दुर्गाअष्टमी की देशभर में धूम, जानिए क्या है देवी के इस खास दिन का महत्व
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: October 17, 2018 10:10 AM2018-10-17T10:10:29+5:302018-10-17T10:33:00+5:30
दुर्गाअष्टमी Durga Ashtami (Durga Puja Pandal Celebration):देशभऱ में आज दुर्गाअष्मी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। पश्चिम बंगाल के गांगुली बगन में भक्तों ने मां गौरी की पूजा की है।
देशभऱ में आज दुर्गाअष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों में माता के आठवें स्वरूप महागौरी के दर्शनों की लंबी लाइन लगी है। अलग अलग जगहों पर विभिन्न रूपों में मां की भक्त पूजा कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के गांगुली बगन में भक्तों ने मां गौरी की पूजा की है। बड़ी संख्या में यहां भक्त मां की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे थे।
#WestBengal: People offer prayers on #DurgaAshtami in south Kolkata's Ganguly Bagan pic.twitter.com/JAYqvYpwoY
— ANI (@ANI) October 17, 2018
गोहाटी में भी इस खास दिन की धूम देखने को मिल रही है। यहां भक्तों ने कामख्या मंदिर में माता के दर्शन किए और उनसे प्रार्थना की है।
Guwahati: Devotees offer prayers at Kamakhya Temple on #DurgaAshtami. #Navaratripic.twitter.com/jkM5d0LXhz
— ANI (@ANI) October 17, 2018
Maharashtra: Visuals from Mumbai’s Mumba Devi Temple on #DurgaAshtami. #Navaratripic.twitter.com/YWL541dFO3
— ANI (@ANI) October 17, 2018
देश की राजधानी दिल्ली में भी मां के आठवें रूप की भक्त बढ़-चढ़कर पूजा कर रहे हैं। दिल्ली के प्रसिद्ध झंडेवालान मंदिर में दुर्गा अष्टमी पर पूजा और अर्चना की गई है।
Delhi: 'Aarti' being performed at Jhandewalan Temple on Ashtami. #Navaratripic.twitter.com/f69EOeqlYp
— ANI (@ANI) October 16, 2018
8 साल की उम्र में हो गया था पिछले जन्म का आभास
पौराणिक कथा और शिवपुराण के अनुसार, महागौरी को 8 साल की उम्र में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं को आभास हो गया था। महागौरी को ये पता चल गया था कि भगवान से उनका रिश्ता क्या है और इसलिए उन्होंने 8 साल की उम्र से ही भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी थी। यही कारण है कि महाअष्टमी के दिन मां महागौरी की विशेष पूजा और दुर्गासपत्शती के मध्यम चरित्र का पाठ विशेष फलदायी होता है।
कैसा है मां का स्वरूप
महागौरी के एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है और दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू। वहीं तीसरा हाथ वरमुद्रा में है तो चौथा हाथ गृहस्थ्य जीवन को दर्शाता है। मान्यता है कि महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। बैल पर सवार मां के कपड़े श्वेत और मुख पर हंसी विराजमान है।
ये हैं मां गौरी की पूजा विधि
मां को शक्ति के लिए पूजा जाता है। इनके पूजन में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। साथ ही इस दिन बहुत से लोग कन्यापूजन भी करते हैं।