इजरायली कंपनी का दावा- उनकी मिसाइल भारत से बेहतर है, DRDO ने कंपनी के दावा को किया खारिज
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 30, 2019 09:32 AM2019-11-30T09:32:36+5:302019-11-30T09:33:42+5:30
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने शुक्रवार को इजरायल की रक्षा क्षेत्र से जुड़ी संस्थान राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा जारी एक बयान को खारिज किया है जिसमें दावा किया गया है कि स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) डीआरडीओ द्वारा बनाए जा रहे हथियार से बेहतर थी।
गुरुवार को इजरायल की एक पीआर कंपनी ने स्पाइक लॉन्ग-रेंज एंटी-टैंक मिसाइलों के बारे में बयान जारी की है। सेना द्वारा मध्य प्रदेश के इन्फैंट्री स्कूल में सफल परीक्षण की घोषणा के बाद पीआर कंपनी ने बयान जारी कर बताया है कि इजरायली मिसाइल भारत के मिसाइल से बेहतर है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने शुक्रवार को इजरायल की रक्षा क्षेत्र से जुड़ी संस्थान राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा जारी एक बयान को खारिज किया है जिसमें दावा किया गया है कि स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) डीआरडीओ द्वारा बनाए जा रहे हथियार से बेहतर थी।
दरअसल, डीआरडीओ ने इजरायली कंपनी, राफिल के इस दावे को ये कहके सिरे से खारिज कर दिया है कि डीआरडीओ जो एटीजीएम मिसाइल तैयार कर रहा है वो थर्ड जेनरेशन है जबकि राफिल ने जो स्पाइक मिसाइल सेना को दी है वो फॉर्थ जेनरेशन है।
गौरतलब है कि डीआरडीओ ने विकास पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, “इन्फैंट्री स्कूल में स्पाइक मिसाइल परीक्षण से संबंधित एक समाचार एक प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर स्पष्ट रूप से गलत तथ्यों को प्रसारित कर रहा है।" इस संस्थान ने दावा किया कि DRDO ATGM विकास की प्रकिया में एक उन्नत अत्याधुनिक मिसाइल है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि पीआर कंपनी ने गुरुवार को मध्य प्रदेश में इन्फैंट्री स्कूल में दो नए अधिग्रहित स्पाइक लॉन्ग-रेंज एंटी-टैंक मिसाइलों की सेना द्वारा सफल गोलीबारी की घोषणा करने के लिए बयान जारी किया था।
आपको बता दें कि दो साल पहले, भारत $500 मिलियन के सौदे में इज़राइली फर्म से 321 लांचर और 8,356 अग्नि-विस्मृत मिसाइलों की खरीद के लिए बातचीत कर रहा था। दोनों देशों के बीच बातचीत अंतिम चरणों में था, लेकिन बाद में देश ने स्वदेशी विनिर्माण के पक्ष में योजना बनाना शुरू कर दिया।
सेना के दो अधिकारियों के मुताबिक, सेना के विभिन्न इकाइयों को 'मेक इन इंडिया’की पहल को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए DRDO को सरकार ने ATGMs विकसित करने के लिए कहा था।
सरकारी अधिकारी के बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना तीन दशकों से पुरानी पीढ़ी की दूसरी मिसाइलों का उपयोग कर रही थी।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारतीय सेना को 3 जी मिसाइलों के लिए अपनी योजनाओं पर फिर से विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। डीआरडीओ एटीजीएम कार्यक्रम, और 3 जी जनरल मिसाइल विकसित करने के लिए भारतीय उद्योग के निमंत्रण पर पुनर्विचार की आवश्यकता होगी।
आपको बता दें कि राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम ने स्पाइक मिसाइल बनाने के लिए भारत में कल्याणी ग्रुप के साथ एक संयुक्त उद्यम स्थापित किया है। निर्माण शुरू होने के बाद यह कंपनी मिसाइलों के निर्यात करने का काम भी देखेगी।
उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल ने कहा कि राफेल के दावों में कुछ भी गलत नहीं था क्योंकि स्पाइक एक अत्यधिक युद्धाभ्यास हथियार है। उन्होंने कहा कि DRDO अपने विचार कुछ भी रखे लेकिन स्पाइक और स्वदेशी ATGM क्षमता के मामले में एक दूसरे से मेल नहीं खाते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए स्वदेशी हथियार व मिसाइल बनाने की जरूरत है।