Sarojini Naidu Birth Anniversary: लेखिका से लेकर राजनीति तक कुछ ऐसा था 'भारत की कोकिला' सरोजनी नायडू का सफर, पढ़ें
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: February 13, 2018 01:48 AM2018-02-13T01:48:45+5:302018-02-13T08:46:49+5:30
'भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती सरोजिनी नायडू का आज (13 फरवरी) जन्मदिन है। उनका जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। सरोजनी के पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था।
'भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती सरोजिनी नायडू का आज (13 फरवरी) जन्मदिन है। उनका जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। सरोजनी के पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था। उनके पिता एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे। उनकी माता का नाम वरद सुंदरी था, वे कवयित्री थीं और बंगला में लिखती थीं। सरोजनी को लिखने का ललक अपनी मां से मिली थी।
सरोजनी की शादी और शिक्षा
महज 19 साल की उम्र में सन् 1898 में डॉ. गोविन्द राजालु नायडू से सरोजनी की शादी हुई थी। बचपन से ही वह पढ़नें में काफी तेज थीं,उन्हें इंग्लिश, बंगला, उर्दू, तेलुगु और फारसी भाषा का अच्छा ज्ञान था। महज 14 साल की उम्र में उन्होंने सभी अंग्रजी के कवियों की रचनाओं का अध्ययन कर लिया था। कहते हैं अंग्रेजी की पढ़ाई उन्होंने घर पर रहकर ही की थी। मैट्रिक पास करने के बाद वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाई थीं। गीतिकाव्य की शैली में नायडू ने काव्य सृजन किया और 1905, 1912 और 1917 में उनकी कविताएं छपीं।
राजनीति में सफर
भारत की स्वतंत्रता के लिए विभिन्न आंदोलनों में सहयोग दिया। वे उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं। एक कुशल राजनेता होने के साथ-साथ वे अच्छी लेखिका भी थीं। सरोजनी एक लंबे समय तक कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं। जलियांवाला बाग हत्याकांड से निराश होकर उन्होंने 1908 में मिला 'कैसर-ए-हिन्द' सम्मान लौटा दिया था। 1903 से 1917 के बीच वे टैगोर, गांधी, नेहरू के संपर्क में वह आईं। जिसके बाद 1914 में पहली बार लंदन में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी हुई और गांधीजी के व्यक्तित्व ने उन्हें बहुत प्रभावित किया थी। जिसके बाद उन्होंने गांधी जी के अनेक सत्याग्रहों में भाग लिया और 'भारत छोड़ो' आंदोलन में भाग लेने के बाद वह जेल तक गईं।
भारत की कोकिला
वह साल 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष बनीं। जिसने इतिहास में उनका नाम दर्ज कर दिया। इतना ही नहीं वे उत्तर प्रदेश की गवर्नर बनने वाली पहली महिला थीं। वह 'भारत कोकिला' के नाम से जानी गईं। कहते हैं वह जितनी अच्छी लेखिका थीं उतनी ही अच्छी वक्ता भी थीं। उन्होंने कई बार कानपुर में आजादी के समय भाषण भी दिए।
प्रसिद्ध रचनाएं
सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने 1300 पंक्तियों की कविता 'द लेडी ऑफ लेक' लिखी थी। फारसी भाषा में एक नाटक 'मेहर मुनीर' लिखा। 'द बर्ड ऑफ टाइम', 'द ब्रोकन विंग', 'नीलांबुज', ट्रेवलर्स सांग' उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं।