पुरुष से महिला बनीं डॉक्टर किन्नरों के साथ सड़क पर मांग रही थी भीख, कहानी सुन रो देंगे आप
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 24, 2020 09:45 PM2020-11-24T21:45:52+5:302020-11-24T21:48:43+5:30
डॉक्टर अपने रिकॉर्ड में उचित बदलाव कराने के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद का रुख करेंगी और क्लिनिक खोलेंगी।
मदुरैः समय बहुत ही बलवान है। इंसान को कब क्या से क्या करना पड़ जाए। वह कभी पुरुष थीं लेकिन अपना लिंग परिवर्तन कराया और महिला बन गईं। लेकिन इसके बाद जो हुआ वह यह भयानक मंजर था।
तमिलनाडु पुलिस ने ऐसा काम किया। हर कोई तारीफ कर रहा है। मदुरै पुलिस ने सड़कों पर भीख मांगती लिंग परिवर्तन कराने वाली डॉक्टर को बचाया है। हालांकि पुलिस अब उनकी एक क्लिनिक खोलने में मदद कर रही हैं। पुलिस विभाग भीख मांग रही एक महिला डॉक्टर की मदद के लिए आगे आया है।
यह महिला डॉक्टर पहले पुरुष थी लेकिन बाद वे अपना लिंग परिवर्तन करा महिला बन गई थीं। उम्मीद है कि डॉक्टर अपने रिकॉर्ड में उचित बदलाव कराने के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद का रुख करेंगी और क्लिनिक खोलेंगी। सड़कों पर भीख मांगते मिली महिला डॉक्टर साल 2018 में मदुरै सरकारी चिकित्सा कॉलेज से स्नातक हुई थी।
लिंग परिवर्तन कराने वाली डॉक्टर ने नाम न छापने की गुजारिश की
लिंग परिवर्तन कराने वाली डॉक्टर ने नाम न छापने की गुजारिश की है। उम्मीद है कि वह रिकॉर्ड में उचित बदलाव कराने के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद का रुख करेंगी और क्लिनिक खोलेंगी। वह 2018 में मदुरै सरकारी चिकित्सा कॉलेज से स्नातक हुई थी। उन्होंने महिला बनने के लिए लिंग परिवर्तन का ऑपरेशन कराया, जिसके बाद उनके परिवार ने उनका बहिष्कार कर दिया।
इस ऑपरेशन के बाद उन्हें उस अस्पताल ने निकाल दिया, जहां वह एक साल से काम कर रही थी। तिलगर तिडल पुलिस ने हाल में दुकानदारों को परेशान करने और भीख मांगने के आरोप में कुछ किन्नरों को हिरासत में लिया था।
शुरुआत में तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि वह एक डॉक्टर हैं
पुलिस निरीक्षक जी कविता ने बताया, " शुरुआत में तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि वह एक डॉक्टर हैं। वह रो पड़ीं और कहा कि उनके पास मेडिकल डिग्री है लेकिन यह पहले वाले नाम पर है।’’ पुलिस ने दस्तावेजों का सत्यापन किया और मदुरै चिकित्सा कॉलेज के डॉक्टरों से संपर्क किया और पुष्टि की कि लिंग परिवर्तन करने वाली डॉक्टर कॉलेज में एक पुरुष थीं।
अस्पताल से निकाले जाने के बाद उनके पास जिंदगी गुजारने का कोई साधन नहीं था तो हाल में किन्नरों के साथ भीख मांगने के लिए शामिल हो गई थीं। बहरहाल कविता उनका मामला लेकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों के पास गईं ताकि उनकी मुमकिन मदद की जा सके।
किन्नरों के लिए काम करने वाले संगठन सहोदरी फाउंडेशन की स्थापना करने वाली कल्कि ने मंगलवार को कहा, " लिंग के आधार उन्हें नौकरी देने से इनकार करना मानवाधिकार का उल्लंघन है।" उन्होंने कहा कि अस्पताल लिंग के आधार पर किसी को भी नौकरी से नहीं निकाल सकता है और अगर अदालत का फैसला डॉक्टर के पक्ष में आ जाता है तो अस्पताल को उन्हें बहाल करना होगा।