अब नहीं मिलेगी अमेजन-फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर फ्लैश सेल और छूट, जानें वजह
By वैशाली कुमारी | Published: June 22, 2021 03:26 PM2021-06-22T15:26:58+5:302021-06-22T15:33:54+5:30
अब हो सकता है कि आपको अमेजन-फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर फ्लैश सेल या भारी छूट न मिलें। जी हां! ऑनलाइन शॉपिंग के नियमों में सरकार कुछ बदलाव करने की तैयारी कर रही है।
ऑनलाइन शॉपिंग करने वालो के लिए एक बेहद जरूरी सुचना है, अब हो सकता है कि आपको अमेजन-फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर फ्लैश सेल या भारी छूट न मिलें। जी हां! ऑनलाइन शॉपिंग के नियमों में सरकार कुछ बदलाव करने की तैयारी कर रही है। सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर गलत एवं भारी छूट के साथ धोखाधड़ी से बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है , इसलिए एसा कर रही है । , इसके साथ ही सरकार ने इन कंपनियों व प्लेटफॉर्म्स के उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) पर पंजीकरण अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव रखा गया है।
बतादें कि ऑनलाइन रिटेलर्स द्वारा बाजार में अपनी पैठ जमाने और भारी भरकम छूट की शिकायत छोटे कारोबारियों द्वारा की जाती रही है। इस शिकायत के बाद भारत में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस पर सरकार सख्त रवैया अपनाने की तैयारी कर रही है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (consumer affairs ministry) द्वारा प्रस्तावित उपभोक्ता संरक्षण (E-Commerce) नियम 2020 {Consumer Protection (E-commerce) Rules, 2020} के मुताबिक, सरकार फ्लैश सेल को सीमित करने की तैयारी में है। हालांकि पारंपरिक तौर पर आयोजित होने वाली ई-कॉमर्स रियायती बिक्री पर पाबंदी नहीं लगेगी। सिर्फ विशिष्ट तौर पर ग्राहकों को घेरने के लिहाज से की जाने वाली बिक्री या बार-बार फ़्लैश बिक्री , कीमतों में इजाफा करती हैं। सबके लिए एक समान अवसर वाला प्लेटफॉर्म मुहैया कराने से रोकती है, ऐसी बिक्री की अनुमति नहीं होगी।
मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित, ई-कॉमर्स नियमों में बदलाव के मुताबिक, ई-कॉमर्स फर्मों को पर्याप्त शिकायत तंत्र बनाने (dequate redressal mechanisms) और मुख्य अनुपालन अधिकारी (chief compliance officer) नियुक्त करना होगा। इसके साथ ही इन कंपनियों को एक निवासी शिकायत अधिकारी (resident grievance officer) भी नियुक्त करना होगा। यह अधिकारी भारत का निवासी होना अनिवार्य है और साथ ही नोडल अधिकारी भी रखना होगा। केंद्र सरकार के इस कदम का मकसद है, ग्राहकों के प्रति कंपनियों को जवाबदेह बनाना और नियामकीय व्यवस्था को सख्त बनाना है।