एक्सक्लूसिव: डाटा पर घमासान, मोदी सरकार और ट्राई शायद ही दे दखल, वोडाफोन-एयरटेल ने बढ़ाएं दाम

By संतोष ठाकुर | Published: December 3, 2019 07:52 AM2019-12-03T07:52:55+5:302019-12-03T07:52:55+5:30

ट्राई का कहना है कि दरों को बढ़ाने के लिए कंपिनयों को ट्राई से अनुमति की जरूरत नहीं है

Exclusive: spilt on data, Modi government and TRAI hardly interfere, Vodafone-Airtel increase prices | एक्सक्लूसिव: डाटा पर घमासान, मोदी सरकार और ट्राई शायद ही दे दखल, वोडाफोन-एयरटेल ने बढ़ाएं दाम

वर्ष 2014 में यह 269 रुपए प्रति जीबी था. जबकि अब यह दर घटकर 11 रुपए प्रति जीबी तक आ गई है.

Highlightsमंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि यह कहना कि दाम में 40 प्रतिशत तक इजाफा होगा, यह गलत है.दालत के आदेश के बाद कंपनियों पर 92 हजार करोड़ रुपए दूरसंचार मंत्रालय को विभिन्न मद में अदा करने का दबाव बढ़ गया है.

देश की लगभग सभी कंपनियों ने अपने टैरिफ में इजाफा कर दिया है. इससे डाटा की दरों में करीब 40 प्रतिशत तक इजाफा की आशंका व्यक्त की जा रही है. लेकिन, दूसरी ओर इंग्लैंड की केबल.को.यूके ने एक ड्राफ्ट जारी करते हुए कहा है कि दुनिया में इस समय भी सबसे सस्ता डाटा भारत में मिलता है. उसने दुनिया के करीब दो सौ देशों के 6313 डाटा प्लान की समीक्षा करते हुए कहा है कि भारत में प्रति जीबी डाटा की कीमत 0.26 डॉलर है. जबकि सबसे महंगा डाटा 20.22 डॉलर प्रति जीबी स्विटजरलैंड में है. उसके बाद दक्षिण कोरिया में प्रति जीबी डाटा 15.12 तथा अमेरिका में प्रति जीबी डाटा की कीमत 12.37 डॉलर है.

कहा जा रहा है कि अगर इंडस्ट्री को जीवित रखना है तो कुछ ऐसे कदम उठाने जरूरी होंगे जिससे इनका संचालन भी होता रहे. इधर, सरकार और ट्राई की ओर से डाटा घमासान पर शायद ही कोई दखल दिया जाए. इसकी वजह यह है कि सरकार इसे कंपनियों के गठजोड़ या कार्टल के रूप में नहीं देखती है.

वहीं, ट्राई का कहना है कि दरों को बढ़ाने के लिए कंपिनयों को ट्राई से अनुमति की जरूरत नहीं है. वह अपनी मर्जी से टैरिफ बढ़ा सकती है. क्या लगातार दाम बढ़ाए जाने पर भी ट्राई या सरकार का यही रुख रहेगा, इस पर दूरसंचार मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार हमेशा उदासीन रहती है. अगर यह लगता है कि अनावश्यक रूप से कंपनियों ने गठजोड़ कर दाम बढ़ाए हैं तो उस मामले में दखल दिया जाता है.

दाम में 40% तक इजाफे की बात गलत :

मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि यह कहना कि दाम में 40 प्रतिशत तक इजाफा होगा, यह गलत है. कंपनियों ने इतने प्लान दिए हैं कि हर किसी के पास पहले से बेहतर प्लान चुनने का अवसर होगा. हां, पहले डाटा अनियंत्रित रूप से दिया जा रहा था और अब कंपनियों ने उसको लेकर एक नियंत्रण रेखा बनाने का कार्य किया है. जिससे अधिक खपत वालों से वह कुछ पैसा हासिल कर पाए.

दामों में न्यूनतम इजाफा ही ग्राहकों के सामने आएगा:

एक दूरसंचार कंपनी के बड़े अधिकारी ने कहा कि दाम में कुछ इजाफा जरूरी भी था. इसकी वजह यह है कि अदालत के आदेश के बाद कंपनियों पर 92 हजार करोड़ रुपए दूरसंचार मंत्रालय को विभिन्न मद में अदा करने का दबाव बढ़ गया है. इसके साथ ही कंपनियों को आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए पैसा चाहिए.

स्पेक्ट्रम के लिए करीब 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि कंपनियों को चाहिए. वहीं, अगर डाटा की बात करें तो वर्ष 2014 में यह 269 रुपए प्रति जीबी था. जबकि अब यह दर घटकर 11 रुपए प्रति जीबी तक आ गई है. दाम बढ़ने के बाद भी यह दर 14 से 15 रुपए प्रति जीबी तक पहुंचेगी. ऐसे में न्यूनतम इजाफा ही ग्राहकों के सामने आएगा. हां, अधिक डाटा उपयोग के लिए कुछ अधिक राशि देनी होगी. अगर इंडस्ट्री को जीवित रखना है तो कुछ ऐसे कदम उठाने जरूरी होंगे जिससे इनका संचालन भी होता रहे.

Web Title: Exclusive: spilt on data, Modi government and TRAI hardly interfere, Vodafone-Airtel increase prices

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