Exclusive: नौकरशाहों की नकेल कसने पर कटिबद्ध पीएम नरेंद्र मोदी, उपसचिव और निदेशक स्तर पर होंगी नियुक्तियां

By हरीश गुप्ता | Published: November 9, 2019 10:39 AM2019-11-09T10:39:47+5:302019-11-09T10:39:47+5:30

नीति आयोग ने 17 नवंबर तक उक्त पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. प्रधानमंत्री के अधीनस्थ डीओपीटी के एक अधिकारी ने कहा, ''यह सभी भर्तियां नियमित आईएएस कैडर और अन्य केंद्रीय सेवाओं के रास्ते से बाहर से होकर भारतीय नौकरशाही और प्रशासन में एक नये युग की शुरुआत होगी.''

Exclusive: PM Narendra Modi, who is determined to tighten the bureaucrats' appointments, will be appointed at the Deputy Secretary and Director level | Exclusive: नौकरशाहों की नकेल कसने पर कटिबद्ध पीएम नरेंद्र मोदी, उपसचिव और निदेशक स्तर पर होंगी नियुक्तियां

Exclusive: नौकरशाहों की नकेल कसने पर कटिबद्ध पीएम नरेंद्र मोदी, उपसचिव और निदेशक स्तर पर होंगी नियुक्तियां

Highlightsशुरुआत बायो-मेट्रिक पद्धति के विरोध के साथ हुई.वह सभी दो घंटे का भोजन अवकाश और शाम को पार्टी के लिए वक्त चाहते थे.

नौकरशाही का अडि़यल रुख कायम रहने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब यहां पर भी कामकाज के तौर-तरीकों में 'लक्ष्य आधारित' क्रांतिकारी परिवर्तन की ठान ली है. लालफीताशाही के जरिये कामों में अड़ंगे लगाने की नौकरशाही की आदत से निपटने के लिए मोदी पहले ही संयुक्त सचिव स्तर पर दूसरे रास्ते से नियुक्ति का रास्ता अपना चुके हैं.

पूरे नौकरशाही ढांचे में संयुक्त सचिवों को रीढ़ की हड्डी जैसा माना जाता है. केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) पहले ही विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की संयुक्त सचिव पद पर सीधी भर्ती कर चुका है. अब नीति आयोग और प्रशासन व कार्मिक विभाग (डीओपीटी) भी 50 अधिकारियों की इसी तरीके से सेवाएं लेने जा रहा है. फर्क केवल इतना है कि यह नियुक्तियां उपसचिव और निदेशक स्तर पर होंगी, जो संयुक्त सचिव से ठीक नीचे के पद होते हैं.

नीति आयोग ने 17 नवंबर तक उक्त पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. प्रधानमंत्री के अधीनस्थ डीओपीटी के एक अधिकारी ने कहा, ''यह सभी भर्तियां नियमित आईएएस कैडर और अन्य केंद्रीय सेवाओं के रास्ते से बाहर से होकर भारतीय नौकरशाही और प्रशासन में एक नये युग की शुरुआत होगी.'' इस अफसर ने कहा कि मई 2014 में ल्यूटन की दिल्ली में कदम रखने के बाद प्रधानमंत्री ने नौकरशाही के कामकाज के मंथर तरीके में बदलाव करना चाहा था.

शुरुआत बायो-मेट्रिक पद्धति के विरोध के साथ हुई. वह सभी दो घंटे का भोजन अवकाश और शाम को पार्टी के लिए वक्त चाहते थे. इसी दौरान कम से कम 30 प्रशासनिक संशोधन लाए गए. लेकिन नौकरशाही की मंथर गति से काम करने की संस्कृति यथावत रही. प्रधानमंत्री ने अपनी नाराजगी का संकेत 400 युवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए दिया. उन्होंने कहा कि युवा आईएएस अधिकारियों से कहा कि वह लोगों तक पहुंचे और उपनिवेशवाद की विरासत को बदल दें. गुजरात के केवडिया में आयोजित इस संयुक्त फाउंडेशन कोर्स में इस दौरान कई युवा आईएएस अधिकारी भी मौजूद थे.

मोदी ने कहा था, ''हम आपसे पूर्ववत स्थिति की अपेक्षा नहीं करते. बंद कमरों में लिए गए फैसले और सामंतशाही जैसा व्यवहार हमारी प्रणाली के लिए मददगार नहीं है.'' प्रधानमंत्री ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह कम से कम एक हफ्ता किसी पिछड़े जिले में रहकर वहां की समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए. लेकिन उन्होंने पाया कि कई अधिकारी उन्हें सौंपे गए काम को करने की योग्यता नहीं रखते. यही वजह है कि अब तक सचिव स्तर के 30 अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. प्रधानमंत्री के मुताबिक अधिकारी सेवा प्रदाता हैं और लोगों की जिंदगी को ज्यादा आसान बनना उनका कर्तव्य है.

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