Exclusive: भारत में कोरोना की चेन तोड़ने में लगेगा कितना समय और कब आएगी वैक्सीन, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिया जवाब, पढ़ें पूरा इंटरव्यू
By एसके गुप्ता | Published: July 26, 2020 12:45 PM2020-07-26T12:45:13+5:302020-07-26T13:08:19+5:30
रत में कोरोना वायरस को लेकर जारी स्थिति के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने लोकमत से बात की और कोविड-19 की चेन तोड़ने से लेकर वैक्सीन आने की तारीख पर जवाब दिया।
भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है और देश में अब तक 13 लाख 36 हजार 861 लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं। भारत में अब तक 31358 लोग कोरोना वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं और 8 लाख 49 हजार 432 लोगों के ठीक होने के बाद भी 4 लाख 56 हजार 71 एक्टिव केस मौजूद है। भारत में कोरोना वायरस को लेकर जारी स्थिति के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने लोकमत से बात की।
प्रश्न-1 : कोरोना का रिकवरी रेट बढ़ा है, लेकिन नए कंटेनमेंट जोन भी लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना की चेन को तोड़ने में अभी कितना समय लगेगा?
उत्तर – यह सच है कि केन्द्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रभावी उपायों से रिकवरी दर में काफी सुधार हुआ है। इस समय 8 लाख 49 हजार से अधिक रोगी स्वस्थ हुए हैं और जहां तक कुल मामलों पर सक्रिय मामलों के हिस्से की बात है यह लगभग एक तिहाई बनता है। देश के कुछ राज्यों में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं और इन राज्यों में कंटेनमेंट जोन की संख्या भी बढ़ रही है।
यह कोविड-19 का संक्रमण कब तक जारी रहेगा, इस बात पर निर्भर करता है कि राज्यों ने किस प्रकार के रोकथाम और नियंत्रण के उपाय किए हैं और वे कितने प्रभावी साबित हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अभी कोविड-19 पर काबू पाने के लिए कोई वैक्सीन या दवा नहीं है। इसके लिए सरकारी कार्रवाई और लोगों की ओर से मास्क/फेस कवर/गमछे का इस्तेमाल तथा फिजिकल डिस्टेंसिंग बहुत आवश्यक है। इनसे ‘सोशल वैक्सीन’ का प्रभाव मिलता है। कोरोना का वायरस बिल्कुल नया है, इसके फैलाव, प्रवृत्ति और तथ्यों की पूरी जानकारी किसी के पास नहीं है।
यह संक्रमण कब तक रहेगा, कई लोग इस बात का अनुमान गणित की गणना के आधार पर कर रहे हैं, जिसके लिए अनुमान और कल्पना का सहारा लिया जाता है। अब तक यह देखा गया है कि ऐसे अनुमान वास्तविकता के करीब सही नहीं बैठते। हम सब मिलकर कोरोना की चेन को तोड़ सकते हैं। इसके लिये हमें पूरी तरह मास्क, फेस कवर या गमछे का उपयोग करना होगा। घर से बाहर जाते समय ऐसा करना कभी नहीं भूलें। इसके अलावा आपस में 2 गज की दूरी जरूरी है। इनका शत-प्रतिशत पालन करने से हम इस महामारी के काल खंड को सीमित कर सकते हैं और शीघ्र इस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न-2 : कोरोना की वैक्सीन को लेकर कभी 15 अगस्त, कभी दिसंबर 2020 की तारीखें बताई जा रही हैं। हम वैक्सीन इजात करने की जिस स्टेज में हैं उसमें अभी कितना समय लगेगा। आपका क्या कहना है, भारत के लोगों तक वैक्सीन कब पहुंच पाएगी?
उत्तर- विश्व भर में काफी देश वैक्सीन और दवा बनाने के काम में तेजी से जुटे हैं। भारत की दो कंपनियां नैदानिक परीक्षण के पहले चरण में हैं, जबकि चीन की एक कंपनी अत्यंत उन्नत चरण में है और अंतिम अनुमति के निकट पहुंच गई है। ब्रिटेन की एक कंपनी ने तीसरे चरण में प्रवेश किया है, जबकि अमरीका की एक कंपनी दूसरे चरण में है। कुल मिलाकर विश्व में 23 कैंडिडेट नैदानिक चरण में हैं। इसके अलावा 140 कैंडिडेट पूर्व-नैदानिक स्थिति में हैं। कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए वैक्सीन की अत्यंत आवश्यकता है। हम केवल आशा कर सकते हैं कि शीघ्र प्रयास सफल हों।
प्रश्न-3 : दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्य प्लाज़्मा थेरेपी को कोरोना में रामबाण मान रहे हैं। केंद्र सरकार की इस पर क्या स्ट्रेटजी है?
उत्तर- देश में प्लाज़्मा थेरेपी का इस्तेमाल ऑफ लेवल इंवेस्टिगेशनल थेरेपी के रूप में किया जा रहा है। इस थेरेपी का इस्तेमाल ऐसे मध्यम से गंभीर रोगियों पर किया जाता है, जिनमें ऑक्सीजन सपोर्ट और स्टेरॉयड से स्वास्थ्य में कोई फायदा नहीं हो रहा । कुछ मामलों में यह थेरेपी कामयाब हो रही है। देश में 60 स्थानों पर 452 मरीजों पर यह ट्रायल पूरा हो गया है। इसके नतीजों का वैज्ञानिक आकलन किया जा रहा है।
प्रश्न-4 : कोरोना के इलाज और टेस्टिंग पर निजी अस्पतालों ने मरीजों को लाखों रुपये के बिल थमाए हैं। क्या सरकार की तरफ से कोरोना उपचार के रेट तय करने में देरी हुई है?
उत्तर- कोरोना के उपचार के लिए देश भर में कुल 14,467 विशेष कोविड अस्पताल, विशेष कोविड स्वास्थ्य केन्द्र और कोविड केयर सेंटर हैं। इन सब में कुल मिलाकर 15 लाख 62 हजार से अधिक बिस्तर हैं, जिनमें आइसोलेशन बिस्तर, आईसीयू बिस्तर और ऑक्सीजन सुविधा युक्त बिस्तर शामिल हैं। ये सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपचार केन्द्र हैं।
यह सच है कि जनवरी 2020 में कोविड-19 की जांच के लिए केवल एक प्रयोगशाला थी, लेकिन केन्द्र सरकार के कारगर प्रयासों से अब 1284 से अधिक प्रयोगशालायें हैं, जिनमें से 389 निजी क्षेत्र में हैं। प्रतिदिन जांच क्षमता 3 लाख 75 हजार हो गई है। अब तक 1 करोड़ 51 लाख से अधिक कुल जांच की गई हैं।
निजी अस्पतालों और निजी जांच केन्द्रों में उपचार और जांच की कीमत अदा करनी पड़ती है। शुरू-शुरू में जब निजी क्षेत्र में कोविड-19 के जांच केन्द्र बने तो उस समय वहां कम संख्या में रोगी जांच कराने के लिए पहुंचते थे। इसलिए इन केन्द्रों ने जांच का अधिक शुल्क लेना शुरू किया। जब इस बारे में मीडिया में भी खबरें आने लगीं तो सरकार ने संज्ञान लेकर राज्य सरकारों से उपचार और जांच के रेट तय करने के निर्देश दिए। अब निजी अस्पतालों और जांच केन्द्रों में उपचार तथा जांच की दरें तय कर दी गई हैं। इस बारे में सरकार के स्तर पर कोई देरी नहीं हुई।
प्रश्न-5 : दिल्ली में कोरोना टेस्ट से लेकर उपचार तक के लिए रोगी कई-कई दिनों तक भटकते रहे हैं। समय पर उपचार न मिलने के कारण कईयों की जान भी गई…इसके लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं?
उत्तर- दिल्ली में कोविड-19 के उपचार के लिए 157 फैसिलिटीज हैं। इसमें कुल मिलाकर ऑक्सीजन सुविधा वाले 19,635 आइसोलेशन बिस्तर, 8,585 ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बिस्तर और 1,540 आईसीयू बिस्तर हैं। इसके अलावा 844 वेंटिलेटर भी हैं। हो सकता है कि शुरूआती दिनों में रोगियों को उपचार और जांच के लिए कई स्थानों पर संपर्क करना पड़ा, लेकिन आज की स्थिति में बड़ी संख्या में बिस्तर खाली हैं। दिल्ली में अब तक 8,87,937 नमूनों की जांच की गई है।
प्रश्न-6 : बहुत सारे लोगों को होम क्वारंटाइन किया हुआ है। क्या कोरोना से निपटने के लिए अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था नहीं है?
उत्तर- आप जानते हैं कि कोरोना के 80 प्रतिशत रोगी लक्षण रहित होते हैं या उनमें मामूली लक्षण होते हैं जिनका देखभाल और उपचार डॉक्टरों के निर्देशानुसार किया जा सकता है। ऐसे मरीजों को अस्पतालों में नहीं रखा जाता क्योंकि अधिक लक्षण वाले और गंभीर मरीजों को सुविधा संपन्न अस्पतालों में उपचार और देखभाल की जरूरत होती है।
हमारी प्राथमिकता रहती है एक भी मौत नहीं होने दी जाये। इसलिये गंभीर रोगियों के लिये अस्पताल में बेहतर से बेहतर व्यवस्था की गई है। लक्षण रहित और मामूली लक्षण वाले मरीजों को अस्पताल में ऱखने से उनमें संक्रमण बढ़ने की आशंका रहती है। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने से परिवार और घर वालों को आने जाने में तकलीफ होती है।
ऐसे मरीजों का घर में क्वारंटाइन निर्धारित प्रोटोकाल के अनुसार किया जाता है और ऐसा तभी किया जाता हैं जब घर में मरीज के लिये एक अलग कमरा हो और एक केअर गिवर भी हो। इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर और अधिकारी मरीज पर प्रतिदिन नजर रखते हैं। तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में शिफ्ट करने की प्रक्रिया तेजी से की जाती है।
प्रश्न-7 : डब्ल्यूएचओ ने कोरोना से जंग में धारावी मॉडल की प्रशंसा की है। केंद्र सरकार की इस मॉडल को लेकर अन्य राज्यों पर क्या स्ट्रेटजी है?
उत्तर- विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने न केवल धारावी मॉडल की प्रशंसा की है अपितु जनवरी महीने से अब तक किये गये हमारे सभी प्रयासों की सराहना की है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमारा नेतृत्व यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मादी जी कर रहे हैं और उनकी सटीक मॉनिटरिंग और मार्गदर्शन के काऱण हम निर्णायक जीत की तरफ अग्रसर हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सभी राज्यों से कंटंनमेंट जोन में एक दूसरे राज्य की श्रेष्ठ प्रक्रियाओं का अनुकरण करने पर जोर दे रहा है।
एशिया के सबसे बड़े स्लम में कोरोना पर काबू पाना इतना आसान नहीं था लेकिन सामुदायिक किचन, पका तैयार खाना, साफ सफाई, ग्रोसरी समेत तमाम जरूरी वस्तुओं की पूर्ति, ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट, हर तरह की देखभाल और केन्द्र के दिशानिर्देशों के अनुसार सरकार, एनजीओ, निर्वाचित प्रतिनिधियों और स्थानीय निवासियों के बीच तालमेल से वहां संक्रमण पर मजबूत लगाम लगाना संभव हुआ। इसके अलावा धारावी में योगाभ्यास के माध्यम से लोगों का मनोबल भी बढ़ाया गया। अन्य राज्यों में आशा बहनों के सक्रिय योगदान तथा अहमदाबाद में धन्वंतरि रथ की श्रेष्ठ प्रक्रिया भी अनुकरणीय साबित हो रही है।
प्रश्न-8 : देश में आज एक हजार से ज्यादा लैब हैं, पीपीई किट और मास्क बनाने में हम आत्मनिर्भर हो गए। फिर सरकार कोरोना टेस्ट को फ्री क्यों नहीं कर देती और फ्री में मास्क डिस्ट्रिब्यूशन क्यों नहीं करती? जिससे सब मास्क पहन सकें और जरूरत मंद का टेस्ट हो सके, क्योंकि महंगा टेस्ट होने के कारण गरीब लोग अभी भी टेस्ट से बच रहे हैं। आपका क्या कहना है?
उत्तर- यह सत्य है कि भारत पहले पीपीई किट और एन-95 मास्क का आयात किया करता था जबकि आज हम न केवल आत्मनिर्भर बन गये हैं अपितु हमारी निर्यात करने की क्षमता है। कोविड-19 की जांच के लिये 1284 प्रयोगशालायें हैं जिनमें से 389 निजी क्षेत्र में हैं। सरकारी प्रयोगशालाओं में निशुल्क जांच की जाती है। निजी प्रयोगशालाओं में जांच की राशि पर सीमा तय की गई है ताकि लोगों को राहत दी जा सके। निजी प्रयोगशालाओं में मुफ्त जांच का निर्णय सरकार के कार्यक्षेत्र में नहीं आता। सरकार की सभी प्रयोगशालाओं में सभी जांच निशुल्क हैं।
प्रश्न-9 : सरकार की ओर से जारी हेल्पलाइन नंबर 1075 पर कॉल करने के बाद भी कई-कई दिन तक लोगों को कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता। जिला और कलस्टर स्तर पर अधिकारियों के जो नंबर जारी किए गए हैं, वह फोन नहीं उठाते। कोरोना रोगी और उसके परिजन क्या करें?
उत्तर- मैं तो यह कह सकता हूं कि हमारे मंत्रालय द्वारा शुरू की गई हेल्प लाइन 1075 और 91-11-23978046 पर प्रत्येक कॉल सुनी जाती है और उसका दैनिक डेटा और विवरण रखा जाता है। इसके अलावा आप हमारे मंत्रालय की कोविड सेवा @CovidIndiaSeva पर संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं। राज्यों की हेल्प लाइन के बारे में राज्य सरकारें बेहतर तरीके से बता सकती हैं।
प्रश्न-10 : इस तरह की महामारी के इलाज के लिए देश में कितने अस्पताल, चिकित्सक की जरूरत है? फिलहाल कितने अस्पताल और चिकित्सक मौजूद हैं?
उत्तर- कोविड-19 के उपचार के लिये देश में इस समय 1272 विशेष कोविड अस्पताल, 2788 विशेष कोविड स्वास्थ्य केन्द्र और 10407 कोविड केयर सेंटर हैं जिनमें 15 लाख 62 हजार से अधिक बिस्तर हैं। चिकित्सकों और विशेषज्ञों की कोई कमी नहीं हैं।
प्रश्न-11 : देश में राज्यवार कितने चिकित्सक व नर्स कोरोना उपचार में लगे हैं और कितने संक्रमित हुए हैं और उनमें से कितने ठीक हुए हैं?
उत्तर- जैसा कि पहले प्रश्न में बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों की कोई कमी नहीं हैं और ये सभी दिन रात कोविड-19 के मरीजों के उपचार और उनकी जीवन रक्षा में जुटे रहते हैं। हमें इन सब पर नाज है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी उन्हें कोरोना योद्धा के नाम से संबोधित करते हैं।
केन्द्र सरकार ने कोरोना योद्धाओं के साथ दुर्व्यवहार, आघात और अपमान करने के मामलों को संज्ञेय तथा गैर जमानती अपराध बना कर विशेष त्वरित अदालतों की तरह मामलों को शीघ्रातिशीघ्र निपटान और दोषियों के लिये कड़ी सजा के प्रावधान वाला अध्यादेश लागू करवाया है। इसके अलावा इनके लिये 50 लाख रुपये का बीमा भी दिया जा रहा है। इन योद्धाओं को संक्रमित होने आदि का डेटा अभी उपलब्ध नहीं है। सभी संबंधित डेटा स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर राज्यवार उपलब्ध है।
प्रश्न-12 : क्या सरकार की ओर से कोई अनुमान है कि आमजन पहले जैसी दिनचर्या या जिंदगी में कब तक लौट सकेगा?
उत्तर- लॉकडाउन 1.0 से 4.0 के बीच जनहित में पाबंदियां लगाई गईं थीं, मगर इसी दौरान एक-एक कर के पांबंदियों में ढील भी दी गई थी। अब अनलॉक 1.0 और 2.0 में बहुत कम पाबंदियां बाकी हैं। धीरे धीरे ये भी हट जाएगीं। आर्थिक गतिविधियां जारी हैं, व्यापार चल रहा है, ऑनलाइन शिक्षा भी जारी है, रेल, बसों और विमान सेवा की शुरुआत हो गयी है।
बाकी पाबंदियां हटवाने के लिये जनता को पूर्णतया मास्क के उपयोग और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। जितनी संजीदगी से आप सब इनका पालन करेंगे हम कोरोना को जल्दी पराजित कर सकेंगे और पाबंदियां हट जायेंगी। दिनचर्या अब काफी हद तक सामान्य है तो आपके सहयोग से पूरी तरह भी सामान्य होने में काफी लंबा वक्त नहीं लगेगा।