Dragon Fruit: बदल गया इस फल का नाम, अब 'कमलम' नाम से जाना जाएगा, जानिए इसके बारे में
By विनीत कुमार | Published: January 20, 2021 01:49 PM2021-01-20T13:49:28+5:302021-01-20T14:11:08+5:30
ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) का नाम गुजरात सरकार ने बदलने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अनुसार अब इसे राज्य में 'कमलम' के नाम से जाना जाएगा। गुजरात सरकार ने पेटेंट के लिए आवेदन भी किया है।
पूरी दुनिया में ‘ड्रैगन फ्रूट’ (Dragon Fruit) के नाम से मशहूर फल का नाम गुजरात सरकार ने बदल दिया है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस संबंध में बुधवार को घोषणा करते हुए कहा कि अब ये फल 'कमलम' के नाम से जाना जाएगा।
रूपाणी ने ये भी बताया कि राज्य सरकार ने ‘ड्रैगन फ्रूट’ का नाम संस्कृत शब्द ‘कमलम’ करने के पेटेंट के लिए आवेदन भी किया है। रूपाणी ने कहा कि इस फल के नाम में ड्रैगन शब्द ठीक नहीं है। इससे लगता है कि ये चीन का फल है। इसलिए इसका नाम बदलने का फैसला लिया गया है।
ड्रैगन फ्रूट या 'कमलम' क्या है, कहां पैदा होता है?
ड्रैगन फ्रूट की गुजरात में कच्छ, नवसारी सहित सौराष्ट्र के विभिन्न भागों में इसकी पैदावार होती है। गुजरात के सीएम रूपाणी के अनुसार राज्य के बंजर क्षेत्रों में इस फल की पैदावार होती है और यह फल शरीर में खून बढ़ाने में सहायक होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय बाजार में उपलब्ध यह सबसे महंगा फल है। कैक्टस प्रजाति के पौधों में यह फल उगता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर करने के लिए लोग इसे खाते हैं।
भारत के अलावा ये अमेरिका, कैरीबियन देशों, ऑस्ट्रेलिया, चीन, वियतनाम जैसे देशों में भी पैदा किया जाता है। इस फल का नाम ड्रैगन फ्रूट 1963 में दिया गया था क्योंकि इसकी बाहरी परतों पर ड्रैगन की खाल की तरह कांटे निकले होते हैं।
अमेरिका से आया ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट में मुख्य तौर पर ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स, फाइबर्स और विटमिन सी पाया जाता है। इसके ऑरिजिन के बारे में कहा जाता है कि ये मेक्सिको, ग्वाटेमाला, अल-सल्वाडोर और दक्षिणी अमेरिका से आया। इसे पिटाया (Pitaya) या पिटहाया (Pithaya) भी कहते हैं। ये शब्द मेक्सिको से आए। अमेरिका में कुछ जगहों पर इसे स्ट्रॉबेरी पीयर भी कहा जाता है।
'कमल की तरह दिखता है इसलिए कमलम नाम'
फल का नाम ‘कमलम’ क्यों रखा गया है, यह पूछे जाने पर गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘किसानों का कहना है कि यह कमल के फूल की तरह दिखता है और इसी वजह से हमने इसे कमलम नाम देने का फैसला किया है।’
वैसे बता दें कि ‘कमल’ बीजेपी का भी चुनाव चिह्न है और पार्टी की गुजरात इकाई के मुख्यालय का नाम भी ‘श्री कमलम’ है। हालांकि रूपाणी ने कहा कि फल का नाम बदलने के पीछे कोई राजनीतिक सोच नहीं है।
(भाषा इनपुट)