निर्मला सीतारमण ने कहा- बैंकों के लिए मनमोहन सिंह और रघुराम राजन का दौर सबसे खराब था
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: October 16, 2019 02:17 PM2019-10-16T14:17:12+5:302019-10-16T14:19:36+5:30
सीतारमण ने कहा कि यह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का दौर था जब नेताओं की मिलीभगत के चलते केवल एक फोन कॉल पर बैंक लोन दिए जाते थे और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आज तक उससे प्रभावित हैं और बीमारी से निकालने के लिए सरकार के इक्विटी उपाय पर निर्भर हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार (15 अक्टूबर) को कोलंबिया विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय और सार्वजनिक मामलों के स्कूल में एक व्याख्यान देते हुए कहा कि सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को "जीवन रेखा" देना आज उसका प्राथमिक कर्तव्य है। इसी के साथ उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को घेरा।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वित्त मंत्री ने कोलंबिया विश्वविद्यालय के भारतीय आर्थिक नीतियों पर दीपक और नीरा राज केंद्र द्वारा आयोजित व्याख्यान में कहा, ''मुझे प्रतिक्रिया देने में एक मिनट लग रहा है.. मैं रघुराम राजन का एक महान विद्वान के तौर पर सम्मान तो करती हूं जिन्होंने भारत में केंद्रीय बैंक के लिए उस वक्त काम करना चुना जब भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में थी।
रघुराम राजन ने हाल में ब्राउन विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अपने पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था पर बेहतर काम नहीं किया था क्योंकि सरकार बहुत ज्यादा केंद्रीकृत थी और नेतृत्व के अनुरूप प्रतीत नहीं होती थी।
राजन के इस व्याख्यान के बारे में जब सीतारमण से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस सब के उलट राजन के आरबीआई गवर्नर रहते हुए बैंक के साथ ऋण संबंधी बड़ी समस्या थीं।
उन्होंने कहा कि यह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का दौर था जब नेताओं की मिलीभगत के चलते केवल एक फोन कॉल पर बैंक लोन दिए जाते थे और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आज तक उससे प्रभावित हैं और बीमारी से निकालने के लिए सरकार के इक्विटी उपाय पर निर्भर हैं।
लोगों की हसीठट्टे के दौरान उन्होंने कहा, ''डॉक्टर सिंह प्रधानमंत्री थे और मैं पक्के तौर पर कह सकती हूं कि राजन भी सहमत होंगे कि डॉक्टर सिंह भारत के लिए एक सुसंगत स्पष्ट दृष्टि रखते होंगे।
पूरे सम्मान के साथ मैं कहती हूं, मैं किसी का मजाक नहीं बना रही लेकिन मैं लेकिन मैं निश्चित रूप से इस टिप्पणी के लिए इस बात को आगे रखना चाहती हूं जो इस तरह से आई है।
मेरे पास संदेह करने की कोई वजह नही हैं कि राजन क्या कह रहे हैं और हर शब्द के लिए क्या महसूस करते हैं। और मैं आज यहां हूं उन्हें उनका सम्मान देते हुए लेकिन आपके सामने वे तथ्य भी रख रही हूं जो बताते हैं कि भारतीय सावर्जनिक बैंकों ने राजन और महमोहन सिंह के संयोजन वाले दौर से बुरा दौर नहीं देखा। एक ऐसा दौर जिसके बारे में हम में से कोई नहीं जानता था।''
सीतारमण ने कहा, ''मैं आभारी हूं कि राजन ने परिसंपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा की लेकिन मुझे खेद है, क्या हम सभी एक साथ यह भी सोच सकते हैं कि आज हमारे बैंकों का कौन सा रोग है, यह कहां से विरासत में मिला है।''
इसके अलावा बैंक और भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर वित्त मंत्री ने और भी कई बातें कहीं।