दुनिया में गाजियाबाद सबसे प्रदूषित शहर, दिल्ली 5वें स्थान पर, विश्व के 30 शहरों में भारत के 21, नई रिपोर्ट से खुलासा
By भाषा | Published: February 25, 2020 07:48 PM2020-02-25T19:48:56+5:302020-02-25T19:48:56+5:30
विश्व के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार 21 भारतीय शहरों में क्रम से गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, बंधवारी, लखनऊ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बागपत, जींद, फरीदाबाद, कोरोत, भिवाड़ी, पटना, पलवल, मुजफ्फरपुर, हिसार, कुटेल, जोधपुर और मुरादाबाद हैं।
वर्ष 2019 में दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी शहरों की कुख्यात सूची में दिल्ली शीर्ष स्थान पर है। एक नई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि विश्व के 30 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 21 भारत के हैं।
‘आईक्यूएयर एयर विजुअल’ द्वारा तैयार 2019 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में गाजियाबाद सबसे प्रदूषित शहर है। इसके बाद चीन में होतन, पाकिस्तान में गुजरांवाला और फैसलाबाद और फिर दिल्ली का नाम है।
विश्व के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार 21 भारतीय शहरों में क्रम से गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, बंधवारी, लखनऊ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बागपत, जींद, फरीदाबाद, कोरोत, भिवाड़ी, पटना, पलवल, मुजफ्फरपुर, हिसार, कुटेल, जोधपुर और मुरादाबाद हैं।
देशों के आधार पर आंकड़ों के मुताबिक, सूची में बांग्लादेश शीर्ष पर, इसके बाद पाकिस्तान, मंगोलिया और अफगानिस्तान तथा पांचवें नंबर पर भारत है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय शहरों ने पिछले वर्षों में सुधार किया है।
आईक्यूएयर के सीईओ फ्रैंक हेम्स ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना वायरस सुर्खियों में है लेकिन वायु प्रदूषण हर साल 70 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। दुनिया के बड़े हिस्से में वायु गुणवत्ता आंकड़े में अंतर एक गंभीर समस्या है क्योंकि जिसे नहीं मापा जाता है उसे प्रबंधित नहीं किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में वायु गुणवत्ता की जानकारी नहीं है, वहां दुनिया का सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होने की आशंका है, ऐसे में बड़ी आबादी को खतरा है। वैश्विक स्तर पर निगरानी आंकड़ा बढ़ने से नागरिकों को सशक्त करने का मौका मिलेगा और सरकार वायु गुणवत्ता बेहतर करने के लिए बेहतर नीतिगत फैसला ले सकेंगी।
रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ग्रीनपीस इंडिया में सीनियर कैंपेनर अविनाश चंचल ने कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित किए जाने के लिए उठाए जाने वाले कदम पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नयी रिपोर्ट और पिछले साल जारी रिपोर्ट से उन रुझानों का पता चलता है कि घरेलू और कृषि स्तर पर जैव ईंधन का प्रयोग घटा है लेकिन जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल अभी भी बहुत है।