'ऐसी जीत की मिसाल आजाद भारत में दूसरी नहीं,' राहुल गांधी का किसानों-मजदूरों के नाम खुला पत्र, पढ़ें पूरी चिट्ठी

By भाषा | Published: November 19, 2021 08:08 PM2021-11-19T20:08:42+5:302021-11-19T21:20:01+5:30

राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने पर किसानों और मजदूरों के नाम खुला पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि ऐसी दूसरी मिसाल आजाद भारत में नजर नहीं आती।

Farmers' satyagraha bowed to arrogance, PM should not 'dare' again: Rahul | 'ऐसी जीत की मिसाल आजाद भारत में दूसरी नहीं,' राहुल गांधी का किसानों-मजदूरों के नाम खुला पत्र, पढ़ें पूरी चिट्ठी

राहुल गांधी का किसानों के नाम खुला पत्र (फाइल फोटो)

Highlightsकृषि कानून वापस लिए जाने पर राहुल गांधी ने किसानों और मजदूरों के नाम खुला पत्र लिखा है।राहुल गांधी ने अपनी चिट्ठी में लिखा- यह असत्य पर सत्य की विजय का एक बेजोड़ उदाहरण है।ठिठुरती ठंड, भीषण गर्मी, बरसात, तमाम परेशानियों व जुल्मों के बावजूद किसानों ने जीत ली जंग: राहुल गांधी

नयी दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद शुक्रवार को कहा कि देश के अन्नदाताओं ने अपने सत्याग्रह से सरकार के अहंकार को झुका दिया है और अब प्रधानमंत्री मोदी को आगे ऐसा ‘दुस्साहस’ नहीं करना चाहिए।

किसानों-मजदूरों के नाम लिखे खुले पत्र में राहुल गांधी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को अगले साल तक किसानों की आय दोगुनी करने का खाका सामने रखना चाहिए।

'ऐसी दूसरी मिसाल आजाद भारत के इतिहास में नहीं'

कांग्रेस नेता ने पत्र में कहा, ‘‘आपके तप, संघर्ष और बलिदान के दम पर मिली ऐतिहासिक जीत की बहुत-बहुत बधाई। करीब 12 महीने से ठिठुरती ठंड, भीषण गर्मी, बरसात, तमाम परेशानियों व जुल्मों के बावजूद तीनों खेती विरोधी काले कानूनों को खत्म कराने का जो सत्याग्रह आपने जीता है, उसकी दूसरी मिसाल आजाद भारत के इतिहास में नहीं मिलती। मैं आपके इस संघर्ष में 700 से अधिक किसान-मज़दूर भाई-बहनों द्वारा दी गई कुर्बानी के लिए नतमस्तक हूं।’’

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एक तानाशाह शासक के अहंकार से लड़ते हुए जिस गांधीवादी तरीके से आपने उन्हें फैसला वापस लेने को मजबूर किया, यह असत्य पर सत्य की विजय का एक बेजोड़ उदाहरण है।’’

राहुल गांधी के मुताबिक, ‘‘आज के इस ऐतिहासिक दिन हम उन शहीद किसान-मज़दूर भाई-बहनों को याद करते हैं, जिन्होंने अपनी जान का बलिदान देकर इस सत्याग्रह को मजबूत किया। काश, ये नौबत ही न आती, अगर केंद्र सरकार ने शुरू ही में किसानों की मांगों पर ध्यान दिया होता।’’

'साथियों, संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है'

उन्होंने किसानों का आह्वान किया, ‘‘साथियों, संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। कृषि उपज का लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले, विवादास्पद बिजली संशोधन कानून खत्म हो, खेती की जोत में इस्तेमाल होने वाली हर चीज़ पर लगाए गए टैक्स का बोझ घटे, डीज़ल के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि कम हो तथा खेत-मज़दूर पर कमरतोड़ कर्ज के बोझ का हल निकालना खेतिहर किसान के संघर्ष के गंभीर विषय हैं।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मैं आप सबको भरोसा दिलाता हूं कि मौजूदा आंदोलन की ही भांति भविष्य में भी आपके सभी जायज संघर्षों में मैं और कांग्रेस पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता आपके कंधे से कंधा मिलाकर आपकी आवाज को बुलंद करेंगे।’’

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री से मांग करता हूं कि किसान अपना फ़ायदा और नुकसान सबसे बेहतर समझता है। चंद पूंजीपतियों के हाथ में खेलकर किसान को अपने ही खेत-खलिहान में गुलाम बनाने की साजिश कर व उसे (फैसले) सही साबित करने का दोबारा दुस्साहस न करें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को अपने वादे के मुताबिक साल 2022 तक किसान की दोगुनी आय सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके लिए उन्हें जल्दी से जल्दी भविष्य की योजनाओं का रोडमैप भी जारी करना चाहिए।’’

'अन्नदाता ने अपने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया'

इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘देश के अन्नदाता ने अपने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ यह जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!’’

राहुल गांधी ने कृषि कानूनों के खिलाफ कुछ महीने पहले पंजाब में निकाली गई अपनी एक यात्रा से संबंधित, जनवरी महीने के अपने उस बयान का एक वीडियो भी साझा किया जिसमें उन्होंने दावा किया था कि केंद्र सरकार एक दिन ये कानून वापस लेने को मजबूर होगी।

कांग्रेस नेता ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘जीत उनकी भी है, जो लौट के घर ना आए…हार उनकी ही है, जो अन्नदाताओं की जान बचा ना पाए…।’’ उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान अलग अलग मौकों पर घायल हुए किसानों से जुड़ा एक वीडियो भी साझा किया।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के फैसले की शुक्रवार को घोषणा की। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी।

ज्ञात हो कि पिछले लगभग एक साल से कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 के खिलाफ विभिन्न राज्यों व राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं।

Web Title: Farmers' satyagraha bowed to arrogance, PM should not 'dare' again: Rahul

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे