देश भर में किसानों का आंदोलन उग्र, अदालत में चुनौती, राहुल बोले- कृषि क़ानून हमारे किसानों के लिए मौत की सज़ा
By शीलेष शर्मा | Published: September 28, 2020 08:20 PM2020-09-28T20:20:43+5:302020-09-28T20:20:43+5:30
उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों की सरकारों ने कृषि क़ानून के खिलाफ अब अपने अपने राज्यों में विधान सभा से प्रस्ताव पारित कराने की योजना बनायी है जिसके तहत राज्य सरकारें इसे ना लागू करने की आवाज़ उठाएगी।
नई दिल्लीः कृषि क़ानून बनने के बाद देश भर में चल रहा आंदोलन संसद से बाहर निकल कर सड़कों और अदालत तक जा पहुंचा है। जहाँ एक तरफ देश भर के किसान सड़कों पर निकल पड़े हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस सांसद टी एन प्रतापन ने इस क़ानून के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दाखिल कर इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए अदालत से न्याय की गुहार की है।
उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों की सरकारों ने कृषि क़ानून के खिलाफ अब अपने अपने राज्यों में विधान सभा से प्रस्ताव पारित कराने की योजना बनायी है जिसके तहत राज्य सरकारें इसे ना लागू करने की आवाज़ उठाएगी।
मना जा रहा है कि ऐसे प्रस्तावों से केंद्र और राज्यों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होगी। इस प्रस्ताव को पारित कराने की पहल छत्तीसगढ़ से होगी जिसके बाद दूसरे राज्य उसे पारित करेंगे। सड़कों पर उतरा किसानों का जन सैलाब किसी एक राजनीतिक दल का नहीं, जहाँ कांग्रेस बाद चढ़ कर हिस्सा ले रही है तो दूसरी तरफ तमिलनाडु में डीएमके नेता स्टालिन के नेतृत्व में किसान सड़कों पर उतर आये।
पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ रही है
पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। एक तरफ किसानों के समर्थन में वे आज शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव में अपने साथिओं के साथ धरने पर बैठे तो दूसरी तरफ राज्य में कैप्टन को अपना राजनीतिक वर्चस्व कायम रखने के लिए उनको अकाली दल से मुक़ाबला करना पड़ रहा है, क्योंकि अकाली दल ने जहाँ हरसिमरन कौर से मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दिलवाया तो उसके साथ ही एनडीए से भी तीन दशक पुराने रिश्ते को भी तोड़ लिया ताकि अकाली दल किसानों की सहानुभूति बटोर सके। अमरिंदर के साथ कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हरीश रावत और बड़ी संख्या में किसान इस धरने पर मौजूद थे।
कृषि क़ानून हमारे किसानों के लिए मौत की सज़ा हैं। उनकी आवाज़ संसद के अंदर और बाहर कुचल दी गयी है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 28, 2020
ये इस बात का प्रमाण है कि भारत में लोकतंत्र मर चुका है। pic.twitter.com/2q1fyQ4wiP
इस से पहले राजधानी दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ता कृषि क़ानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतर आये, उन्होंने इंडिया गेट के पास अपने ही एक ट्रैक्टर में आग लगा कर अपना विरोध जताया, जिसके कारण पांच कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
एक तरफ इंडिया गेट पर ट्रेक्टर जल रहा था तो दूसरी तरफ राज घाट पर बड़ी संख्या में युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता कानून के खिलाफ नारे बाजी करते हुए पहुंचे। यहाँ भी पुलिस ने उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया। राहुल गाँधी ने इन आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में ट्वीट किया "कृषि क़ानून हमारे किसानों के लिए मौत की सज़ा है।उनकी आवाज़ संसद के अंदर और बाहर कुचल दी गयी है।"
राहुल ने अपने इस ट्वीट के साथ राज्य सभा का एक वीडियो भी जोड़ा जिसमें डीएमके सांसद त्रिची शिवा अपनी सीट पर खड़े हो कर मतदान की मांग कर रहे है , जिसे उप-सभा पति हरवंश ने ठुकरा दिया था। राहुल ने इस वीडियो पर टिप्पणी की यह इस बात का प्रमाण है कि भारत में लोकतंत्र मर चुका है।
पंजाब , हरियाणा , तमिलनाडु , महाराष्ट्र , तेलंगाना , छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के साथ साथ उत्तर प्रदेश में भी किसानों का आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस ने परिवर्तन चौक पर गिरफ्तार किया। कांग्रेस का दावा है कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन और उग्र होगा और सरकार को मजबूर करेगा कि वह एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए एक और विधेयक संसद में लाये।
Punjab: Kisan Mazdoor Sangharsh Committee continues 'rail roko' agitation in Amritsar, in protest against #FarmBills.
— ANI (@ANI) September 28, 2020
"Our protest will continue till Oct 2. We want to appeal to farmers across the country to take part in protest against Modi govt," says Gen Secy of Committee. pic.twitter.com/BOrpqPrxyo