बेटे की दवा के लिए मजदूर ने किया 300 किमी का सफर, तपती धूप में भूखे पेट चलाई साइकिल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 1, 2021 06:06 PM2021-06-01T18:06:17+5:302021-06-01T18:31:39+5:30

एक पिता ने अपने बीमार बेटे की दवा के लिए साइकिल से 300 किमी की लंबी दूरी को छोटा कर दिया। 

father cycling 300 km for taking medicine for his son | बेटे की दवा के लिए मजदूर ने किया 300 किमी का सफर, तपती धूप में भूखे पेट चलाई साइकिल

आनंद ने बेटे की दवा लाने के लिए साइकिल से 300 किमी का सफर तय किया।

Highlightsबेटे की दवा के लिए साइकिल पर किया 300 किमी का सफरकई किमी भूखे पेट चलाई साइकिलकई जगह पुलिस ने रोका, लेकिन सभी ने जाने दिया

अपनों को बचाने की जद्दोजहद न पथरीले रास्तों को देखती है और न ही मीलों लंबे सफर को। पिछले लॉकडाउन में ऐसी बहुत सी कहानियां सामने आई थीं, जिसमें लोगों ने लंबी दूरियां तय की थी। ऐसी ही एक और कहानी सामने आई है। जिसमें एक पिता ने अपने बीमार बेटे की दवा के लिए साइकिल से 300 किमी की लंबी दूरी को छोटा कर दिया। 

कर्नाटक के मैसूर स्थित कोप्पालु गांव में रहने वाले 45 साल के आनंद ने बेटे की दवा लाने के लिए साइकिल से 300 किमी का सफर तय किया। उन्होंने कहा, 'मैंने अपने बेटे की दवा के लिए यहां पता किया, लेकिन दवा कहीं नहीं मिली। वह एक दिन के लिए भी दवा लेना नहीं छोड़ सकता है। मैं बेंगलुरु गया और इसके लिए मुझे तीन दिन लगे।'


बेटे को 18 साल तक लेनी होगी दवा

आनंद एक मजदूर हैं। उनका बेटा बीमार रहता है, जिसका इलाज बेंगलुरु के निमहंस अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टर्स ने उसके बेटे को 18 साल तक दवा लेने के लिए कहा है। साथ ही हिदायत दी है कि वह एक भी दिन के लिए दवा नहीं छोड़े। साथ ही डॉक्टर्स ने कहा है कि संभव है कि इसके बाद उसका बेटा ठीक हो जाए। 

रास्ते में झेलनी पड़ी कई मुश्किलें

यही कारण था कि मैसूर के अपने गांव से उन्होंने बेंगलुरु तक का 300 किमी तक का सफर साइकिल से तय किया। इस दौरान रास्ते में कई मुश्किलों को झेलते हुए वे अपनी मंजिल पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि साइकिल पर 300 किमी का सफर आसान नहीं था। तपती धूप के साथ कोरोना के चलते राज्य में पाबंदियां है। ऐसे में कई बार पुलिस ने रोका, लेकिन जब उन्होंने मेरी परेशानी के बारे में जाना तो जाने दिया। 

भूखे पेट किया कई किमी का सफर

आनंद ने बताया कि उनके पास रास्ते में खाना खाने के भी पैसे नहीं थे। इसलिए कई किमी भूखे रहकर ही साइकिल चलानी पड़ी। आनंद का कहना है कि बेटा जब छह माह का था, तभी से ही बीमारी से जूझ रहा है। अस्पताल में बेटे की दवा हर दो महीने में मुफ्त मिलती हैं। हालांकि कोविड-19 पाबंदियों के कारण इस बार हम अस्पताल नहीं जा सके। हम आपको बता दें कि कर्नाटक में 7 जून तक कोविड-19 के कारण पाबंदियां लगाई गई है। 

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