कोरोना संकट के दौरान खुदरा बाज़ार में दवाओं की बिक्री में सौ फ़ीसदी से ज्यादा की हो रही है मुनाफ़ाख़ोरी
By शीलेष शर्मा | Published: July 8, 2020 06:14 PM2020-07-08T18:14:25+5:302020-07-08T18:14:25+5:30
लुधियाना के बलजिंदर सिंह ने अपनी दुकान पर सभी दवाओं को उनकी वास्तविक क़ीमत पर बेचना शुरू कर दिया जिससे पूरे शहर के दवा बिक्रेताओं में हड़कंप मचा हुआ है।
नयी दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के दावों को धता बता कर देश भर में खुदरा दवा बिक्रेता जीवन रक्षक दवाओं से लेकर साधारण दवाओं पर जम कर मुनाफ़ाखोरी कर रहे हैं।
दरअसल, देश के सभी शहरों में खुदरा दवा विक्रेता दवा पर लिखे अधिकतम मूल्य पर ही दवा बेचते हैं और 100 फ़ीसदी से अधिक का मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
यह सब तब हो रहा है जब स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत ड्रग कंट्रोलर द्वारा दवाओं का मूल्य निर्धारण किया जाता है बावजूद इसके दवाओं की मुनाफाखोरी पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है।
दवाओं की मुनाफाखोरी का भंडा फोड़-
लुधियाना के बलजिंदर सिंह ने दवाओं की मुनाफाखोरी का भंडा फोड़ किया, उन्होंने अपनी दुकान पर सभी दवाओं को उनकी वास्तविक क़ीमत पर बेचना शुरू कर दिया जिससे पूरे शहर के दवा बिक्रेताओं में हड़कंप मचा हुआ है।
लुधियाना के बलजिंदर इसे नानक सेवा बताते हैं ,उनका दावा है जिस दवा का अधिकतम मूल्य 120 रुपये अंकित है उसकी वास्तविक क़ीमत महज़ 10 रुपये है। बलजिंदर की दुकान पर सस्ती दवा मिलने से हर रोज़ लंबी लंबी कतार लग रही है साथ ही उनको फ़ोन पर धमकियां भी मिल रहीं हैं कि उन्होंने बाज़ार ख़राब कर दिया है।
लुधियाना ही नहीं राजधानी दिल्ली के दवा थोक बाज़ार भगीरथ प्लेस में खुदरा दवाएँ अधिकतम मूल्य पर 30 फ़ीसदी छूट के साथ आसानी से मिल रहीं हैं ,अगर आप थोक में दवाएँ खरीदते हैं तो यह छूट 70 फ़ीसदी तक मिल जाती है।
आरमोताज़ एक एम जी का 10 गोलियों की कीमत दो दुकानों में अलग-अलग-
सिप्ला कम्पनी की कैंसर की दवा आरमोताज़ एक एम जी का 10 गोलियों का अधिकतम मूल्य पैकेट पर 598. 95 रुपये लिखा है लेकिन भगीरथ प्लेस में यही दवा मात्र 250 रुपये में आसानी से मिल रही है। अकेली आरमोताज़ ही नहीं इस बाज़ार से कोई दवा लो हर दवा पर 30 से 50 फ़ीसदी की छूट आसानी से मिल जाती है।
अपोलो फ़ार्मेसी भी दवाओं की खरीदी पर छूट देती है लेकिन केवल 5 फ़ीसदी। नर्सिंग होम ,हॉस्पिटलों में दवा की जो दुकानें खोली गयी हैं वह मुनाफ़े की बड़ी रक़म हॉस्पिटल को दे रहे हैं लेकिन बाज़ार में बैठे खुदरा दवा बिक्रेता पूरी मुनाफ़े की रक़म अपनी जेब के हवाले कर रहे हैं।