विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा-शर्तों पर नहीं, चयन की स्वतंत्रता पर आधारित है भारत की विकास साझेदारी
By भाषा | Published: October 7, 2019 08:20 PM2019-10-07T20:20:50+5:302019-10-07T20:20:50+5:30
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि साझेदार देशों के साथ भारत का विकास सहयोग समानता, संप्रभुता के लिए परस्पर सम्मान और चयन की स्वतंत्रता पर आधारित है, न कि प्रतिस्पर्धा, शर्तों और निर्देश पर। भारत के विकास साझेदारी कार्यक्रम ‘भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) के 55 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि वैश्विक विकासशील देश भारत के लिए महत्वपूर्ण साझेदार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम साथ मिलकर दुनिया के 6.3 अरब लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। हममें से कई के सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंध हैं, फिर चाहे वह समु्द्री व्यापार के माध्यम से हों या फिर संस्कृति के। हमारे पूर्वजों ने साथ मिलकर उपनिवेशवाद की बेड़ियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। आज सब सभी का कुल द्विपक्षीय व्यापार करीब 220 अरब डॉलर का है।’’
जयशंकर ने आईटीईसी कार्यक्रम की तारीफ करते हुए कहा कि भारत का विकास सहयोग और बहुपक्षवाद के लिए समर्थन अंतर- संबद्धता और परस्पर निर्भरता के दर्शन से प्रेरित है, जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक पिछले 55 वर्षों के दौरान आईटीईसी एक ऐसा माध्यम रहा है, जिसके जरिए भारत ने अपनी वृद्धि और विकास के विशाल और अनोखे अनुभव को साझा किया है।
इसके तहत वैश्विक विकासशील देशों के 160 साझेदारों के दो लाख से अधिक सरकारी अधिकारियों और पेशेवरों को देश के शीर्ष संस्थानों में प्रशिक्षित किया गया। इस अवसर पर जयशंकर ने ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती की शुरूआत की, जो अफ्रीका के लिए टेली-शिक्षा और टेली-चिकित्सा परियोजना है और जो विदेश मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही बड़ी परियोजनाओं में एक है।
जयशंकर ने कहा कि इस परियोजना के जरिए अफ्रीकी छात्र अपने घरों में बैठकर श्रेष्ठ भारतीय शिक्षा हासिल कर सकेंगे और अफ्रीकी चिकित्सकों को भारतीय चिकित्सा दक्षता मिलेगी।