मध्य प्रदेश में ही चीता का दूसरा घर होगा गांधी सागर अभ्यारण्य, 2024 में लाए जाएंगे यहां चीता

By बृजेश परमार | Published: January 27, 2023 11:13 PM2023-01-27T23:13:10+5:302023-01-27T23:13:10+5:30

अब चीता का दुसरा घर प्रदेश के उज्जैन संभाग के मंदसौर जिला के गांधी सागर वन अभ्यारण्य में चीता का घर बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

Gandhi Sagar Sanctuary will be the second home of Cheetah in Madhya Pradesh itself, Cheetah will be brought here in 2024 | मध्य प्रदेश में ही चीता का दूसरा घर होगा गांधी सागर अभ्यारण्य, 2024 में लाए जाएंगे यहां चीता

मध्य प्रदेश में ही चीता का दूसरा घर होगा गांधी सागर अभ्यारण्य, 2024 में लाए जाएंगे यहां चीता

Highlightsमंदसौर जिला के गांधी सागर वन अभ्यारण्य में चीता का घर बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई हैमंदसौर एवं नीमच जिला अंतर्गत आने वाला गांधी सागर वन अभ्यारण्य 368.62 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ हैयहां तेंदुआ, चिंकारा, नीलगाय सहित अन्य वन्य जीव पहले से मौजूद हैं

उज्जैन: देश में मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय पार्क में चीता को लाने और उन्हें पूरी तरह वहां बसाने के बाद मध्यप्रदेश का वन विभाग उत्साहित है। अब चीता का दुसरा घर प्रदेश के उज्जैन संभाग के मंदसौर जिला के गांधी सागर वन अभ्यारण्य में चीता का घर बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। चीता के शिकार के लिए यहां 266 चीतल लाए जा चुके हैं। करीब एक वर्ष उपरांत यानि 2024 में यहां चीता लाने के लिए इस अभ्यारण्य को तैयार किया जा रहा है जिसे चीता के लिए अनुकुल पाया गया है।

मंदसौर एवं नीमच जिला अंतर्गत आने वाला गांधी सागर वन अभ्यारण्य 368.62 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां तेंदुआ, चिंकारा, नीलगाय सहित अन्य वन्य जीव पहले से मौजूद हैं। राजस्थान की बार्डर से यह लगा हुआ है। हाल ही में कुछ माह पूर्व यहां 266 चीतलों को लाया गया है, जिनकी ग्रोथ भी शुरू हो चुकी है। यहां पर्याप्त चराई भूमि (ग्रास लेंड ) होने से शाकाहरी वन्य जीवों की अच्छी संख्या है।

साथ ही वन अभ्यारण्य में अच्छा खासा मैदानी भाग भी है जो कि चीता के शिकार और उसकी ग्रोथ में सहायक होगा। अभ्यारण्य अधीक्षक एवं अनुविभागीय अधिकारी वन प्रकाश माहौरे बताते हैं कि चीता लाने से पहले  हमें उनकी सुरक्षा और उनके भोजन को लेकर तैयारी कर रहे हैं। 266 चीतल हम ला चुके हैं। उनकी निरंतर ग्रोथ हो रही है। 

सुरक्षा के लिए अभ्यारण्य की काफी हद तक दीवार बना दी गई है। यहां ग्रास लैंड का बेहतर प्रबंधन होने से अभ्यारण्य से लगे दोनों जिलों के करीब 12 गांव चिन्हित हैं जिनके मवेशी यहां आ जाते हैं। प्रतिबंधित क्षेत्र होने से मवेशी एवं मालिकों पर बराबर कार्रवाई की जा रही है। अभ्यारण्य की पूरी भूमि मध्यप्रदेश की ही है। 

अभ्यारण्य की भूमि पर किसी प्रकार का कोई अतिक्रमण नहीं है। मंदसौर डीएफओ आदेश श्रीवास्तव बताते हैं कि चीता संरक्षण एवं संवर्धन के अगले चरण के लिए अभ्यारण्य में तैयारी की जा रही है। पिछले एक-डेढ वर्ष में राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के वन अधिकारियों एवं वन्य जीव विशेषज्ञ यहां आकर अभ्यारण्य को चीता की अनुकुलता के लिए देख चुके हैं।

दक्षिण अफ्रीका से आई टीम ने भी इसे अनुकुल पाया था। अभ्यारण्य की अनुकुलता को लेकर सर्वे भी हो चुका है। यह अनुकुल क्षेत्र पाया गया है। फरवरी से हम धरातल की तैयारियों को अमली जामा पहनाने की शुरूआत कर रहे हैं। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्य जीव जे एस चौहान के अनुसार हमें तैयारी के लिए करीब एक वर्ष लग सकता है।

यह सही है कि वर्ष 2024 में उज्जैन संभाग के मंदसौर के गांधी सागर अभ्यारण्य में चीता को बसाने की तैयारी है। अभी चीता की संख्या तय नहीं की गई है। अभ्यारण्य में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। 

Web Title: Gandhi Sagar Sanctuary will be the second home of Cheetah in Madhya Pradesh itself, Cheetah will be brought here in 2024

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