ओडिशा: गांधी और गोडसे को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी नोकझोंक

By भाषा | Published: August 4, 2019 06:56 AM2019-08-04T06:56:30+5:302019-08-04T06:56:30+5:30

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर ओडिशा विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस और भाजपा के बीच शनिवार को लगातार दूसरे दिन तीखी नोकझोंक हुई।

Fierce argument between Congress BJP in Odisha Legislative Assembly over Gandhi and Godse | ओडिशा: गांधी और गोडसे को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी नोकझोंक

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की फाइल फोटो।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर ओडिशा विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस और भाजपा के बीच शनिवार को लगातार दूसरे दिन तीखी नोकझोंक हुई। कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने लगातार दूसरे दिन इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने भाजपा सदस्यों से पूछा कि क्या वे नाथूराम गोडसे की ‘‘पूजा’’ करने वाले लोगों की निंदा कर सकते हैं।

उन्होंने भगवा पार्टी के सदस्यों से पूछा, ‘‘कांग्रेस को ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाने में कोई संकोच नहीं है। मैं इस सदन में यह नारा लगा रहा हूं। लेकिन क्या भाजपा के मेरे मित्र नाथूराम गोडसे की पूजा करने वाले लोगों की निंदा कर सकते हैं।?’’

मिश्रा ने शुक्रवार को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सम्मान को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर सवाल उठाया था। राज्य विधानसभा में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष प्रदीप्त कुमार नाइक ने अपने जवाब में कहा था, ‘‘हम राष्ट्रीय ध्वज का अपमान नहीं करते हैं, हर कोई इसका सम्मान करता है ... मैं अपने घर में तिरंगा नहीं फहराता हूं तो क्या इसका मतलब यह है कि मैं राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करता हूं?’’

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस वंदे मातरम नहीं कहती। भारत माता की पूजा करने में क्या गलत है? जो लोग संविधान का सम्मान नहीं करते, उन्हें भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है।’’

ओडिशा विधानसभा में भाजपा के उप नेता बी सी सेठी ने कहा, ‘‘मुझे समझ नहीं आता कि बोलंगीर से सदस्य (मिश्रा) गांधी और गोडसे के मुद्दे को बार-बार क्यों उठाते रहते हैं। ये ओडिशा से संबंधित नहीं हैं। हमारे पास सूखे और बेरोजगारी जैसे कई मुद्दे हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि गांधी आरएसएस के खिलाफ नहीं थे और इसे पसंद करते थे क्योंकि अस्पृश्यता इसके लिए कोई मुद्दा नहीं था। सेठी ने दावा किया कि यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भी संगठन के बारे में कोई प्रतिकूल राय नहीं थी। उन्होंने कहा कि एक ‘‘विशेष राजनीतिक दल’’ के कुछ नेताओं के विरोध के बावजूद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आरएसएस मुख्यालय गये थे। प्रणब मुखर्जी ने पिछले साल जून में आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया था। 

Web Title: Fierce argument between Congress BJP in Odisha Legislative Assembly over Gandhi and Godse

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