Election Flash Back: जोशी-शेखावत...सियासी दुश्मनी अपनी जगह, राजनीतिक दोस्ती अपनी जगह!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 19, 2018 07:13 AM2018-11-19T07:13:07+5:302018-11-19T07:13:07+5:30
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी राजस्थान के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो पहली विधान सभा से लेकर आजीवन एमएलए रहे.
कहते हैं- राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी स्थाई नहीं होती है, लेकिन अलग-अलग दलों में रहने के बावजूद राजनीतिक दोस्ती कैसे निभाई जा सकती है? यह राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत और राजस्थान के ही पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी से सीखा जा सकता है! राजस्थान की राजनीति में आज भी उनकी प्रत्यक्ष सियासी दुश्मनी और अप्रत्यक्ष राजनीतिक दोस्ती के कहे-अनकहे किस्से चर्चा में रहते हैं.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह सियासी तालमेल ही था जिसके कारण जोशी और शेखावत ने डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक राजस्थान की सियासत में दबदबा कायम रखा. जोशी और शेखावत अपनी चुनावी सभाओं में एक-दूजे पर तीखे सियासी हमले करते और खुले मंच पर बहस की चुनौती भी देते, लेकिन कभी ऐसा मौका नहीं आया कि जनता को उनकी खुली बहस देखने का अवसर मिल पाता.
अस्सी के दशक के अंतिम विधानसभा चुनाव में हरिदेव जोशी बांसवाड़ा से चुनाव लड़ रहे थे. बोफर्स की आंधी में कांग्रेस की संभावनाएं कमजोर पड़ती जा रही थी. जोशी के सामने एक बार फिर 1977 जैसी चुनौती थी, क्योंकि विपक्ष में गठबंधन हो चुका था, लेकिन आश्चर्य! एकमात्र बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर समझौता नहीं हुआ.
जनता दल का कहना था कि यह उनकी परंपरागत सीट हैं, इसलिए वे ही चुनाव लड़ेंगे तो उधर भैरोसिंह शेखावत का माही गेस्ट हाउस में प्रेस से कहना था कि- बांसवाड़ा सीट पर भाजपा मजबूत है, इसलिए इस सीट को छोड़ नहीं सकते हैं! इसका परिणाम यह रहा कि त्रिकोणात्मक संघर्ष में हरिदेव जोशी चुनाव जीत गए!
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी राजस्थान के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो पहली विस से लेकर आजीवन एमएलए रहे. वे आपातकाल के बाद चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के भी एकमात्र पूर्व मुख्यमंत्री थे.