कृषि बिल पर किसानों का विरोध, केंद्र ने 32 किसान यूनियन को किया आमंत्रित, जानिए सबकुछ
By एसके गुप्ता | Published: November 26, 2020 08:47 PM2020-11-26T20:47:42+5:302020-11-26T20:48:58+5:30
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि पंजाब के किसानों का यह प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित है। क्योंकि नए कानून में हर तरह से किसान के हित को देखा गया है।
नई दिल्लीः नए कृषि सुधार कानूनों के विरोध में गुरूवार को किसानों ने पंजाब से दिल्ली आने के लिए कूच किया। जिन्हें पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर रोक दिया गया।
किसानों के उग्र प्रदर्शन के बीच किसान और पुलिस में झड़प भी हुई। किसान नए कानूनों को अपने गले का फंदा बता रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि पंजाब के किसानों का यह प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित है। क्योंकि नए कानून में हर तरह से किसान के हित को देखा गया है।
मंडियों में होने वाले उसके शोषण को रोकने और अपनी फसल को एमएसपी से भी ज्यादा दामों में बेचने के पूर्ण अवसर दिए गए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव सुधांशु पांडेय ने पंजाब की 32 किसान यूनियनों को पत्र लिखकर नए कृषि सुधार कानून की शंकाओं को दूर करने के लिए आमंत्रित किया है। किसान नेताओं की यह बातचीत देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ होगी।
तोमर ने कहा कि राज्य चाहें तो अपनी मांग के अनुरूप अपने राज्य के कृषि कानून में संशेधन कर एमएसपी का प्रावधान कर सकते हैं। इसमें केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से वार्ता के लिए तैयार हूं।
देश में किसान केंद्र की ओर से पारित किए गए कृषि सुधार कानूनों का विरोध नहीं कर रहे हैं। यह विरोध विपक्षी दलों की ओर से किया जा रहा हे। क्योंकि एमएसपी न तो पुराने कृषि कानून में लिखी थी और न नए कानून में लिखी गई है। समस्या यह है कि केंद्र सरकार जो बात एक्ट में नहीं लिख रही है उसका ही वादा बाहर कर रही है। जिससे विरोध कर रहे किसानों में भ्रम फैल रहा है।
सरकार अपने ऑफिशियल बयान में एमएसपी जारी रखने और मंडियां बंद न होने का वादा कर रही है, पार्टी फोरम पर भी यही कह रही है। लेकिन इसका उल्लेख एक्ट में नहीं कर रही है। जिस वजह से किसान परेशान और भ्रम में हैं।
किसानों के प्रदर्शन की वजह :
-किसानों की डर का सबसे बड़ा कारण एमएसपी खत्म होना है। क्योंकि मंडी से बाहर फसल बेचने का रास्ता खोला गया है।
- सरकार ने बिल में मंडियों को खत्म करने की बात कहीं नहीं लिखी है। बिना टैक्स किसान मंडी के बाहर जब फसल बेचेगा तो मंडियों की जरूरत खत्म हो जाएगी। दूसरी बात किसानों को बिना मंडी के एमएसपी कैसे मिलेगी?
- किसानों की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि आढ़तिया या व्यापारी अपने 6-7 फीसदी टैक्स का नुकसान न करके मंडी से बाहर खरीद करेगा। इससे किसान का शोषण बढ़ेगा।
- कांट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों के अदालत जाने का हक छीना गया है। कंपनियों और किसानों के बीच विवाद पर एसडीएम फैसला करेगा। इसकी अपील कोर्ट के स्थान पर डीएम के यहां तक होगी।