2019 के शुरुआती 6 महीने में सीवर सफाई के काम में लगे 50 लोगों की मौतः रिपोर्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 24, 2019 09:43 AM2019-07-24T09:43:04+5:302019-07-24T09:43:04+5:30
2019 के शुरुआती 6 महीने में सीवर सफाई के काम में लगे 50 लोगों की मौत हो चुकी है। यह डेटा राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने जारी किया है।
2019 के शुरुआती 6 महीने में सीवर सफाई के काम में लगे 50 लोगों की मौत हो चुकी है। यह डेटा राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने जारी किया है। हालांकि एनसीएसके ने माना है कि ये आंकड़े सिर्फ आठ राज्यों- यूपी, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के हैं। गौरतलब है कि एनसीएसके देश की एकमात्र ऐसी एजेंसी है जो सीवर सफाई की वजह से हुई मौतों के आंकड़े जुटाती है।
1993 के बाद करीब 817 की मौत
देश में सीवर सफाई के मामले में वर्ष 1993 के बाद से करीब 817 लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने ये आंकड़े 30 जून 2019 तक के बताए हैं। एनसीएसके के अध्यक्ष मनहर वालजीभाई जाला ने कहा कि विभिन्न राज्यों से कहा गया है कि सीवर की सफाई करने वाले कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण मुहैया करायें।
एनसीएसके प्रमुख ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में सिर पर मैला ढोने का सिलसिला बंद किया जा चुका है, लेकिन तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में ऐसे लोगों की संख्या 34,859 है। जाला ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह राज्य सफाई कर्मचारी आयोग का गठन करें।
सदन में गूंजा सफाईकर्मियों की मौत का मुद्दा
सैप्टिक टैंक और सीवर में काम करते समय सफाईकर्मियों की मौत की बढ़ती घटनाओं पर राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा गंभीर चिंता जताये जाने और ऐसे मामले में पीड़ित परिवारों को समुचित मुआवजा एवं सामाजिक सुरक्षा दिलवाने की मांग के बीच सरकार ने कहा कि वह ऐसे परिवारों के साथ सम्पूर्ण न्याय को लेकर संकल्पबद्ध है। राज्यसभा में राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा द्वारा इस संबंध में लाये गये निजी संकल्प पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 एवं इस संबंध में आये उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत ऐसे प्रत्येक मामले में मृतक के परिवार को 10 लाख रूपये तक का मुआवजा दिलवाने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में 613 लोगों की मौत हुई जिसमें से 438 लोगों के परिवारों को दस लाख रूपये तक का मुआवजा दिलाया गया है। 58 लोगों के मामले में आंशिक राशि दी गयी है। बाकी के 13-14 मामले विचाराधीन हैं।
उन्होंने कहा कि केन्द्र ने इस कानून को लागू करने के संबंध में पिछले पांच साल में राज्यों के मंत्रियों एवं सचिवों के साथ कई बैठकें की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में केन्द्र निगरानी का काम करता है और कानून को लागू करने का काम राज्य सरकारें करती हैं। गहलोत ने कहा कि इस काम में लगे स्वच्छता कर्मियों के बारे में राज्य सरकारें प्राय: सही और पूरी जानकारी नहीं देती हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर