'ला नीना' के कारण कश्मीर में इस बार कम बर्फबारी की आशंका से परेशान हुए कश्मीरी

By सुरेश एस डुग्गर | Published: December 7, 2022 03:09 PM2022-12-07T15:09:34+5:302022-12-07T15:14:09+5:30

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के नवीनतम तापमान दृष्टिकोण के अनुसार, सर्दियों का मौसम (दिसंबर से फरवरी) उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व भारत के लिए सामान्य से अधिक गर्म रहने वाला है।

Due to La Nina Kashmiris worried due to the possibility of less snowfall this time | 'ला नीना' के कारण कश्मीर में इस बार कम बर्फबारी की आशंका से परेशान हुए कश्मीरी

'ला नीना' के कारण कश्मीर में इस बार कम बर्फबारी की आशंका से परेशान हुए कश्मीरी

Highlightsदक्षिण भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक ठंड रहने वाली है।सर्दियों के तापमान और वर्षा को प्रभावित करता है। ये पैर्टन वर्ष 2020 से प्रचलित हैं और फरवरी 2023 तक जारी रहने की उम्मीद है।

जम्मू: सर्द मौसम की बाट जोह रहे कश्मीरियों के लिए यह बुरी खबर हो सकती है कि इस बार कश्मीर के मौसम पर 'ला नीना' का प्रभाव होगा। इस कारण यहां सर्दियों में भी तापमान सामान्य से ऊपर होगा जिसका दुष्प्रभाव बर्फबारी पर भी हो सकता है और अगर ऐसा हुआ तो बर्फ पर टिकी पर्यटन उद्योग की आस टूट जाएगी। मौसम विभाग के अनुसार, जम्मू कश्मीर में इस साल शुष्क और गर्म सर्दी देखी जा सकती है। 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के नवीनतम तापमान दृष्टिकोण के अनुसार, सर्दियों का मौसम (दिसंबर से फरवरी) उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व भारत के लिए सामान्य से अधिक गर्म रहने वाला है। हालांकि, दक्षिण भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक ठंड रहने वाली है। मौसम विभाग ने कश्मीरियों को चिंतित करते हुआ कहा है कि 'ला नीना' का सबसे अधिक प्रभाव केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर पर होगा जहां गर्म रातों की संभावना 55-75 प्रतिशत है अर्थात रातें सामान्य सर्दी के मौसम से 55 से 75 परसेंट अधिक गर्म होंगी।

जम्मू कश्मीर के मौसम विभाग के अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि पिछली दो सर्दियों में भी जम्मू कश्मीर में लगभग सामान्य से कम बारिश हुई है। और इसे 'ला नीना' की परिस्थितियों से जोड़ा जा सकता है। जानकारी के लिए ला नीना एक जटिल मौसम पैटर्न है जो वैश्विक जलवायु को प्रभावित करता है और सामान्य मौसम पैटर्न को बाधित करता है, जिससे कुछ स्थानों पर तीव्र तूफान और दूसरों में सूखा पड़ सकता है। 

सर्दियों के तापमान और वर्षा को प्रभावित करता है। ये पैर्टन वर्ष 2020 से प्रचलित हैं और फरवरी 2023 तक जारी रहने की उम्मीद है। यह इंगित करता है कि इस सर्दी में भी स्थितियां अलग नहीं होंगी, मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना था। हालांकि अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि 21-22 दिसम्बर से आरंभ होने वाले सबसे भयानक सर्दी के मौसम चिल्ले कलां में ठंड की स्थिति क्या होगी पर उनका कहना था कि औसत पैमाने पर, जम्मू कश्मीर में सर्दियों के मौसम (दिसंबर से फरवरी) के दौरान सामान्य से कम बारिश होगी, जब ला नीना की स्थिति होती है।

उन्होंने कहा कि हालांकि इस बात की संभावना है कि अगले दो महीनों में से एक, जनवरी या फरवरी में सामान्य या अधिक बारिश हो सकती है। अधिकारियों के अनुसर, दिसंबर के लिए स्थितियां खराब दिख रही हैं क्योंकि वर्तमान में कोई महत्वपूर्ण पश्चिमी विक्षोभ दृष्टिगोचर नहीं है। सिर्फ 9 से 10 दिसंबर के आसपास कुछ स्थानों पर बारिश को छोड़कर, ज्यादातर शुष्क मौसम 20 दिसंबर तक जारी रह सकता है। 

उनका कहना था कि अगर चिल्ले कलां के शुरुआती दिनों में एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ हमें देखने को मिलता है, तो भी यह पूरे महीने के नुकसान की भरपाई करने में सक्षम नहीं होगा। उनकी चिंता यह भी थी कि शायद इस कारण कश्मीर में इस बार कम बारिशके साथ साथ कम बर्फबारी होगाी और अगर ऐसा हुआ तो  यह उस पर्यटन उद्योग के लिए एक धक्के के समान होगा जिसका पूरा दारोमदार बर्फ पर ही टिका है।

Web Title: Due to La Nina Kashmiris worried due to the possibility of less snowfall this time

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