12वीं क्लास की छात्रा ने अपने बचाए हुए पैसों से तीन श्रमिकों को फ्लाइट से भेजा झारखंड, हो रही तारीफ
By प्रिया कुमारी | Published: June 1, 2020 11:54 AM2020-06-01T11:54:43+5:302020-06-01T11:54:43+5:30
नोएडा में रहने वाली 12वीं की छात्रा निहारिका द्विवेदी ने अपने जमा पैसो से तीन श्रमिकों को फ्लाइट से झारखंड भेजा। इस बात के लिए निहारिका की तारीफ की जा रही है।
कोरोना वायरस लाकडाउन में प्रवासियों को घर भेजने के लिए नोएडा में रहने वाली 12वीं की छात्रा निहारिका द्विवेदी ने अपने जमा पैसो से तीन प्रवासियों को फ्लाइट से झारखंड भेजा। निहारिका कहती हैं, 'सोसाइटी को उन्होंने बहुत कुछ दिया है अब मेरी जिम्मेदारी है इस मुश्किल घड़ी में उसे लौटाएं।' 12 क्लास में पढ़ने वाली निहारिका की इस सोच और नेक काम की काफी तारीफ हो रही है। निहारिका के कारण उन तीन श्रमिकों को फ्लाइट से घर तो गए ही साथ ही पहली बार उन्हें फ्लाइट में बैठने का मौका मिला।
इससे पहले भी नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुरु के पूर्व छात्रों ने भी चंदा कर 180 मजदूरों को फ्लाइट से रांची भेजा था। छात्रों को जब पता चला कि कई मजदूर मुंबई आईआईटी के पास फंसे हैं और उनके पास जाने के पैसे नहीं हैं तो उनलोगों चंदा करके मदद करने की योजना बनाई हालांकि इस नेक काम में एक एनजीओ ने भी मदद की थी। इसी तरह से 180 मजदूर फ्लाइट से घर पहुंचे। छात्रों ने इस मदद के लिए अपने-अपने नाम उजागर नहीं किए. उनका कहना था कि यह मदद उन्होंने नाम कमाने के लिए नहीं की है।
Noida: A 12-year-old girl, Niharika Dwivedi, gives away Rs 48,000 from her savings to send three migrant workers to Jharkhand via air. She says, "Society has given us so much & it is our responsibility to pay back to it in this crisis". (31.5.2020) pic.twitter.com/LOPbpI7IYF
— ANI UP (@ANINewsUP) May 31, 2020
बता दें कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर अपने घर से दूर बिना किसी काम के दूसरे राज्यों में फंसे हैं। सरकार द्वारा चलाई गई बसे और ट्रेन के बावजूद मजदूरों पैदल ही घर को निकल चुके हैं। इस परिस्थिति में आम इंसान एक दूसरे की मदद करने में जुटा है। ताकि मजदूर अपने घर पहुंच जाएं। हालांकि लॉकडाउन के पांचवें चरण में काफी रियायते दी गई हैं, परिवहन सेवा खोल दी गई है। वहीं बात करें कोरोना की स्थिति की, तो लॉकडाउन में ढील के बाद कोरोना के मामले काफी बढ़े हैं।