बिहार में बाढ़ का कहर, तेजस्वी यादव और पूर्व CM राबड़ी देवी ने दागे नीतीश सरकार के दावों पर सवाल
By एस पी सिन्हा | Published: July 14, 2019 04:48 PM2019-07-14T16:48:53+5:302019-07-14T16:49:37+5:30
तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि बिहार के 15 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. उत्तर बिहार की नदियाँ खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं. जान, माल, फसल, मवेशी का लगातार नुकसान हो रहा है. पर आत्ममुग्ध सरकार व बेपरवाह प्रशासन मदमस्त है.
बिहार में शुरू हुए बाढ़ के कहर के बीच विपक्ष ने सरकार के दावों और हकीकत पर सवाल उठाए हैं. साथ ही अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को हमेशा तैयार रहने की भी निर्देश दिया है. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर नीतीश कुमार से सवाल पूछे हैं. तेजस्वी को इस मुहिम में उनकी मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी साथ आई हैं.
तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि बिहार के 15 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. उत्तर बिहार की नदियाँ खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं. जान, माल, फसल, मवेशी का लगातार नुकसान हो रहा है. पर आत्ममुग्ध सरकार व बेपरवाह प्रशासन मदमस्त है. आम जनजीवन अस्त-व्यस्त होने की इन्हें क्यों चिंता होगी? आख़िर दोष प्रकृति को जो देना है. बाढ़ की विभीषिका से निपटने के सरकारी दावों की कलई पहले हफ्ते ही खुल गई. दावे अपनी जगह है और "सुशासन" के दीमकों की कमाई अपनी जगह.
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा है कि हर वर्ष बाढ़ राहत व बचाव, तटबंध निर्माण, पुनर्वास के नाम पर अरबों के घालमेल व बंदरबांट "सुशासन" की पहचान जो है. मुख्यमंत्री अब प्रकृति को दोषी ठहराएँगे. नीतीश सरकार असम्भव हवाई सर्वेक्षणों की सरकार है. ऐसी उन्नत तकनीक ’नासा’ के पास भी नहीं. मुख्यमंत्री चमकी बुखार, लू का हवाई सर्वेक्षण करते हैं तो मंत्री सूखाग्रस्त क्षेत्रों में अदृश्य बाढ़ से निपटने की तैयारियों का हवाई सर्वेक्षण करते हैं. धरातल की वास्तविक पीड़ा से कोई सरोकार नहीं.
तेजस्वी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि राजद कार्यकर्ताओं से आग्रह है कि अपने-अपने जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने में यथासंभव मदद करें. प्रशासन से संपर्क स्थापित कर समस्याओं का निराकरण एवं उचित सुविधा मुहैया कराने में सहयोग करे. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी ट्वीट कर सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने लिखा है कि उत्तर बिहार की अधिकतर नदियां खतरे के निशान को पार कर गई हैं, लेकिन सरकार राहत और बचाव की जगह प्रकृति और चूहों को दोष देने की कार्य योजना पर काम कर रही है. जनता की इन्हें कोई फिक्र नहीं है. हर परिस्थिति में इन्हें बाढ़ के नाम पर बंदरबाँट करनी है. जनता त्राहिमाम कर रही है. नीतीश सरकार ने 14 वर्षों के शासन के बाद भी बाढ़ की वार्षिक विभीषिका से सदा के लिए निपटान हेतु क्या दूरगामी कदम उठाए? अबतक कितने लाख करोड़ खर्च किए? जितना धन हर वर्ष राहत, बचाव, पुनर्वास व तटबंध निर्माण रखरखाव के नाम पर लूट लिए जाते हैं उतने में सदा के लिए समस्या का हल हो जाता.