आर्थिक आधार पर आरक्षण का बिल लोकसभा में पास, विपक्ष में महज 3 वोट, जानें किसने क्या-क्या कहा?
By रामदीप मिश्रा | Published: January 8, 2019 01:07 PM2019-01-08T13:07:31+5:302019-01-08T22:39:02+5:30
देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए लोकसभा चुनावों से पहले गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने की मंजूरी दे दी।
लोकसभा में 10% आर्थिक आधार पर सवर्णो के आरक्षण का बिल पारित हो गया है। आरक्षण के लिए लाए गए 124वें संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने बहुमत के साथ पारित किया। बिल में सभी संशोधनों को बहुमत से मंजूरी दे दी गई।,इस विधेयक के समर्थन में 323 वोट पड़े, जबकि महज 3 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। कुल 326 सांसदों ने मतदान किया था। इससे पहले विधेयक का किसी भी दल ने सीधे तौर पर विरोध तो नहीं किया, लेकिन सरकार की नीति और नीयत को लेकर कई सवाल जरूर खड़े किए।
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लोकसभा की कार्यवाही का अपडेट...
- लोकसभा में आर्थिक आधार पर आरक्षण का बिल पारित हो गया है। 323 वोट पक्ष में पड़े और विपक्ष में 3 वोट पड़े।
Lok Sabha passes Constitution (124 Amendment) Bill, 2019 with 323 'ayes'. The bill will provide reservation for economically weaker section of the society in higher educational institutions pic.twitter.com/mzsHxQoUva
— ANI (@ANI) January 8, 2019
- आरएलएसपी उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, आरक्षण रहने से ही केवल नौकरी नहीं मिलती, आरक्षण से आर्थिक समृद्धि नहीं आती है।
-थावरचंद गहलोत ने कहा, पहले जो भी आरक्षण का कोटा बढ़ाने के लिए प्रस्ताव आया था, वह संवैधानिक प्रावधान के बगैर आए थे। इसलिए कई ऐसे मामलों में कोर्ट ने आदेश को निरस्त किया था। पीएम मोदी की नीति और नीयत अच्छी है।
- केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा, हम बिल देर से जरूर लेकर लाएं हैं, लेकिन इसे अच्छी नीयत से आएं हैं, इसे सदन के लोग समर्थन दें।
- असुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल संविधान के साथ धोखा है।
- उन्होंने कहा कि यह बिल आंबेडकर का अपमान है।
- ओवैसी ने कहा कि सवर्ण आरक्षण बिल का विरोध किया।
- अनुप्रिया पटेल ने कहा कि इस बिल से बडे तबके को फायदा होगा।
- लोकसभा में सवर्ण आरक्षण बिल पर अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल ने सवाल किया।
- आरक्षण से बेरोजगारी नहीं खत्म हो सकती है।
-उन्होंने कहा कि जो सरकारी स्कूल में पढ़े हों उन्हें आरक्षण का लाभ मिले
- उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरक्षण का मतलब है कि लोगों की मानसिकता पर असल डालता है।
- उपेंद्र कुशवाहा ने सवर्ण आरक्षण का समर्थन किया है।
- भगवंत मान ने सवाल किया कि सवर्ण आरक्षण बिल सत्र के पहले बुलाया होता अंत में क्यों किया।
- भगवंत मान ने कहा कि भारतीय जुमला पार्टी है।
- भगवंत मान ने कहा- मोदी सरकार एससी-एसटी लाना चाहती है।
- सवर्ण आरक्षण पर आरेडी ने विरोध किया। जेपी नारायण ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले शिकारी की तरह जाल बिछाया है।
- लोकसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि आबादी के आधार पर आरक्षण दिया जाए।
- सवर्ण आरक्षण पर रामविलास पासवान ने कहा कि ऊंची जाति के गरीबों के लिए आरक्षण सही है।
- पासवान ने कहा कि 10 फीसदी आरक्षण के फैसले से खुशी है।
- रामविलास पासवान ने कहा कि मोदी सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' की ओर अग्रसर है।
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M Thambidurai, AIADMK in Lok Sabha: Have govt schemes for the poor failed? There are enough schemes. This reservation bill which you are bringing will be struck down by the Supreme Court pic.twitter.com/zEfmY7EXxW
— ANI (@ANI) January 8, 2019
- अरुण जेटली ने कहा कि मेनूफेस्टो में जो लिखा है उसका समर्थन कीजिए। समर्थन के साथ शिकवा और शिकायत न करें।
- अरुण जेटली ने कांग्रेस का साल 2014 का घोषणात्र पढ़ा।
- जेटली ने कहा कि गरीबों को आरक्षण दिया जा रहा है, कम्यूनिस्ट इसका भी विरोध कर रहे हैं।
- सवर्ण आरक्षण बिल पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पिछली सरकार ने सही कोशिश नहीं की थी।
- जेटली ने कहा कि सभी दल के अपने घोषणा पत्र में अनारक्षित आरक्षण की बात की थी।
- निजी संस्थानों पर भी आरक्षण का प्रस्ताव।
- हर धर्म के सामान्य वर्ग गरीबों को आरक्षण का लाभ होगा।
- मुसमान, ईसाईयों को भी 10 फीसदी का आरक्षण मिलेगा।
- SC-ST और ओबीसी के आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं हुआ है।
- थावरचंद गहलोत ने कहा कि आरक्षण बिल से बड़े वर्ग को फायदा होगा।
आपको बता दें कि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर मंगलवार को संसद में मौजूद रहने को कहा था। यही नहीं विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सांसदों से मौजूदगी के लिए कहा है। भाजपा नीत राजग सरकार शिक्षा एवं नौकरियों में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान लागू करने से जुड़ा विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। इसे पारित करने के लिए दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है।
भाजपा के समर्थन का आधार मानी जाने वाली अगड़ी जातियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके गरीब तबकों को आरक्षण दिया जाए। केंद्र सरकार के फैसले पर मंगलवार को लोकसभा में गहन चर्चा देखने को मिल सकती है।
अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में करने होंगे संशोधन
प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को मिल रहे आरक्षण की 50 फीसदी सीमा के अतिरिक्त होगा, यानी ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’’ तबकों के लिए आरक्षण लागू हो जाने पर यह आंकड़ा बढकर 60 फीसदी हो जाएगा।
इस प्रस्ताव पर अमल के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित कराने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में जरूरी संशोधन करने होंगे।
एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विधेयक एक बार पारित हो जाने पर संविधान में संशोधन हो जाएगा और फिर सामान्य वर्गों के गरीबों को शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण मिल सकेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक मौलिक अधिकारों के प्रावधानों के तहत अगड़ी जातियों के लिए आश्रय प्रदान करेगा। आरक्षण पर अधिकतम 50 फीसदी की सीमा तय करने का न्यायालय का फैसला संविधान में संशोधन का संसद का अधिकार नहीं छीन सकता।’