Famous writer Ramesh Upadhyay passed away: हिंदी के प्रख्यात लेखक एवं "कथन" पत्रिका के संपादक रमेश उपाध्याय का आज यानी शनिवार को कोरोना के कारण निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो पुत्रियां और एक पुत्र हैं। उनकी पत्नी भी कोरोना से पीड़ित है । उत्तर प्रदेश के एटा जिले में 1 मार्च 1942 को जन्मे श्री उपाध्याय सातवें दशक के महत्वपूर्ण कथाकार थे और उन्होंने साहित्य के जनवादी आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहानी उपन्यास नाटक आलोचना अनुवाद तथा संपादन के क्षेत्र में 70 से अधिक किताबों का लेखन और संपादन किया था। वह प्रगतिशील मूल्यों के प्रतिबद्ध लेखक थे और जनवादी लेखक संघ की स्थापना से जुड़े हुए थे। श्री उपाध्याय की शिक्षा दीक्षा राजस्थान और दिल्ली में हुई थी तथा वह दिल्ली विश्वविद्यालय के वोकेशनल स्टडीज कॉलेज में हिंदी के प्राध्यापक के पद से सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन कर रहे थे और कथन पत्रिका का संपादन भी कर रहे थे।
उन्होंने समाज के विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर आज के सवाल श्रृंखला में 32 पुस्तकों का संपादन भी किया था। 70 के दशक में उन्होंने एक दशक तक पत्रकारिता भी की थी और दिल्ली प्रेस से भी जुड़े हुए थे। उन्होंने कई चर्चित नाटक एवम नुक्कड़ नाटक भी लिखे थे जिसमें "पेपरवेट" "गिरगिट "राजा की रसोई" "हरिजन "सफाई चालू है "बहुत लोकप्रिय हुआ था।
उन्होंने अंग्रेजी और गुजराती से भी कई किताबों के अनुवाद किए थे जिनमे सुभाषचंद्र बोस की जीवनी भी शामिल है। जनवादी लेखक संघ प्रगतिशील लेखक संघ और जनसंस्कृति मंच से जुड़े लेखकों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।