनाव में कुछ निर्दलीय भी दावेदारी पेश कर रहे हैं । इस सीट के सामाजिक समीकरण पर नजर डालें तो यहां राजपूत और यादव मतदाता समान संख्या में हैं। इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 2.91 लाख से अधिक है।

श्रेयसी सिंह राजपूत समुदाय से आती हैं और उनके मुख्य प्रतिद्वन्द्वी विजय प्रकाश का संबंध लालू प्रसाद के मजबूत समर्थक माने जाने वाले यादव समुदाय से है। जमुई में मुस्लिम, पासवान सहित दलित समुदाय, अति पिछड़े और भूमिहार तथा ब्राह्मण मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है।

विजय प्रकाश जमुई सीट से वर्तमान विधायक हैं और लालू प्रसाद के करीबी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकश नारायण यादव के भाई हैं। पिछली बार इस सीट पर दूसरे स्थान पर रहे अजय प्रताप इस बार भाजपा से बागी होकर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा की तरफ से मैदान में हैं। अजय पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे हैं । इस कारण राजपूत मतों में विभाजन की आशंका जतायी जा रही है। विजय प्रकाश और अजय प्रताप अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन यहां सबसे अधिक चर्चा श्रेयसी सिंह की ही है।

श्रेयसी सिंह के पक्ष में कई कारक काम कर रहे हैं, जिसमें उनका खेल जगत में चर्चित नाम और युवा चेहरा होना प्रमुख है। जमुई सीट पर दो महिला उम्मीदवार हैं जिसमें प्रमुख श्रेयसी सिंह हैं। उन्हें चिराग पासवान का समर्थन प्राप्त हैं, उनकी लोक जनशक्ति पार्टी ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। चिराग ने श्रेयसी को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें अपनी छोटी बहन की तरह बताया और लोजपा कार्यकर्ताओं से उनका समर्थन करने की अपील की।

जमुई में पासवान समुदाय की आबादी 35 हजार से अधिक है। इसके अलावा इस सीट पर दलित मुसहर समुदाय की संख्या करीब 20 हजार है, जिनका झुकाव जीतन राम मांझी की ओर है। मांझी की पार्टी अभी राजग में सहयोगी दल है। दलित और अन्य गरीब तबकों को इस क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर ‘पचपुनिया’ के रूप में जाना जाता है और यह वर्ग श्रेयसी का समर्थन कर रहा है क्योंकि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं।

नौकाडीह गांव के मतलू राजक ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसी भी व्यक्ति का हम समर्थन करेंगे। ’’ बिथलपुर गांव के अरविंद ठाकुर ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किये। वहीं यादव समुदाय से कई महिलाओं ने श्रेयसी का समर्थन करने की बात कही। लथाने गांव की रेणु यादव ने कहा, ‘‘ हमारे परिवार के पुरुष यादव समुदाय के पुरुष को वोट दें, हम महिलाएं बहन श्रेयसी को वोट देंगी। ’’ वहीं, राजद उम्मीदवर विजय प्रकाश को ‘एम वाई’ (मुस्लिम .यादव) समीकरण पर भरोसा है, जो लालू प्रसाद की पार्टी राजद का शुरू से जीत का ‘फार्मूला’ रहा है ।

विजय के लिये हालांकि कठिनाई यह है कि इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मुस्लिम समुदाय से एक व्यक्ति को खड़ा किया गया है, जो अल्पसंख्यक मतों का विभाजन कर सकता है। विजय प्रकाश ने इस सीट पर 2005 में जीत दर्ज की थी, हालांकि 2010 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। स्थानीय लोगों का कहना है, ‘‘जमुई का समुचित विकास नहीं हुआ, यहां कोई औद्योगिक इकाई नहीं है, खेती के लिये सिंचाई की समस्या है, स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और आजीविका के लिये लोग पलायन को मजबूर हैं।’’

जमुई के कचहरी चौक पर युवाओं के समूह प्रतिदिन देश, विदेश और प्रदेश के विषयों पर चर्चा करते हैं। इस समूह में शामिल युवा नवीन राज का कहना है कि पिछले वर्षो में सड़क, बिजली के क्षेत्र में काम हुआ है लेकिन शिक्षा और आजीविका के लिये पलायन इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या है। सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र के दीपाकरहर गांव के दीपांकर का कहना है कि इस क्षेत्र में अपर किऊल जलाशय परियोजना के तहत गरही बांध है लेकिन इसके बावजूद किसानों की सिंचाई संबंधी समस्याएं वैसी ही बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, जमुई में एक भी उद्योग नहीं है, ऐसे में लोग शिक्षा और आजीविका के लिये पलायन करने को मजबूर हैं। ’’ श्रेयसी सिंह भी मानती है कि पलायन इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने ‘भाषा’ से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का चेहरा बनकर बिहार के लोगों का आजीविका के लिए पलायन रोकने के लिये काम करना चाहती हैं, ताकि प्रदेश के लोग अपने परिवार के साथ यहीं गरिमामय जीवन जी सकें।

वहीं, राजद उम्मीदवार एवं वर्तमान विधायक विजय प्रकाश ने कहा कि युवा रोजगार मांग रहा है लेकिन यह सरकार केवल सब्जबाग दिखा रही है। साथ ही उन्होंने सत्तारूढ़ राजग नेताओं को बेरोजगारी के मुद्दे पर बहस की चुनौती दी।

श्रेयसी ने यह भी कहा कि वह बिहार में खेल को प्रतिस्पर्धी और पेशेवर बनाने के लिये खेल प्राधिकरण स्थापित करना चाहती हैं । मतदाता सूची के अनुसार 2019 में इस सीट पर 2,91,056 मतदाता हैं। यहां 2019 के लोकसभा चुनाव में 56.6 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि 2015 में 56.5 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। कोविड-19 के कारण मतदान प्रतिशत कम होने की आशंका है। वहीं कई मतदाताओं का कहना है कि वे सभी तरह की एहतियात बरतते हुए वोट डालने जायेंगे। 

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