किसान लालकिले पर पहुंचे, पुलिस के साथ हुई झड़प, आंसू गैस के गोले छोड़े गए

By भाषा | Published: January 26, 2021 05:41 PM2021-01-26T17:41:08+5:302021-01-26T17:41:08+5:30

Farmers reach Red Fort, clash with police, tear gas shells are released | किसान लालकिले पर पहुंचे, पुलिस के साथ हुई झड़प, आंसू गैस के गोले छोड़े गए

किसान लालकिले पर पहुंचे, पुलिस के साथ हुई झड़प, आंसू गैस के गोले छोड़े गए

नयी दिल्ली, 26 जनवरी लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए। लालकिले में किसान ध्वज-स्तंभ पर भी चढ़ गए।

वहीं, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर पिछले दो महीने से राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले किसान नेताओं ने इन प्रदर्शनकारियों से खुद को अलग कर लिया। एक युवक को लालकिले में ध्वज-स्तंभ पर एक त्रिकोण आकार का पीले रंग का झंडा फहराते देखा गया। इसी पर देश के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान झंडा फहराया जाता है। हालांकि बाद में प्रदर्शनकारियों को लाल किले के परिसर से हटा दिया गया।

गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर देश की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है। किसानों को गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन के बाद तय मार्ग पर ट्रैक्टर परेड़ की अनुमति दी गई थी, लेकिन इन शर्तों का उल्लघंन हुआ। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई और लाठीचार्ज किया गया। प्रदर्शनकारियों के इन समूहों में अनेक युवा थे जो मुखर और आक्रामक थे।

पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। वहीं आईटीओ पर सैकड़ों किसान पुलिसकर्मियों का लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे। एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।

आईटीओ एक संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी एक कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे। सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे। यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा।

दिन चढ़ने के साथ ही हजारों किसान इधर उधर घूमते दिखे। हजारों और किसान आईटीओ से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित लाल किले पर एकत्रित हो गए। इनमें से कुछ पैदल, कुछ ट्रैक्टर और यहां तक कि कुछ घोड़ों पर सवार होकर वहां पहुंचे थे।

प्रदर्शनकारी मुगल कालीन लालकिले के परिसर में घुस गए और गुंबदों और प्राचीर पर चढ़ने का प्रयास किया। इनमें से कुछ उस ध्वज-स्तंभ पर झंडा फहराने के लिए चढ़ गए जिस पर प्रधानमंत्री प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराते हैं।

भीड़ बढ़ने के साथ ही तनाव भी बढ़ने लगा। आईटीओ पर पुलिस द्वारा पीछे धकेले जाने पर कुछ प्रदर्शनकारी किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ लालकिला परिसर की ओर चल दिये। बड़ी भीड़ एकत्रित होने पर सुरक्षाकर्मियों उन्हें देखते रहे।

हालांकि अभी किसी के चोटिल होने की तत्काल कोई जानकारी नहीं है लेकिन एंबुलेंसों को लालकिले के परिसर में प्रवेश करते देखा गया। पुलिस ने लालकिले से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया। शहर में अन्य जगहों पर भी तनाव का पता चला है।

पुलिस ने शाहदरा के चिंतामणि चौक पर किसानों पर तब लाठीचार्ज किया जब उन्होंने बैरिकेड तोड़ने के साथ ही कारों की खिड़की के शीशे तोड़ दिए। ‘निहंगों’ का एक समूह अक्षरधाम मंदिर के पास सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गया। पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई चौक और मुकरबा चौक पर किसानों ने सीमेंट के बेरीकेड तोड़ दिये और पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

कई जगहों पर अराजकता उत्पन्न होने के बाद किसान यूनियन के नेताओं ने खुद को इससे अलग कर लिया।

एक नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम किसानों के खिलाफ हिंसा की निंदा करते हैं, सभी से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि 41 यूनियनों वाले निकाय संयुक्त किसान मोर्चा से कोई भी व्यक्ति बाहरी रिंग रोड पर नहीं गया।

स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने भी कहा कि वह शांति के लिए हाथ जोड़कर अपील कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज गणतंत्र दिवस है।’’

तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के कई सीमा बिंदुओं पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के एक सदस्य ने कहा कि जिन लोगों ने टिकरी सीमा बिंदु पर बैरिकेड तोड़े हैं वे किसान मजदूर संघर्ष कमेटी से सम्बद्ध थे।

उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की ट्रैक्टर परेड पुलिस द्वारा रास्ता देने के बाद निर्धारित समय पर शुरू होगी। उन्होंने कहा कि किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने सोमवार को घोषणा की थी कि वे गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के व्यस्त बाहरी रिंग रोड पर अपना मार्च करेंगे।

दिन की शुरुआत जश्न के माहौल से हुई जिसमें किसान ‘‘रंग दे बसंती’’ और ‘‘जय जवान जय किसान’’ के नारे लगाते हुए अपनी प्रस्तावित परेड के लिए अपने ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों, घोड़ों और यहां तक की क्रेनों पर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पार कर रहे थे।

विभिन्न स्थानों पर सड़कों के दोनों ओर खड़े स्थानीय लोग ढोल-नगाड़ों की थाप के बीच किसानों पर फूल बरसाते दिखे। झंडे लगे वाहनों के ऊपर खड़े प्रदर्शनकारी ‘‘ऐसा देश है मेरा’’ और ‘‘सारे जहां से अच्छा’’ जैसे देशभक्ति गीतों की धुन पर नाचते देखे गए। हालांकि इसके तुरंत बाद मूड बदल गया।

जब हिंसा भड़की तो दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की कि वे कानून को अपने हाथ में न लें और शांति बनाए रखें।

पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर परेड के लिए उनके पूर्व-निर्धारित मार्गों पर वापस जाने के लिए कहा।

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने किसानों के उस वर्ग के कृत्यों की निंदा की, जिसने अपनी ट्रैक्टर रैली के तौर पर लालकिले में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि इसने भारत के लोकतंत्र की गरिमा के प्रतीक का उल्लंघन किया है।

पटेल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘लालकिला हमारे लोकतंत्र की गरिमा का प्रतीक है। किसानों को इससे दूर रहना चाहिए था। मैं इस गरिमा के उल्लंघन की निंदा करता हूं। यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा। देशहित के लिए कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो!’’

माकपा ने किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किये गए व्यवहार के लिए केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि उन पर आंसू गैस के गोले छोड़ना और लाठीचार्ज करना ‘‘अस्वीकार्य’’ है।

मध्य और उत्तरी दिल्ली में 10 से अधिक मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार अस्थायी रूप से बंद कर दिये गए हैं।

तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और अपनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान गत 28 नवम्बर से दिल्ली के सीमा बिंदुओं टिकरी, सिंघू और गाजीपुर पर डेरा डाले हुए हैं। इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं।

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