DU ने विश्वविद्यालय के 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस' मुद्दे पर चर्चा टालने का किया फैसला
By भाषा | Published: October 27, 2019 06:04 AM2019-10-27T06:04:00+5:302019-10-27T06:04:00+5:30
कार्यकारी परिषद के सदस्य वी एस नेगी ने कहा कि इसके दर्जे को लेकर वित्तीय प्रारूप के साथ ही ढांचे के आधार पर भी आम राय नहीं है। अध्यापक डीयू में ऐसा कोई भी पाठ्यक्रम शुरू करने के पक्ष में नहीं है जो कि विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद के दायरे के बाहर हो।’’
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने अपनी कार्यकारी परिषद के सदस्यों की आपत्ति के बाद शैक्षाणिक संस्थान के लिए 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस' के मुद्दे पर चर्चा टालने का फैसला किया है। कार्यकारी परिषद के सदस्य वी एस नेगी ने पूछा कि दर्जा के लिए आवेदन के पहले डीयू प्रशासन ने हितधारकों और अकादमिक परिषद तथा कार्यकारी परिषद जैसी इकाइयों से चर्चा क्यों नहीं की।
उन्होंने कहा, ‘‘ इसके दर्जे को लेकर वित्तीय प्रारूप के साथ ही ढांचे के आधार पर भी आम राय नहीं है। अध्यापक डीयू में ऐसा कोई भी पाठ्यक्रम शुरू करने के पक्ष में नहीं है जो कि विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद के दायरे के बाहर हो।’’
सदस्य राजेश झा और जे एल गुप्ता ने मांग की है कि समुचित चर्चा के लिए दस्तावेज सामने रखे जाने चाहिए । वे ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ के टैग का भी विरोध करते हुए कह रहे हैं कि इससे विश्वविद्यालय के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा और यह स्थायी अध्यापकों के बजाए अतिथि शिक्षकों को लाने की डीयू की तरकीब है।
परिषद के सदस्यों के विरोध के बाद चर्चा टाल दी गयी और कार्यकारी परिषद के सामने मामले से जुड़े दस्तावेज रखे जाने के बाद इस पर चर्चा होगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सितंबर में दिल्ली विश्वविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, आईआईटी मद्रास और आईआईटी खड़गपुर को ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ का दर्जा दिया था।