लोकसभा चुनाव: तेलंगाना-आंध्र प्रदेश बन सकते हैं किंग मेकर, गोयल-गडकरी को भाजपा ने दी जिम्मेदारी
By संतोष ठाकुर | Published: May 20, 2019 06:18 AM2019-05-20T06:18:41+5:302019-05-20T07:42:54+5:30
एक्जिट पोल में भाजपा को हालांकि अपने बूते ही 300 सीटें मिलती दिख रही है उसके बाद भी किसी भी तरह के संशय से निपटने के लिए भाजपा ने दक्षिण में अपने सहयोगी की संख्या बढ़ाने के लिए अपने विश्वस्त नेताओं नितिन गडकरी और पीयूष गोयल को जिम्मेदारी देते हुए संबंधित पक्षों से बात करने का दायित्व दिया है।
एक्जिट पोल के नतीजों मेंं यह संकेत मिल रहा है कि अगर केंद्र में सरकार बनाने के लिए सीटों की कुछ कमी होती है तो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश किंग मेकर राज्य बन सकते हैं। रोचक यह है कि केंद्र में गैर एनडीए— गैर मोदी सरकार बनाने के लिए देश व्यापी परिक्रमा में जुटे चंद्रबाबू नायडू की राजनैतिक स्थिति काफी कमजोर होती दिख रही है। वहीं दूसरी ओर वाईएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश में सबसे बड़े दल के रूप में सामने आता दिख रहा है।
भाजपा के रणनीतिकारों ने एक्जिट पोल के बाद अपने प्रयास शुरू कर दिए हैं। एक्जिट पोल में भाजपा को हालांकि अपने बूते ही 300 सीटें मिलती दिख रही है उसके बाद भी किसी भी तरह के संशय से निपटने के लिए भाजपा ने दक्षिण में अपने सहयोगी की संख्या बढ़ाने के लिए अपने विश्वस्त नेताओं नितिन गडकरी और पीयूष गोयल को जिम्मेदारी देते हुए संबंधित पक्षों से बात करने का दायित्व दिया है। गडकरी पूर्व में गोवा में सरकार बनवाने और पीयूष गोयल तमिलनाडू में इस आम चुनाव में 13 दलों का सबसे बड़ा गठबंधन करने में कामयाब रहे हैं।
एक्जिट पोल में सबसे बड़ा झटका गैर एनडीए—गैर मोदी सरकार मुहिम चला रहे टीडीपी और उसके नेता चंद्रबाबू नायडू को मिलता दिख रहा है। उन्हें पचास प्रतिशत सीटों का नुकसान लगभग सभी एक्जिट पोल दिखा रहे हैं। पिछले चुनाव में जब वह एनडीए के साथ थे तो उन्होंने 15 सीटें जीती थी। जबकि इस बार उन्हें आंध्रप्रदेश में 4—7 सीटें मिलने की उम्मीद जाहिर की जा रही है। वहीं, दूसरी ओर जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस को 18 सीटेंं मिलती दिख रही है।
इसी तरह से तेलंगाना में टीआरएस को पिछले आम चुनाव में मिले 11 सीटें की जगह 14 सीटेंं मिलती दिख रही है। ऐसे में यह सामने आ रहा है कि तेलंगाना में टीआरएस—तेलंगाना राष्ट्रवादी समिति के प्रति लोगों का विश्वास कायम है। शायद भाजपा को भी इस तरह के नतीजों का पूर्वानुमान था और संभवत: यही वजह रही होगी कि भाजपा ने एक समय के बाद टीआरएस या उसके प्रमुख के.चंद्रशेखर राव पर हमला बंद कर दिया था। यह शायद चुनाव बाद के गठबंधन की संभावना का ही आकलन था।
एक वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि हम निश्चित तौर पर अपने दम पर ही 300 सीटें हासिल करने वाले हैं लेकिन उसके बाद भी हम अपने सहयोगियों की संख्या बढ़ाने पर काम करना चाहते हैं। अंतिम चरण के चुनाव से पहले स्वयं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि हम नए सहयोगियों के लिए भी सहर्ष तैयार हैं। दक्षिण में हमें अपना विस्तार भी करना है। ऐसे में हमें अगर दक्षिण से नए साथी मिलते हैं तो यह हमारे लिए काफी बेहतर होगा।
उत्तर प्रदेश के नतीजोंं पर योगी आदित्यनाथ की साख
उत्तर प्रदेश के नतीजों पर सभी की नजर है। कुछ एक्जिट पोल जहां उप्र में भाजपा को सबसे अधिक, करीब 56—57 सीटें, नुकसान दिखा रहे हैं तो वहीं कई एक्जिट पोल यहां पर भाजपा को इस बार भी 60 से अधिक सीट मिलती दिखा रहे हैं। ऐसे में यहां पर सबसे अधिक राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा साख पर लगी हुई है। विगत में यहां पर गोरखपुर की अपनी परंपरागत सीट को भी भाजपा उपचुनाव में हार गई थी। जबकि यह स्वयं योगी आदित्यनाथ की सीट रही है।
भाजपा का एक बड़ा वर्ग योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश तक कार्य करता रहा है। लेकिन वहीं दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ की टीम ने ही सबसे पहले, अबकी बार 300 पार, का नारा दिया था। यही नहीं, योगी आदित्यनाथ भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री समस्त चुनाव के दौरान रहे हैं। उन्होंने भाजपा मुख्यमंत्रियों में सबसे अधिक सभाएं की। प्रधानमंत्री, भाजपा अध्यक्ष के बाद देश भर में सबसे अधिक मांग उनकी सभाओं की ही थी।