उत्तर प्रदेश में कोविड प्रोटोकॉल के तहत मनाया ईद-उल-अजहा का पर्व
By भाषा | Published: July 21, 2021 02:35 PM2021-07-21T14:35:23+5:302021-07-21T14:35:23+5:30
लखनऊ 21 जुलाई उत्तर प्रदेश की मस्जिदों में ईद-उल-अजहा का त्योहार बुधवार को कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार सीमित संख्या में नमाज अदा कर मनाया गया। विभिन्न जिलों से मिली खबरों के मुताबिक कोविड महामारी के कारण ज्यादातर लोगों ने अपने घरों में ही त्योहार मनाया।
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कोविड-19 के प्रोटोकॉल और सरकार के दिशा-निर्देशों पर अमल करते हुए इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के नेतृत्व में लखनऊ की ऐतिहासिक ईदगाह पर 50 लोगों ने मास्क लगाकर नमाज अदा की और कोरोना महामारी के खात्मे और देश के विकास की दुआ मांगी। सामान्य तौर पर ईदगाह में धार्मिक सभाओं में ऐसे मौकों पर हजारों की भीड़ देखी जाती है। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड प्रोटोकॉल के तहत त्योहार मनाने के लिए एक परामर्श जारी किया था। सरकार ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि कोविड के मद्देनजर बकरीद से संबंधित किसी भी आयोजन के लिए एक निश्चित समय में 50 से अधिक लोग किसी भी स्थान पर एकत्रित न हों और अपने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा था कि किसी गाय, ऊंट या अन्य प्रतिबंधित जानवर की कुर्बानी न दी जाए।
बयान के अनुसार इस मौके पर फरंगी महली ने कहा, ''मुसलमान कभी भी दूसरे धार्मिक त्योहारों के खिलाफ कोई भी बात नहीं कहते। इसलिए हम लोगों की भी ख्वाहिश है कि हमारे धार्मिक त्योहारों के खिलाफ कोई बयानबाजी न की जाए।''
उन्होंने कहा, ''धार्मिक महत्व के अलावा इस त्यौहार का संबंध बड़े पैमाने पर लोगों की आजीविका से है। कुर्बानी के जानवरों को बेचकर लगभग 20 लाख किसानों को रोजगार मिलता है और 40 करोड़ गरीबों को कई दिन का खाना मुफ्त मिलता है। इस त्यौहार पर करीब दस हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है।
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