गोवा सीएम प्रमोद सावंत ने फ्लोर टेस्ट में हासिल किया बहुमत, दूसरे दलों के 9 विधायकों ने किया BJP का समर्थन
By पल्लवी कुमारी | Published: March 20, 2019 01:39 PM2019-03-20T13:39:52+5:302019-03-20T13:39:52+5:30
गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा की वास्तविक संख्या घटकर 36 रह गयी है क्योंकि मनोहर पर्रिकर और बीजेपी विधायक फ्रांसिस डिसूजा का निधन हो गया। इसके अलावा कांग्रेस के दो विधायकों सुभाष शिरोडकर एवं दयानन्द सोप्ते ने त्यागपत्र दे दिया था।
गोवा में सरकार बनाने के लिए मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट पास कर लिया है। गोवा की तत्कालीन सदन की संख्या 36 है, जिसमें से बहुमत साबित करने के लिए 19 वोट चाहिए थे। फ्लोर टेस्ट के वक्त गोवा सीएम प्रमोद सावंत को 20 विधायकों का समर्थन मिला। जबकि 15 विधायको ने विपक्ष में वोट दिए। जिसमें से 14 कांग्रेस के थे और एक एनसीपी के विधायक थे।
प्रमोद सावंत के नेतृत्व में बीजेपी को मिले बहुमत में 11 विधायक बीजेपी के थे और तीन महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के थे। तीन वोट निर्दलीय विधायक के थे।तीन वोट गोवा फॉरवर्ड पार्टी (GFP) के थे। प्रमोद सावंत ने 11 मंत्रियों के साथ सोमवार को देर रात 2 बजे शपथ ली थी।
गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा की वास्तविक संख्या घटकर 36 रह गयी है क्योंकि मनोहर पर्रिकर और बीजेपी विधायक फ्रांसिस डिसूजा का निधन हो गया। इसके अलावा कांग्रेस के दो विधायकों सुभाष शिरोडकर एवं दयानन्द सोप्ते ने त्यागपत्र दे दिया था।
20 MLAs voted for the motion (11 BJP, 3 Maharashtrawadi Gomantak Party, 3 Goa Forward Party, and 3 Independents) and 15 MLAs voted against the motion (14 Congress and 1 NCP) in the Goa assembly. https://t.co/tycar2i7KQ
— ANI (@ANI) March 20, 2019
गोवा में 36 सीटों का समीकरण
बीजेपी के 12 विधायक, महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी के तीन विधायक, गोवा फॉरवर्ड पार्टी के तीन विघायक, निर्दलीय के तीन विधायक, कांग्रेस के 14 विधायक, एनसीपी के एक विधायक। बहुमत के लिए 19 विधायक।
अमित शाह और केन्द्रीय मंत्री नितिन बने संकटमोचन: सूत्र
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद राज्य में सत्ता बीजेपी के पास ही बरकरार है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी की सरकार बीजेपी के पास ही रहे इसके लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पर्दे के पीछे काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इससे जुड़े घटनाक्रमों से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
पार्टी सूत्रों ने मंगलवार को बताया था कि सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध दोनों वरिष्ठ नेताओं द्वारा चतुराई से स्थितियों से निबटने के कारण दूर हुआ। सहयोगी दलों द्वारा अपनी मांगों पर अड़े होने के कारण यह गतिरोध बना था।
राज्य विधानसभा के 2017 में हुए चुनाव के बाद भी जब बीजेपी को बहुमत नहीं मिला था तो गडकरी यहां आए थे। उन्होंने छोटे दलों से बातचीत कर उन्हें मनाया और समर्थन देने के लिए राजी करवाया। इसके बाद ही पर्रिकर के नेतृत्व में भाजपा नीत गठबंधन सरकार बनी थी।