हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार स्वयं प्रकाश नहीं रहे, रक्त कैंसर से पीड़ित थे
By भाषा | Published: December 7, 2019 06:59 PM2019-12-07T18:59:57+5:302019-12-07T18:59:57+5:30
उन्हें तीन चार दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुंबई के सांताक्रूज स्थित विद्युत शव दाहगृह में उनका शनिवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। स्वयं प्रकाश हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सतर्कता अधिकारी और हिंदी अधिकारी रहे थे।
हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार स्वयं प्रकाश का शनिवार सुबह मुंबई के लीलावती अस्पताल में निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। उनकी पुत्री अंकिता ने बताया कि वह पिछले एक माह से रक्त कैंसर से जूझ रहे थे।
उन्हें तीन चार दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुंबई के सांताक्रूज स्थित विद्युत शव दाहगृह में उनका शनिवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। स्वयं प्रकाश हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सतर्कता अधिकारी और हिंदी अधिकारी रहे थे।
विगत लगभग दो दशकों से वह भोपाल में रह रहे थे। प्रगतिशील लेखक संघ की मुखपत्रिका 'वसुधा ' और बच्चों की चर्चित पत्रिका 'चकमक' के सम्पादक रहे स्वयं प्रकाश के एक दर्जन से अधिक कहानी संग्रह और पांच उपन्यास प्रकाशित हुए थे।
उन्हें साहित्य अकादमी ने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से छपी बच्चों की पुस्तक 'प्यारे भाई रामसहाय' के लिए बाल साहित्य का अकादेमी पुरस्कार दिया था। इसके अलावा उन्हें पहल सम्मान, भवभूति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, वनमाली पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मान दिये गये थे। उनकी आत्मकथात्मक कृति 'धूप में नंगे पाँव' का प्रकाशन इसी वर्ष हुआ था।