लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग आज करेगा तारीखों का ऐलान, जानें बीजेपी-कांग्रेस के गठबंधनों का समीकरण और मुद्दे

By आदित्य द्विवेदी | Published: March 10, 2019 02:38 PM2019-03-10T14:38:17+5:302019-03-10T14:54:42+5:30

17वीं लोकसभा के गठन में अब तीन महीने से भी कम का वक्त बचा हुआ है। चुनाव आयोग आज तारीखों का ऐलान कर सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के साथ सरकार बनाने वाली बीजेपी नीत एनडीए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनावी मोड में आ चुकी है। वहीं सवा साल पहले कांग्रेस अध्यक्ष बने राहुल गांधी विपक्षी दलों के अगुआ होने के साथ ही लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। 

Election dates for Lok Sabha elections 2019 four states to be announced at 5 pm today | लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग आज करेगा तारीखों का ऐलान, जानें बीजेपी-कांग्रेस के गठबंधनों का समीकरण और मुद्दे

rahul gandhi-Narendra Modi

Highlightsतीन राज्यों में मिली जीत से कांग्रेस में आई नई जानबिहार-यूपी-झारखंड में चुनौती बनेगा महागठबंधन

17वीं लोकसभा के गठन में अब तीन महीने से भी कम का वक्त बचा हुआ है। चुनाव आयोग आज तारीखों का ऐलान कर सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के साथ सरकार बनाने वाली बीजेपी नीत एनडीए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनावी मोड में आ चुकी है। वहीं सवा साल पहले कांग्रेस अध्यक्ष बने राहुल गांधी विपक्षी दलों के अगुआ होने के साथ ही लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। 

तीन राज्यों में मिली जीत से कांग्रेस में आई नई जान

2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता पर काबिज के बाद से ही कांग्रेस को लगातार राज्य चुनावों हार का सामना करना पड़ा। पीएम मोदी-अमित शाह की अपराजेय जोड़ी ने कई राज्यों में बीजेपी का परचम लहराया। महाराष्ट्र, असम, त्रिपुरा जैसे राज्यों में बीजेपी पहली बार अपना मुख्यमंत्री बनवाने में सफल रही है। दिल्ली-बिहार को छोड़ दें तो कांग्रेस और विपक्षी दल कहीं बीजेपी के टक्कर में नहीं दिखे। मई 2018 के कर्नाटक चुनाव में पहली बार बीजेपी को तब झटका लगा जब ज्यादा सीट जीतने के बाद बावजूद पार्टी राज्य में सरकार बनाने में असफल रही। 

विपक्ष को भी महागठबंधन का महामंत्र इसी जीत के साथ मिला। अलग-अलग लड़ने वाले जेडीएस-कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई और बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस ने सीएम पद का भी मोह नहीं किया। राजनीतिक हलकों में ये माना जा रहा था कि 2019 चुनाव में कांग्रेस पार्टी बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में असमर्थ सी लग रही है। लेकिन दिसंबर 2018 में छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मिली जीत ने कांग्रेस पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक दी।

इन तीन राज्यों में लोकसभा की 65 सीटें हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। तीन राज्यों में मिली हार से शाह-मोदी के चुनावी जीत का तिलिस्म भी टूटा। इसके अलावा चुप से रहने वाले राहुल गांधी ने भी बेहद आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया। 

बिहार-यूपी-झारखंड में चुनौती बनेगा महागठबंधन

इन तीन राज्यों में लोकसभा की 154 सीटें हैं जहां पिछली बार एनडीए ने 116 सीटों पर जीत हासिल की थी। अकेले बीजेपी ही 106 सीटों पर विजयी रही। उत्तर प्रदेश में 73 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन का सामना करना पड़ेगा। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में भी बीजेपी की सुनामी वाली जीत से इन पार्टियों के अस्तित्व पर ही संकट नजर आने लगा।

इसके बाद कैराना, फूलपुर और गोरखपुर में पहली बार ये तीनों साथ लड़े जिसमें महागठबंधन की ताकत के आगे बीजेपी को झुकना पड़ा। बता दें कि गोरखपुर सीएम आदित्यनाथ और जबकि फूलपुर सीट डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की सीट थी। महागठबंधन में बसपा 38, सपा 37, रालोद तीन सीटों पर लड़ेगी जबकि अमेठी-रायबरेली में कांग्रेस के खिलाफ गठबंधन उम्मीदवार नहीं उतारेगा।

बिहार में जहां एक तरफ सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू, लोजपा और बीजेपी गठबंधन में तो वहीं आरजेडी ने कांग्रेस, हम, रालोसपा के साथ महागठबंधन किया है। 2014 लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए को 31 सीटें मिली थी। लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में आरजेडी-कांग्रेस ने जोरदार वापसी की है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जेल में हैं और पार्टी की कमान पूरी तरह तेजस्वी यादव के हाथों में है। झारखंड में बीजेपी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस, झाविमो, राजद और वामपंथी पार्टियों ने हाथ मिलाया है। 

दक्षिण में कड़ी टक्कर

दक्षिण की राज्यों की बात करें तो केरल में वामपंथी, कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस और तमिलनाडु में एआईएडीएमके की सरकार है। तमिलनाडु में कांग्रेस का डीएमके जबकि सत्तारूढ़ एआईएडीएमके ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया है। करिश्माई नेत्री रहीं जयललिता के बाद एआईएडीएमके पार्टी में काफी खींचतान हुई है। पिछली बार AIADMK ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2016 में डीएमके ने 89 सीट जीतकर दमदार वापसी की है। यहां हर बार जनता स्पष्ट बहुमत देती है। 

वहीं कर्नाटक में कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन किया, यहां लोकसभा की 28 सीटें है। केरल में बीजेपी अब तक लोकसभा सीट का खाता खोलने में असफल रही है। बीजेपी को उम्मीद महाराष्ट्र से दिख सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर कुल 48 सीट में से 41 पर जीत हासिल की थी। हालांकि पिछली बार शरद पवार की पार्टी एनसीपी कांग्रेस से अलग होकर लड़ी थी। इस चुनाव में दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया जिससे मुकाबला कड़ा होने की संभावना है।

पूर्वोत्तर से बीजेपी को उम्मीदें

ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के सात राज्यों में लोकसभा की 88 सीटें हैं। बीजेपी पिछले चुनाव में यहां 21 सीटें जीतने में सफल रही थी। असम-त्रिपुरा में सरकार बनाने वाली बीजेपी को उम्मीद है कि यहां उनकी सीटों की संख्या बढ़ेगी। चुनाव के मद्देनजर असम के प्रख्यात दिवंगत गायक भूपेन हजारिका को भारत रत्न से सम्मानित किया है।

लेकिन असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी)  विवाद और पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 को लेकर लोगों में भारी नाराजगी है। इन दोनों मुद्दे को लेकर पश्चिम बंगाल और असम में उग्र प्रदर्शन हुए हैं। ओडिशा में नवीन पटनायक की सरकार है। बीजेडी ने पिछले चुनाव में वहां 20 सीटों पर जीत हासिल की थी। माना जा रहा है कि चुनाव बाद बीजेडी एनडीए का समर्थन कर सकती है।

राष्ट्रवाद के पिच पर बीजेपी आक्रामक

तीन राज्यों में मिली चुनावी हार के बाद बैकफुट पर गई बीजेपी बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद फ्रंटफुट पर नजर आ रही है। पीएम मोदी भी अपनी सभाओं में कह रहे हैं कि आतंकवाद बर्दाश्त नहीं और आतंकियों को चुन-चुनकर कर मारेंगे। पिछले 20 दिनों से इस मुद्दे ने मीडिया का सारा स्पेस लिया हुआ है। आम जनमानस में भी एयर स्ट्राइक को लेकर उत्साह का माहौल है। वहीं अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। बीजेपी अयोध्या मामले में देरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है।

राफेल-बेरोजगारी पर कांग्रेस आक्रामक

पिछले छह महीनों से लगातार कांग्रेस और उनके पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल मामले में पीएम मोदी घेर रहे हैं। कांग्रेस का सीधा आरोप है कि इस मामले में पीएमओ स्तर से भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसके अलावा अंग्रेजी के प्रतिष्ठित अखबार द हिंदू के रिपोर्टर एन राम की रिपोर्ट्स ने मोदी सरकार को मुश्किल में डाला है। बुधवार को ही खबर आई है कि बेरोजगारी दर 2016 के बाद सबसे ज्यादा है। कांग्रेस पार्टी बेरोजगारी को भी लगातार मुद्दा बना रही है।

आरक्षण पर फंसी सरकार

विश्वविद्यालयों में रोस्टर में आरक्षण का मसला हो, एससी-एसटी एक्ट या गरीब सवर्णों के आरक्षण का मामला हो सरकार को बार-बार बैकफुट पर जाना पड़ा है। आरक्षण रोस्टर के सवाल पर 5 मार्च को भारत बंद का ऐलान किया गया था जिसके बाद सरकार को अध्यादेश लाना पड़ा। 

यह मसला बीजेपी के सवर्ण वोटरों को फिर भड़का सकता है। इसके अलावा एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटकर अध्यादेश लाने पर बीजेपी को अपने ही समर्थकों को भारी नाराजगी झेलनी पर पड़ी थी। दोनों बार मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ही अध्यादेश ला रही है। वहीं गरीब सवर्णों के आरक्षण के मसले पर आरक्षण पर राजनीति करने वाली पार्टियां कह रही है कि आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाए।

बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी आरक्षण के आग में जल चुकी है जब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने आरक्षण समीक्षा की बात कह दी थी। लालू यादव ने इसे खूब भुनाया और कहा कि आरएसएस-बीजेपी आरक्षण खत्म करने की साजिश कर रही है।

English summary :
Election Commission of India (EC) will held a press conference on 10th March to announce the Lok Sabha Poll 2019 Schedule, Date and Programs. The 16th Lok Sabha term will end in June and the voting for the formation of 17th Lok Sabha will expected to start around April-May 2019. Here are the political equations just before general elections for BJP-led NDA government and Congress lead UPA allaince. There is tough competition between Narendra Modi lead BJP and Rahul Gandhi lead Congress party in the upcoming Lok Sabha Chunav.


Web Title: Election dates for Lok Sabha elections 2019 four states to be announced at 5 pm today