DUSU के नतीजे बताएंगे 2019 लोकसभा चुनाव का विजेता, सटीक बैठा पिछले पांच बार का गणित!

By आदित्य द्विवेदी | Published: September 12, 2018 08:05 PM2018-09-12T20:05:42+5:302018-09-12T20:05:42+5:30

दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ में पिछले कई वर्षों से सिर्फ एनएसयूआई और एबीवीपी का ही दबदबा रहा है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की यूथ विंग सीवाईएसएस और वामपंथी आइसा गठबंधन कर संयुक्त रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

DUSU election results will indicate 2019 Lok Sabha poll winner, here is how | DUSU के नतीजे बताएंगे 2019 लोकसभा चुनाव का विजेता, सटीक बैठा पिछले पांच बार का गणित!

DUSU के नतीजे बताएंगे 2019 लोकसभा चुनाव का विजेता, सटीक बैठा पिछले पांच बार का गणित!

नई दिल्ली, 12 सितंबरः दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (डीयूएसयू) चुनाव पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न होते हैं। यही वजह है कि प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम मुहर पार्टी के उच्च पदाधिकारी लगाते हैं। डीयू में इस साल के चुनाव बेहद खास हैं क्योंकि इसबार के नतीजे बताएंगे कि 2019 चुनाव में कौन सी पार्टी जीतकर सरकार बनाएगी। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले वाले डीयू छात्रसंघ के चुनाव नतीजे इशारा होते हैं कि कौन अलगा चुनाव जीतेगा। पिछले पार बार से ये गणित बिल्कुल सटीक बैठ रहा है। जो पार्टी डूसू के चुनाव जीतती है उसी की अगले लोकसभा चुनाव में जीत होती है। छात्रसंघ में पिछले कई वर्षों से सिर्फ एनएसयूआई और एबीवीपी का ही दबदबा रहा है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की यूथ विंग सीवाईएसएस और वामपंथी आइसा गठबंधन कर संयुक्त रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

1997- दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की सभी चार सीटों पर अखिल भारती विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। उसके ठीक बाद 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस में अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता में आए।

1998- इस साल हुए चुनाव में एबीवीपी प्रेसिडेंट और जनरल सेक्रेटरी पद पर जीत दर्ज की और एनएसयूआई ने वास प्रेसिडेंट और ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर। अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी एकबार फिर सत्ता पर काबिज हुई।

2003- एनएसयूआई ने इस साल छात्रसंघ की सभी चारों सीटों पर जीत दर्ज की। 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजे तो आपको पता हैं। यूपीए ने वाजपेयी सरकार को हरा दिया और प्रधानमंत्री चुने गए मनमोहन सिंह।

2008- इस साल यद्यपि एबीवीपी ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की लेकिन उसे अन्य सभी पदों पर एनएसयूआई के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसका असर 2009 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला। 2009 में मनमोहन सरकार एकबार फिर सत्ता में वापस आई।

2013- इस साल दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने एनएसयूआई से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया और शीर्ष तीन सीटों पर जीत दर्ज की। एबीवीपी ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद पर विजय प्राप्त की। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड दर्ज करते हुए 282 सीटों पर जीत दर्ज की। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए को कुल 325 सीटों पर विजय प्राप्त हुई।

पिछले पांच चुनावों की तरह 2018 पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इन चुनावों में कौन सी पार्टी बाजी मारती है।

NSUI के उम्मीदवार

कांग्रेस की यूथ विंग एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद पर हरियाणा के बहादुरगढ़ के छात्र सन्नी छिल्लर को टिकट दिया है। वहीं उपाध्यक्ष पद पर लड़ने के लिए दिल्ली की रहने वाली लीना को मौका मिला है। एनएसयूआई ने आकाश चौधरी को सचिव पद का प्रत्याशी बनाया है। जॉइंट सेक्रेटरी पोस्ट पर हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले सौरभ यादव को मैदान में उतारा गया है।

ABVP के उम्मीदवार

बीजेपी की यूथ विंग एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए गुर्जर समुदाय से आने वाले अंकिव बसोया को टिकट दिया है। उपाध्यक्ष पद पर शक्ति सिंह को मौका दिया है। वहीं सेक्रेटरी पोस्ट के लिए सुधीर डेढ़ा को मैदान में उतारा है और जॉइंट सेक्रेटरी पद के लिए ज्योति चौधरी एबीवीपी की उम्मीदवार हैं।

CYSS और AISA के उम्मीदवार

सीवाईएसएस और आइसा की तरफ से अध्यक्ष पद पर आइसा के अभिज्ञान को मौका दिया गया है। उपाध्यक्ष पद पर भी आइसा की उम्मीदवार अंशिका सिंह चुनाव लड़ रही हैं। सचिव पद पर सीवाईएसएस के चंद्रमणि देव और जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर सन्नी तंवर चुनाव लड़ रहे हैं।

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