आज मोदी सरकार-किसान के बीच होगी बातचीत, टैक्सी यूनियन ने 2 दिन में अन्नदाताओं की मांग पूरी नहीं होने पर दी हड़ताल की धमकी
By अनुराग आनंद | Published: December 1, 2020 07:53 AM2020-12-01T07:53:47+5:302020-12-01T07:56:20+5:30
किसान MSP-मंडियों को जिंदा रखने के भरोसे को लिखित रुप में मांग रहे हैं ऐसा ना होने पर NCR जाम करने की चेतावनी दे रहे हैं। इस बीच आज नरेंद्र मोदी सरकार किसान नेताओं से बात करने वाली है। जानें हर अपडेट....
नयी दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानून के विरोध में कई राज्यों के किसान सड़क पर आ गए हैं। किसानों की जिद को देखते हुए आखिरकार आज (मंगलवार) केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसान नेताओं के साथ बात करेंगे। इस बीच किसान पिछले 6 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं।
बता दें कि किसान MSP-मंडियों को जिंदा रखने के भरोसे को लिखित रुप में मांग रहे हैं ऐसा ना होने पर NCR जाम करने की चेतावनी दे रहे हैं। वहीं, ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगे नहीं मानी गई तो वे हड़ताल पर जाएंगे।
युनियन के अध्यक्ष ने इसकी जानकारी दी। यूनियन के अध्यक्ष बलवंत सिंह भुल्लर ने कहा कि वे किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए उन्हें दो दिन का समय दे रहे हैं। भुल्लर ने कहा, ‘‘ हम प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री से अपील करते हैं कि वे इन कानूनों को वापस लें। कॉर्पोरेट सेक्टर हमें बर्बाद कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर दो दिनों के भीतर सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है तो हम सड़क से अपने वाहनों को हटा लेंगे। हम देश के सभी चालकों से अपील करते हैं कि वे तीन दिसंबर से वाहन चलाना बंद कर दें।
कृषि मंत्री ने किसान संगठनों के नेताओं को मंगलवार को बातचीत के लिये आमंत्रित किया
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी एवं सर्दी का हवाला देते हुये तीन दिसंबर की जगह मंगलवार को बातचीत के लिये आमंत्रित किया है।
गौरतलब है कि हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले पांच दिनों से धरने पर हैं । केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका यह धरना सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया । इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा। तोमर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''कोरोना वायरस महामारी एवं सर्दी को ध्यान में रखते हुये हमने किसान यूनियनों के नेताओं को तीन दिसंबर की बैठक से पहले ही चर्चा के लिये आने का न्यौता दिया है।’’
उन्होंने बताया कि अब यह बैठक एक दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में तीन बजे बुलायी गयी है। उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को हुई बैठक में शामिल हुए सभी किसान नेताओं को इस बार भी आमंत्रित किया गया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने केंद्र से कहा कि किसानों की बात सुनें
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष को ‘न्यायपूर्ण’ बताते हुये केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह किसानों की आवाज क्यों नहीं सुन रही है और इस मुद्दे पर उसका हठी रवैया क्यों है । सिंह ने दोहराया कि उनकी सरकार इन ‘काले कानूनों’ के खिलाफ किसानों के साथ खड़ी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक कस्बों सुल्तानपुर लोधी और डेरा बाबा नानक की यात्रा के दौरान अनौपचारिक तौर पर मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘ जनता की बात सुनना सरकार का काम है । अगर कई राज्यों के किसान इस प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं तो इसका मतलब है कि वे वास्तव में दुखी हैं।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन कानूनों को किसानों के लिए फायदेमंद बताने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मोदी शुरू से यही कह रहे हैं और यही वजह है कि पंजाब इसके लिए अपने विधेयक लेकर आया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने की जगह उस पर ‘बैठ’ गए हैं।
(एजेंसी इनपुट)