FACT: मनमोहन बनाम मोदी सरकार, जानिए किसके शासन में हुई सबसे ज्यादा आतंकी घटनाएं
By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: February 16, 2019 06:44 PM2019-02-16T18:44:59+5:302019-02-16T18:44:59+5:30
पुलवामा हमले के बाद से देश एक बार फिर 'सर्जिकल स्ट्राइक-2' की मांग कर रहा है। बात अगर मोदी बनाम मनमोहन सरकार की करें, तो गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2014-18 के बीच कश्मीर में आतंकी हमले काफी हद तक कम हुए हैं।
पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए। कश्मीर में इस तरह की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं, हालांकि भारत के तेवर देख पड़ोसी मुल्क की हिम्मत जरूर कम हुई है। साल 2016 में मोदी सरकार में सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था। इस दौरान उरी हमले में शहीद 19 सैनिकों का बदला लेते हुए भारत ने पाकिस्तान में घुसकर 40 आतंकियों सहित 9 जवानों को भी मौत के घाट उतार दिया।
अब पुलवामा हमले के बाद से देश एक बार फिर 'सर्जिकल स्ट्राइक-2' की मांग कर रहा है। बात अगर मोदी बनाम मनमोहन सरकार की करें, तो गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2014-18 के बीच कश्मीर में आतंकी हमले काफी हद तक कम हुए हैं।
2004-13 बनाम 2014-18: साल 2004 से 2018 के बीच कश्मीर में कुल 11,447 आतंकी हमले हुए, जिसमें 1,394 जवानों ने देश के नाम अपनी कुर्बानी दे दी। बात अगर 2004-2013 की करें, तो इस दौरान 9,739 आतंकी हमलों में 1,055 सैनिक शहीद हुए।
यूपीए-1 बनाम यूपीए-2: साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को मात देकर कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आई। मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। यूपीए-1 में 8,022 बार आतंकी हमलों को अंजाम दिया गया, जिसमें कुल 806 सैनिक शहीद हुए। वहीं यूपीए-2 की सरकार में 1,717 आतंकी हमलों में 249 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई।
यूपीए-1 बनाम मोदी सरकार: गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2004-08 की तुलना में 2014-18 के बीच कश्मीर में आतंकी हमलों में लगभग पांच गुना कमी आई। वहीं सैनिकों की क्षति भी लगभग ढाई गुना कम रही।
यूपीए-2 बनाम मोदी सरकार: 2009-13 की तुलना में अगर 2014-18 को देखें, तो इसमें कुछ हद इजाफा नजर आया। इस दौरान आतंकी हमले कम जरूर रहे, लेकिन सैनिकों की शहादत कुछ ज्यादा रही।