पंद्रह विपक्षी दलों ने संविधान दिवस कार्यक्रम का बहिष्कार किया

By भाषा | Published: November 26, 2021 03:44 PM2021-11-26T15:44:32+5:302021-11-26T15:44:32+5:30

Fifteen opposition parties boycott the Constitution Day program | पंद्रह विपक्षी दलों ने संविधान दिवस कार्यक्रम का बहिष्कार किया

पंद्रह विपक्षी दलों ने संविधान दिवस कार्यक्रम का बहिष्कार किया

नयी दिल्ली, 26 नवंबर कांग्रेस समेत 15 विपक्षी दल शुक्रवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए और सरकार पर संविधान की मूल भावना पर आघात करने और अधिनायकवादी तरीके से कामकाज करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, भाकपा, माकपा, द्रमुक, अकाली दल, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राजद, आरएसपी, केरल कांग्रेस (एम), आईयूएमएल और एआईएमआईएम इस कार्यक्रम से दूर रहे।

संविधान दिवस पर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सांसद एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।

भाजपा एवं सहयोगी दलों के साथ ही, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, तेलुगू देशम पार्टी, बीजू जनता दल और बसपा के सदस्य भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने यह कहा कि यह सरकार प्रजातंत्र और संविधान के जश्न के आयोजन में विपक्ष का सम्मान नहीं करती और संसदीय लोकतंत्र का अपमान तथा अधिनायकवादी ढंग से कामकाज करती है, जिस कारण कई विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम से अलग रहने का फैसला किया।

राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता शर्मा ने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से विपक्ष की आलोचना करने का कोई औचित्य नहीं था।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस और अन्य मुख्य विपक्षी दल इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। भाजपा की सरकार निरंतर संवैधानिक संस्थाओं को चोट पहुंचा रही है, संवैधानिक नियमों का उल्लंघन हो रहा है। संविधान की मूल भावना पर आघात कर रही है।’’

शर्मा के मुताबिक, ‘‘दो साल पहले भी यही स्थिति पैदा हुई थी और हमने विरोध दर्ज कराया था। हमारी अपेक्षा थी कि सरकार सचेत हो जाएगी और विपक्ष को सम्मान देगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम संविधान और राष्ट्रपति का सम्मान करते हुए यह कहना चाहते हैं कि अगर प्रतिपक्ष के नेताओं और विपक्षी नेताओं को प्रजातंत्र या संविधान के जश्न के आयोजन में शामिल नहीं किया जाएगा और सिर्फ दर्शक की तरह बुलाया जाएगा, तो यह हमें स्वीकार नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जी का विपक्ष की आलोचना करना सही नहीं है। इसका कोई औचित्य नहीं है। सरकार कोई अवसर नहीं छोड़ती कि संविधान और संवैधानिक परंपराओं को दबाकर निर्णय लिया जाए।’’

शर्मा ने दावा किया, ‘‘देश में कई समस्याएं और विकट परिस्थितियां पैदा हुई हैं। सरकार ने जिस तरह से कानून बनाए, उससे समाज में टकराव और और उत्तेजना पैदा हुई है। तीनों कृषि कानूनों को लेकर यही हुआ। हमने सरकार से कहा था कि विधेयक पारित कराने की एक प्रक्रिया होती है। सरकार ने प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया। यही कारण है कि किसानों का एक साल तक आंदोलन चला और अब सरकार कानूनों को वापस ले रही है। अगर विपक्ष की बात सुनते तो इतना बड़ा संकट नहीं आता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अभी भी समय है। सरकार अपनी कार्यशैली और अपनी मानसिकता बदले। वह महत्वपूर्ण राष्ट्रीय विषयों पर सहमति बनाए।’’

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘‘यह पाखंड की पराकाष्ठा है। जब संविधान की मूल विशेषताओं को कमतर किया जा रहा है तो उस समय संविधान दिवस मनाया जा रहा है। सभी को संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन किए जाने के विरोध में विपक्षी दलों ने इसका बहिष्कार किया है।

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Web Title: Fifteen opposition parties boycott the Constitution Day program

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