जम्मू में मकान मालिकों के खिलाफ बड़ा एक्शन, किराएदारों की जानकारी न देने पर एफआईआर दर्ज

By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 4, 2023 04:20 PM2023-02-04T16:20:09+5:302023-02-04T16:22:17+5:30

सब इंस्पेक्टर मुहम्मद हनीफ ने आतंकी के बारे में कोई जानकारी इकट्ठा नहीं की थी। मुहम्मद आरिफ शेख इस सब इंस्पेक्टर के घर पर अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रह रहा था।

FIR against jammu sub-inspector who made teacher-turned-terrorist a tenant | जम्मू में मकान मालिकों के खिलाफ बड़ा एक्शन, किराएदारों की जानकारी न देने पर एफआईआर दर्ज

फाइल फोटो

Highlightsअध्यापक से आतंकी बनने वाले को किराएदार को अपने घर में रखने वाले सब इंस्पेक्टर के खिलाफ एफआईआरएक माह में 40 मकान मालिकों के खिलाफ मामले दर्ज सभी पर किरायेदारों की जानकारी न देने के मामले में हुई कार्रवाई।

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है। इलाके में सभी मकान मालिकों के द्वारा रखे किरायेदारों के बारे में पुलिस का जानकारी देना जरूरी है। ऐसे में जिन मकान मालिकों ने इस संबंध में पुलिस को उचित जानकारी नहीं दी है उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई में जुट गई है। जम्मू पुलिस ने आईपीसी की धारा 188 के तहत बठिंडा में रहने वाले जम्मू-कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर मुहम्मद हनीफ के खिलाफ मामला दर्ज किया है जिसने अध्यापक से आतंकी बने मुहम्मद आरिक शेख को अपने घर पर किराएदार के तौर पर तो रखा था।

सब इंस्पेक्टर मुहम्मद हनीफ ने आतंकी के बारे में कोई जानकारी इकट्ठा नहीं की थी। मुहम्मद आरिफ शेख इस सब इंस्पेक्टर के घर पर अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रह रहा था। जम्मू में यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें पुलिस ने किराएदारों का सत्यापन न करवाने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया हो बल्कि गणतंत्र दिवस से पहले ऐसे 40 मकान मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं जिन्होंने जम्मू के उपायुक्त के निर्देशों का उल्लंघन किया था।

पुलिस के मुताबिक, गणतंत्र दिवस से पहले जम्मू में पुलिस ने 10,000 किरायेदारों की पहचान सत्यापित की और 40 मकान मालिकों के खिलाफ किरायेदारों का विवरण दे पाने में विफल रहने पर एफआईआर दर्ज की है। दरअसल, इस साल 11 जनवरी को जम्मू के उपायुक्त द्वारा पुलिस के निवेदन पर एक बार फिर जम्मू में रह रहे किराएदारों का सत्यापन करवाने और तीन दिनों के भीतर ऐसा न करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई थी। इस आदेश के बाद पुलिस ने शहर के कई इलाकों में लोगों से पूछताछ भी की है। शहर में दो साल में भी इतनी एफआईआर दर्ज नहीं हुई हैं, जितनी सिर्फ जम्मू शहर में ही एक महीने में 10,000 किरायेदारों का सत्यापन के मामले में हुई हैं। 

इससे पता चलता है कि शहर में 10 हजार किराएदार बिना सत्यापन के रह रहे थे। एसएसपी जम्मू ने डीसी से सिफारिश की थी कि तीन दिन में सत्यापन कराने का आदेश जारी करें। पुलिस के पास इनपुट हैं कि किरायेदारों की आड़ में ओजी वर्कर, अपराधी पनाह लेकर रह रहे हैं। लिहाजा कार्रवाई करने की जरूरत है। इतना जरूर था कि ताजा आदेश की सच्चाई यह थी कि पिछले 8 सालों के दौरान पुलिस और प्रशासन द्वारा ऐसे कितने आदेश निकाले जा चुके थे, अब दोनों को भी शायद याद नहीं हैं। 

अगर देखा जाए तो साल में दो से तीन बार ऐसा आदेश निकाला जाता रहा है। पर किराएदारों के सत्यापन करवाने वालों का आंकड़ा एक से दो प्रतिशत से आगे ही नहीं बढ़ पाया था। दरअसल, ऐसा न कर पाने वालों पर भारतीय संविधान की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जो चेतावनी दी गई है उसमें अधिकतम जुर्माना 200 रुपये है।

जम्मू में किराएदारों का सत्यापन करने की आवश्यकता पुलिस ने वर्ष 2014 में उस समय महसूस की थी जब एक आतंकी कमांडर अब्दुल्ला कारी शहर के बीचोंबीच जानीपुर इलाके में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। वह उस मकान में कई महीनों से किराए पर रह रहा था। सिर्फ अब्दुल्ला कारी ही नहीं बल्कि उसके बाद के वर्षों में भी किराएदारों के तौर पर रह रहे कई आतंकी मारे गए। 

कई आतंकी पकड़े गए और कई ओवर ग्राउंड वर्कर भी दबोचे गए। हर घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने किराएदारों के सत्यपान करवाने का फरमान तो जारी किया पर डिफाल्टरों के विरुद्ध कोई कार्रवाई न होने के कारण ही मकान मालिकों ने इसे बहुत ही हल्के तौर पर लिया।

Web Title: FIR against jammu sub-inspector who made teacher-turned-terrorist a tenant

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