किसानों के समर्थन में उतरीं बसपा सुप्रीमो मायावती, कहा- कृषि कानून पर दोबारा विचार करे मोदी सरकार
By धीरज पाल | Published: November 29, 2020 09:49 AM2020-11-29T09:49:18+5:302020-11-29T09:58:31+5:30
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती ने कृषि बिल को लेकर मोदी सरकार को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि देश में किसान आक्रोशित हैं।
केंद्र की मोदी सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा और यूपी के हजारों किसान दिल्ली कूच के लिए राजधानी के बॉर्डरों पर डेरा जमाए बैठे हुए हैं। वहीं प्रदर्शनकारी किसान आज यानी 29 नवंबर को जंतर-मंतर या संसद भवन जाकर प्रदर्शन कर सकते हैं। किसान आंदोलन के बीच प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। इसी बची यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती ने कृषि बिल को लेकर मोदी सरकार को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि देश में किसान आक्रोशित हैं।
मायावती ने रविवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से सम्बन्धित हाल में लागू किए गए तीन कानूनों को लेकर अपनी असहमति जताते हुए पूरे देश में किसान काफी आक्रोशित व आन्दोलित भी हैं। इसके मद्देनजर, किसानों की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केन्द्र सरकार अगर पुनर्विचार कर ले तो बेहतर।
केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से सम्बन्धित हाल में लागू किए गए तीन कानूनों को लेकर अपनी असहमति जताते हुए पूरे देश में किसान काफी आक्रोशित व आन्दोलित भी हैं। इसके मद्देनजर, किसानों की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केन्द्र सरकार अगर पुनर्विचार कर ले तो बेहतर।
— Mayawati (@Mayawati) November 29, 2020
गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को दिया आश्वासन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि ''मैं प्रदर्शनकारी किसानों से अपील करता हूं कि भारत सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है। कृषि मंत्री ने उन्हें 3 दिसंबर को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। किसानों की हर समस्या और मांग पर विचार करने के लिए सरकार तैयार है।''
अमित शाह ने कहा है कि ''यदि किसान संगठन 3 दिसंबर से पहले चर्चा करना चाहते हैं, तो मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जैसे ही आप अपना विरोध प्रदर्शन निर्दिष्ट स्थान पर स्थानांतरित करेंगे, हमारी सरकार अगले दिन आपकी चिंताओं को दूर करने के लिए बातचीत करेगी।''
#WATCH | I appeal to the protesting farmers that govt of India is ready to hold talks. Agriculture Minister has invited them on December 3 for discussion. Govt is ready to deliberate on every problem & demand of the farmers: Union Home Minister Amit Shah pic.twitter.com/pby5YjpMcI
— ANI (@ANI) November 28, 2020
अमित शाह की किसानों से अपील के बाद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों से आग्रह किया है कि वे केंद्रीय गृह मंत्री की एक निर्धारित स्थान पर शिफ्ट होने की अपील स्वीकार कर लें। इस प्रकार अपने मुद्दों को हल करने के लिए शुरुआती बातचीत का मार्ग प्रशस्त होगा।
किसानों की मांग
आंदोलनकारी किसानों की सबसे पहली मांग है कि केंद्र की मोदी सरकार की तीन कृषि कानूनों को रद्द करें । वो तीन कृषि कानून है कि कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) एक्ट, 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार एक्ट, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) एक्ट 2020 । किसान संगठनों की शिकायत है कि नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को होगा।
किसानों को सबसे बड़ा डर है कि इस कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP खत्म हो जायेगा। अब तक किसान अपनी फसल को अपने आस-पास की मंडियों में सरकार की ओर से तय की गई MSP पर बेचते थे। वहीं इस नए किसान कानून के कारण सरकार ने कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि के कारोबार को मंजूरी दे दी है। इसके कारण किसानों को डर है की उन्हें अब उनकी फसलों का उचित मुल्य भी नहीं मिल पाएगा।
आपको बता दें कि पंजाब और हरियाणा में किसान कानून का विरोध सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। इन राज्यों में सरकार को मंडियों से काफी ज्यादा कमाई होती है। वहीं कहा जा रहा है कि नए किसानों कानून के कारण अब कारोबारी सीधे किसानों से अनाज खरीद पाएंगे, जिसके कारण वह मंडियों में दिए जाने वाले मंडि टैक्स से बच जाएंगे। इसका सीधा असर राज्य के राजस्व पर पड़ सकता है।
वहीं केंद्र सरकार अपने बयानों में कई बार कह चुकी है कि वो एमएसपी जारी रखेगी, इसके साथ ही देश में कहीं भी मंडियों को बंद नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन सरकार ने इस बात को नए कानून में नहीं जोड़ा है। जिससे किसानों में भारी मात्रा में असंतोष और असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
इसके अलावा किसान बिजली बिल का भी विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार के बिजली कानून 2003 की जगह लाए गए बिजली (संशोधित) बिल 2020 का विरोध किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इस बिल के जरिए बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण किया जा रहा है। केंद्र सरकार बिजली वितरण प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने की जल्दबाजी में है।
आपको बता दें कि कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच 17 अप्रैल को ऊर्जा मंत्रालय की ओर से बिजली संशोधन बिल-2020 का ड्राफ्ट जारी किया गया था।