रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण किसानों के लिए बड़ी आफत बनने जा रही है खाद, केंद्र का वैकल्पिक व्यवस्था पर जोर
By एस पी सिन्हा | Published: April 30, 2022 05:50 PM2022-04-30T17:50:47+5:302022-04-30T17:50:47+5:30
किसान इस बात को लेकर परेशान हैं कि अगर यह युद्ध लंबा खिंचा तो खाद की आपूर्ति कहां से होगी। अगर खाद की कमी होगी तो फिर फसलों में खाद कहां से डाला जायेगा?
पटना: इस वर्ष खरीफ की खेती का मौसम आने वाला है। किसान अब इसकी तैयारी में जुटेंगे, लेकिन उनके माथे पर बल पड़ने लगे हैं क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर रासायनिक खाद की आपूर्ति पर पड़ सकता है। ऐसे में किसान इस बात को लेकर परेशान हैं कि अगर यह युद्ध लंबा खिंचा तो खाद की आपूर्ति कहां से होगी। अगर खाद की कमी होगी तो फिर फसलों में खाद कहां से डाला जायेगा?
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत सरकार कुल जरूरत का 66 फीसदी खाद देश में तैयार करती है। शेष खाद दूसरे देशों से आता है। इसमें सबसे अधिक खाद रूस और यूक्रेन से आता है। इसके अतिरिक्त चीन से भी खाद आता है। रूस और यूक्रेन में युद्ध के कारण वहां से आयात पूरी तरह बंद है, जबकि चीन ने दूसरे देशों को यूरिया भेजने से इनकार कर दिया है।
इस कमी से कैसे निपटा जाए, इसे लेकर राज्यों को निर्देश दिया गया है। केंद्र ने राज्य सरकारों से कहा है कि इस वर्ष खरीफ के मौसम में खाद की आपूर्ति पर विशेष नजर रखने की जरूरत है। किसानों को इसके विकल्प की जानकारी देने की आवश्यकता है। इसे लेकर सोमवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर फिर राज्यों के साथ समीक्षा करनेवाले हैं।
बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह के अनुसार यूरिया की कालाबाजारी रोकने पर विशेष जोर होगा। कोशिश होगी कि सही किसानों को यूरिया मिल सके. इसके लिए विशेष मॉनटरिंग की जाएगी। किसानों से आग्रह है कि बिना पॉश मशीन के यूरिया की खरीद नहीं करें। बीते साल यूरिया की कालाबाजारी रोकने के लिए विशेष अभियान चला था।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष खरीफ के मौसम में खाद की कमी हो सकती है। इसके मद्देनजर तैयारी करने का निर्देश अधिकारियों को दिया गया है। अधिकारियों को खाद की आपूर्ति और किसानों को मिलने वाली सुविधा पर विशेष ध्यान देने का निर्देश है।