दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड हिंसक हुई, प्रदर्शनकारी लालकिले पहुंचे

By भाषा | Published: January 26, 2021 08:47 PM2021-01-26T20:47:29+5:302021-01-26T20:47:29+5:30

Farmers' tractor parade turned violent in Delhi, protesters reached Lal Quila | दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड हिंसक हुई, प्रदर्शनकारी लालकिले पहुंचे

दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड हिंसक हुई, प्रदर्शनकारी लालकिले पहुंचे

नयी दिल्ली, 26 जनवरी ट्रैक्टर परेड जिसका मकसद किसानों की मांगों को रेखांकित करना था, वह मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई। बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिले पहुंच गए और उसकी प्रचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है।

हजारों प्रदर्शनकारी कई स्थानों पर पुलिस से भिड़े जिससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हुई। इस दौरान हिंसा हुई जबकि किसानों का दो महीने से जारी प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण रहा था।

गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर देश की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है। हालांकि इस बार ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों और कुछ घोड़ों पर सवार किसान उस समय से कम से कम दो घंटे पहले बेरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए जिसकी अनुमति प्राधिकारियों द्वारा दी गई थी। शहर में कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई जिस दौरान लोहे और कंक्रीट के बैरियर तोड़ दिये गए और ट्रेलर ट्रकों को पलट दिया गया।

इस दौरान सड़कों पर अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिले। इनमें से सबसे अभूतपूर्व दृश्य लालकिले पर दिखा जहां प्रदर्शनकारी उस ध्वज-स्तंभ पर चढ़ गए और वहां सिख धर्म का झंडा ‘निशान साहिब’ फहरा दिया जहां पर भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान तिरंगा फहराया जाता है।

वहीं, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले किसान नेताओं ने उन प्रदर्शनों से खुद को अलग कर लिया जिसने ऐसा अप्रत्याशित मोड़ ले लिया जिससे उनके आंदोलन को अब तक मिली लोगों की सहानुभूति भी छिनने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

41 किसान यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि कुछ ‘‘असामाजिक तत्व’’ उनके आंदोलन में घुस गए जो अभी तक शांतिपूर्ण था।

मोर्चा ने "अवांछित "और "अस्वीकार्य" घटनाओं की निंदा की और खेद जताया क्योंकि कुछ किसान समूहों द्वारा मार्च के लिए पहले से तय रास्ता बदलने के बाद परेड हिंसक हो गई।

उसने एक बयान में कहा, ‘‘हमने हमेशा कहा है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है और किसी भी उल्लंघन से आंदोलन को नुकसान होगा ...’’

उसने कहा, ‘‘हम ऐसे सभी तत्वों से खुद को अलग करते हैं जिन्होंने हमारे अनुशासन का उल्लंघन किया है। हम सभी से दृढ़ता से अपील करते हैं कि परेड के मार्ग और मानदंडों पर बने रहें और ऐसी किसी भी हिंसक कृत्य या ऐसी किसी चीज में लिप्त नहीं हों जिससे राष्ट्रीय प्रतीक और गरिमा प्रभावित हो। हम सभी से इस तरह के किसी भी कृत्य से बचने की अपील करते हैं।’’

उसने बयान में कहा, "हम आज तय की गई कई परेडों के संबंध में सभी घटनाओं की पूरी जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं और जल्द ही पूरा बयान साझा करेंगे। हमारी सूचना के मुताबिक, कुछ खेदजनक उल्लंघनों के अलावा परेड योजना के अनुसार शांतिपूर्ण निकाली जा रही है।"

सूर्यास्त के साथ ही हिंसा की कुछ घटनाएं जारी रहीं और उग्र भीड़ कई स्थानों पर सड़कों पर घूम रही थी। किसानों के कुछ समूह टीकरी, सिंघू और गाजीपुर में अपने धरना स्थल की ओर रवाना हुए लेकिन हजारों जमे रहे।

कुछ खबरों के अनुसार लालकिले पर हजारों किसान जमा हो गए, लेकिन वे शाम में वापस लौट गए। इस प्रदर्शनकारियों को इसके परिसर से हटा दिया गया जिसमें कई युवा, मुखर और आक्रामक थे। लालकिले की इस प्राचीर पर प्रधानमंत्री प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराते हैं।

पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। वहीं आईटीओ पर सैकड़ों किसान द्वारा पुलिसकर्मियों को लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे। एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।

आईटीओ एक संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी एक कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे। सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे। यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा।

दिन चढ़ने के साथ ही हजारों किसान इधर उधर घूमते दिखे। हजारों और किसान आईटीओ से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित लाल किले पर एकत्रित हो गए। इनमें से कुछ पैदल, कुछ ट्रैक्टर और यहां तक कि कुछ घोड़ों पर सवार होकर वहां पहुंचे थे। भीड़ बढ़ने के साथ ही तनाव भी बढ़ने लगा।

आईटीओ पर पुलिस द्वारा पीछे धकेले जाने पर कुछ प्रदर्शनकारी किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ लालकिला परिसर की ओर चल दिये। बड़ी भीड़ एकत्रित होने पर सुरक्षाकर्मियों उन्हें देखते रहे।

हालांकि अभी किसी के चोटिल होने की तत्काल कोई जानकारी नहीं है लेकिन एंबुलेंसों को लालकिले के परिसर में प्रवेश करते देखा गया। पुलिस ने लालकिले से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया। शहर में अन्य जगहों पर भी तनाव का पता चला है।

पुलिस ने शाहदरा के चिंतामणि चौक पर किसानों पर तब लाठीचार्ज किया जब उन्होंने बैरिकेड तोड़ने के साथ ही कारों की खिड़की के शीशे तोड़ दिए। ‘निहंगों’ का एक समूह अक्षरधाम मंदिर के पास सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गया। पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई चौक और मुकरबा चौक पर किसानों ने सीमेंट के बेरीकेड तोड़ दिये और पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

दिन की शुरुआत जश्न के माहौल से हुई जिसमें किसान ‘‘रंग दे बसंती’’ और ‘‘जय जवान जय किसान’’ के नारे लगाते हुए अपनी प्रस्तावित परेड के लिए अपने ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों, घोड़ों और यहां तक की क्रेनों पर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पार कर रहे थे।

विभिन्न स्थानों पर सड़कों के दोनों ओर खड़े स्थानीय लोग ढोल-नगाड़ों की थाप के बीच किसानों पर फूल बरसाते दिखे। झंडे लगे वाहनों के ऊपर खड़े प्रदर्शनकारी ‘‘ऐसा देश है मेरा’’ और ‘‘सारे जहां से अच्छा’’ जैसे देशभक्ति गीतों की धुन पर नाचते देखे गए। हालांकि इसके तुरंत बाद मूड बदल गया।

जब हिंसा भड़की तो दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की कि वे कानून को अपने हाथ में न लें और शांति बनाए रखें।

पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर परेड के लिए उनके पूर्व-निर्धारित मार्गों पर वापस जाने के लिए कहा।

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने किसानों के उस वर्ग के कृत्यों की निंदा की, जिसने अपनी ट्रैक्टर रैली के तौर पर लालकिले में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि इसने भारत के लोकतंत्र की गरिमा के प्रतीक का उल्लंघन किया है।

पटेल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘लालकिला हमारे लोकतंत्र की गरिमा का प्रतीक है। किसानों को इससे दूर रहना चाहिए था। मैं इस गरिमा के उल्लंघन की निंदा करता हूं। यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा। देशहित के लिए कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो!’’

माकपा ने किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किये गए व्यवहार के लिए केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि उन पर आंसू गैस के गोले छोड़ना और लाठीचार्ज करना ‘‘अस्वीकार्य’’ है।

मध्य और उत्तरी दिल्ली में 10 से अधिक मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार अस्थायी रूप से बंद कर दिये गए हैं।

तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और अपनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान गत 28 नवम्बर से दिल्ली के सीमा बिंदुओं टीकरी, सिंघू और गाजीपुर पर डेरा डाले हुए हैं। इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं।

लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए। लालकिले में किसान ध्वज-स्तंभ पर भी चढ़ गए।

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