अल नीनो ने रोके मानसून के कदम असर कम हुआ तो मिलेगी राहत
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 14, 2019 07:45 AM2019-07-14T07:45:24+5:302019-07-14T07:45:24+5:30
मौसम विशेषज्ञों ने इस वर्ष बेहतर मानसून का दावा किया था. दुर्भाग्य से मुंबई, पुणे, नासिक और कोकण के कुछ इलाकों को छोड़कर विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र का बड़ा इलाका बारिश के लिए तरस रहा है. मानसून कमजोर होने के कारण विदर्भ में तो किसान अब तक बोआई तक नहीं कर सके हैं.
देश के महाराष्ट्र सहित अनेक राज्यों में मानसून उम्मीद से कम होने की वजह अलनीनो का असर हो सकता है. एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. अल नीनो का असर कम होने पर बारिश आने की उम्मीद तो है, लेकिन इसे लेकर कोई स्पष्ट दावा नहीं किया जा सकता.
उल्लेखनीय है कि मौसम विशेषज्ञों ने इस वर्ष बेहतर मानसून का दावा किया था. दुर्भाग्य से मुंबई, पुणे, नासिक और कोकण के कुछ इलाकों को छोड़कर विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र का बड़ा इलाका बारिश के लिए तरस रहा है. मानसून कमजोर होने के कारण विदर्भ में तो किसान अब तक बोआई तक नहीं कर सके हैं.
कई किसानों पर दोबारा बोआई की नौबत आन पड़ी है. देश की राजधानी भी बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रही है. आशंका जताई जा रही है कि अल नीनो का असर सितंबर तक रहेगा. मौसम से जुड़ी कुछ संस्थाएं अब अल नीनो के कमजोर पड़ने की बात कह रही हैं. भारतीय मौसम विभाग के प्रमुख डी. शिवानंद पई की राय में अभी से यह नहीं कहा जा सकता कि अल नीनो का असर पूरी तरह से खत्म हो गया है.
ताजा रिपोर्ट में इस बात को लेकर भी कोई निश्चित अनुमान नहीं है कि क्या अल नीनो कमजोर पड़ने पर मानसून के शेष वक्त में सभी इलाकों में अच्छी बारिश होगी. क्या है अल नीनो? उष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आए बदलाव के लिए उत्तरदायी समुद्री घटनाक्रम को अल नीनो कहा जाता है. इसकी वजह से हवा के प्रवाह में बदलाव का असर भारत के मानसून पर पड़ता है.