Coronavirus: CISF ने रद्द किए तबादले, 38 करोड़ रुपये से अधिक की बचत, 13 हजार कर्मी का स्थानांतरण होना था
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 21, 2020 08:21 PM2020-05-21T20:21:34+5:302020-05-21T20:22:04+5:30
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने सरकारी धन के विवेकपूर्ण इस्तेमाल के उपायों के मद्देनजर महंगाई भत्ते में किसी भी बढ़ोतरी पर रोक लगायी थी, तो जहां भी संभव हो धनराशि बचाना जरूरी था।
नयी दिल्ली: केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 1.62 लाख कर्मियों वाले बल में अगले वर्ष मार्च तक सभी स्थानांतरण रद्द कर दिये हैं। इसके परिणामस्वरूप 38 करोड़ रुपये से अधिक के भत्ते की बचत होगी। यह जानकारी अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को दी।
पीटीआई-भाषा ने पहले बुधवार को खबर दी थी कि सीआईएसएफ प्रमुख राजेश रंजन के निर्देश पर जारी आदेश से 12 हजार से 13 हजार कर्मी प्रभावित होंगे और इसका उद्देश्य उनकी ‘‘मुश्किलों’’ को ‘‘कम करना’’ और ऐसे समय में स्थानांतरण भत्ते के तहत खर्च होने वाली राशि को बचाना है जब कोरोना वायरस महामारी ने अर्थव्यवस्था को बेहद प्रभावित किया है।
सीआईएसएफ के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘‘अनुमान से पता चलता है कि अगले वर्ष मार्च तक कोई स्थानांतरण नहीं करने के आदेश से 38 करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी राशि की बचत होगी।’’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 12 हजार से 13 हजार कर्मी का इस वर्ष स्थानांतरण किया जाना था और वे स्थानांतरण भत्ते मद के तहत विविध रकम प्राप्त करने के लिए पात्र थे और सरकारी खजाने से निकलने वाली इस राशि की अब बचत होगी।
स्थानांतरण रद्द करने वाले आदेश में कहा गया था, ‘‘सीआईएसएफ महानिदेशक ने निर्देश कर्मियों की मुश्किलों को कम करने और स्थानांतरण भत्ते के तहत वित्तीय प्रतिबद्धता नियंत्रित करने के लिए जारी किये हैं।’’ इसमें कहा गया है कि इस वर्ष होने वाले सभी स्थानांतरण को अगले वर्ष 31 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है। बल ने इससे पहले देशभर में लागू लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए अपने कर्मियों के लिए इस साल मार्च तक जारी किए गए सभी स्थानांतरण आदेशों को स्थगित कर दिया था। अंतिम निर्णय बुधवार को अधिसूचित किया गया था।
सीआईएसएफ महानिदेशक राजेश रंजन ने इस कदम की पुष्टि की थी और कहा था कि यह निर्णय कोरोना वायरस महामारी के समय सभी प्रशासनिक, संचालन और कर्मियों के कल्याण जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। आदेश में कहा गया है कि नवीनतम निर्देश का एकमात्र अपवाद "वास्तविक व्यक्तिगत शिकायत, चिकित्सा, परिचालन और प्रशासनिक आवश्यकता के साथ स्पष्ट सिफारिश और विशिष्ट औचित्य" के आधार पर पर्यवेक्षी अधिकारियों द्वारा किया गया स्थानांतरण होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने सरकारी धन के विवेकपूर्ण इस्तेमाल के उपायों के मद्देनजर महंगाई भत्ते में किसी भी बढ़ोतरी पर रोक लगायी थी, तो जहां भी संभव हो धनराशि बचाना जरूरी था।