MP Ki Taja Khabar: पुलिसकर्मी पर पथराव में शामिल पिता-पुत्र कोरोना वायरस से मुक्त, जेल लौटे
By भाषा | Published: May 12, 2020 04:53 PM2020-05-12T16:53:48+5:302020-05-12T16:53:48+5:30
पिछले महीने कर्फ्यू ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस आरक्षक पर यहां पथराव के आरोपियों में शामिल पिता-पुत्र इलाज के बाद कोविड-19 के संक्रमण से मुक्त हो गये हैं।
इंदौर: कर्फ्यू ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस आरक्षक पर यहां पिछले महीने पथराव के आरोपियों में शामिल पिता-पुत्र इलाज के बाद कोविड-19 के संक्रमण से मुक्त हो गये हैं।
हालांकि, पिता-पुत्र के संक्रमित पाये जाने से मचे हड़कंप के बाद सरकारी तंत्र इस महामारी से बचाव के इंतजाम करने के प्रति और सतर्क हो गया है। इंदौर के केंद्रीय जेल के उपाधीक्षक लक्ष्मण भदौरिया ने मंगलवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया, "शहर के चंदन नगर में कर्फ्यू ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस आरक्षक पर पथराव के आरोपियों में शामिल नासिर खान (58) जेल पहुंचने के बाद कोविड-19 से संक्रमित पाया गया था। इलाज के बाद वह संक्रमण से मुक्त होकर जेल लौट आया है। हालांकि, उसे 14 दिन के पृथक-वास के तहत दूसरे कैदियों से अलग रखा गया है।"
भदौरिया ने बताया कि 58 वर्षीय विचाराधीन कैदी के जेल आने के बाद ही केंद्रीय जेल में कोविड-19 का संक्रमण फैला था। इससे पहले, जेल में इस महामारी का एक भी मामला सामने नहीं आया था। उन्होंने बताया कि अब तक केंद्रीय जेल के 33 कैदी और आठ कर्मचारी कोविड-19 से संक्रमित पाये गये हैं। इनमें शामिल नासिर समेत 13 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं, जबकि 28 अन्य व्यक्ति स्थानीय अस्पतालों और पृथक वार्डों में भर्ती हैं।
अधिकारियों ने बताया कि नासिर के केंद्रीय जेल में बंद रहने के दौरान कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के खुलासे के बाद व्यवस्थाओं में बदलाव किया गया है। अब इंदौर शहर के आपराधिक मामलों से जुड़े आरोपियों को न्यायिक हिरासत के तहत नजदीकी कस्बे महू के जेल भेजा जा रहा है। इसके साथ ही, इंदौर के जेलों में कैदियों और सरकारी कर्मचारियों को इस महामारी से बचाने के उपायों में इजाफा किया गया है। उन्होंने बताया कि शहर में पुलिस आरक्षक पर पथराव के मामले में नासिर का बेटा जावेद खान (25) भी आरोपी है।
जावेद को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तारी के बाद जबलपुर भेजा गया था और वहां 11 अप्रैल को जांच में कोविड-19 से संक्रमित पाया गया था। अधिकारियों ने बताया कि इलाज के दौरान जावेद 19 अप्रैल को जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल से भाग गया था। हालांकि, उसे अगले ही दिन यानी 20 अप्रैल को नरसिंहपुर जिले से पकड़ लिया गया था और मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में फिर से भर्ती करा दिया गया था।
उन्होंने बताया कि जावेद को नरसिंहपुर से जबलपुर लाने वाले पुलिस दल की अगुवाई कर रहे भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक अधिकारी कोविड-19 से संक्रमित पाये गये थे। बहरहाल, इलाज के बाद जावेद कोविड-19 संक्रमण से पहले ही मुक्त हो चुका है। वह मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश के तहत फिलहाल भोपाल के केन्द्रीय जेल प्रशासन के कब्जे में है।
भोपाल के केन्द्रीय जेल के अधीक्षक दिनेश नरगांवे ने बताया, "जावेद को पृथक- वास के तहत भोपाल के केंद्रीय जेल से 15 किलोमीटर दूर एक सरकारी परिसर में बनाये गये अस्थायी कारागार में रखा गया है। वह फिलहाल पूरी तरह स्वस्थ है।" अधिकारियों ने बताया कि चंदन नगर इलाके में सात अप्रैल को कर्फ्यू का उल्लंघन कर बाहर घूम रहे नासिर, उसके बेटे जावेद और उनके कुछ साथियों को एक पुलिस आरक्षक ने अपने घर जाने को कहा था।
इस बात को लेकर इन लोगों ने पुलिस कर्मी से विवाद किया और अचानक उस पर पथराव शुरू कर दिया था। पुलिसकर्मी ने जैसे-तैसे मौके से निकलकर खुद को सुरक्षित बचाया था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था जिसमें एक गली में सात-आठ बलवाइयों से घिरा पुलिस आरक्षक इनसे बचने के लिये दौड़ लगाता नजर आ रहा है। ये लोग पुलिसकर्मी के पीछे दौड़ते हुए उस पर पत्थर चलाते दिखायी दे रहे हैं। वायरल हो चुके इस वीडियो में बलवाइयों में शामिल एक व्यक्ति को सड़क पर पड़ा डंडा उठाकर पुलिस कर्मी के पीछे भागते भी देखा जा सकता है।