एक्सक्लूसिव: कांग्रेस-NCP-शिवसेना के कई विधायकों ने अब तक नहीं किया समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर, जानें सरकार गठन की देरी की वजह
By हरीश गुप्ता | Published: November 18, 2019 07:49 AM2019-11-18T07:49:33+5:302019-11-18T07:49:33+5:30
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के कम से कम 15-16 विधायकों ने समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को अपने-अपने दलों के विधायकों के अलग-अलग हस्ताक्षर जमा कराने के लिए कहा है. वह चाहते हैं कि सभी विधायक हस्ताक्षर कर यह स्पष्ट रूप से कहें कि वे सरकार के गठन का समर्थन करते हैं.
तीनों दलों के नेताओं को प्रतिहस्ताक्षर कर प्रमाणित करना होगा कि इन विधायकों के हस्ताक्षर जबरदस्ती या अन्य किसी तरीके से हासिल नहीं किए गए हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों ने अत्यधिक गोपनीयता की शर्त पर 'लोकमत' को बताया कि संयुक्त विपक्षी दलों ने वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए इस पर काम शुरू कर दिया है. अब इन दलों के नेता अपने एक-एक विधायक से हस्ताक्षर हासिल करने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं.
वहीं, विधायक इन पत्रों पर हस्ताक्षर करने से पहले अपनी शर्तें थोप रहे हैं. दरअसल, कोश्यारी ने विधायकों की परेड की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने नेताओं से साफ कहा है कि वे अपने-अपने दल के प्रत्येक विधायक के हस्ताक्षरित समर्थन पत्र दें. इस कवायद को पहले राज्यपाल कर चुके हैं और यही वजह है कि विपक्षी दल इस मुद्दे पर हंगामा न कर चुप्पी साधे हुए हैं.
सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के करीब छह विधायक कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहते हैं अथवा अपने समर्थन की कीमत चाहते हैं. इसी हंगामे की वजह से रविवार को उद्धव ठाकरे और उनके बेटे को विधायकों को शांत करने के लिए होटल जाना पड़ा. उधर, कांग्रेस और राकांपा में भी यही कहानी है, जहां प्रत्येक विधायक अगर उनको मंत्री नहीं बनाया जाता है तो उन्हें इसकी कीमत मिले.
शनिवार को दोपहर तक नौ से अधिक विधायकों के हस्ताक्षर प्राप्त नहीं हुए थे. यही वजह है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल महाराष्ट्र में पार्टी नेताओं के जरिये उनके हस्ताक्षर जल्द से जल्द हासिल करने के लिए 24 घंटे काम कर रहे हैं.
यही है देरी की वजह :
एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अहम बैठक न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) या सत्ता साझेदारी व्यवस्था पर मतभेद के कारण नहीं हुई है. इस पर चर्चा के जारी है, लेकिन तीनों दलों के कम से कम 15-16 विधायकों ने समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. सही संख्या होने तक तीनों पक्ष राज्यपाल को पत्र प्रस्तुत नहीं कर सकते और यही देरी का कारण है.