विदर्भ से हाथ पीछे खींच रहा दूरदर्शन, कार्यक्रम बनने पर भी संकट के बादल, नागपुर केंद्र के पीजीएफ में स्टाफ की कमी

By वसीम क़ुरैशी | Published: October 12, 2021 08:31 PM2021-10-12T20:31:21+5:302021-10-12T20:32:14+5:30

नागपुर दूरदर्शन केंद्र में स्टेशन से सैटेलाइट के लिए अपलिंकिंग और पीजीएफ यानी प्रोग्राम जनरेशन फैसिलिटी की सेवा ही शुरू है.

Doordarshan pulling Vidarbha even program crisis lack of staff in Nagpur center's PGF | विदर्भ से हाथ पीछे खींच रहा दूरदर्शन, कार्यक्रम बनने पर भी संकट के बादल, नागपुर केंद्र के पीजीएफ में स्टाफ की कमी

प्रोडक्शन असिस्टेंट और एडिटर भी एक ही है और कैमरामेन हैं ही नहीं.

Highlights1982 में दूरदर्शन केंद्र शुरू हुआ था. कार्यक्रम बनते और प्रसारित होते रहे लेकिन अब प्रसारण पर ब्रेक लग गया है.विदर्भ के कार्यक्रमों के लिए मुंबई से रोजाना केवल आधे घंटे ही मिल पाते हैं.

नागपुरः दूरदर्शन केंद्र से 31 अक्तूबर तक टेरेस्टोरियल ट्रांसमिशन बंद हो जाएगा. इसके साथ ही अब यहां के कर्मचारियों के बीच यहां कार्यक्रम निर्माण के बंद होने को लेकर चिंताए बढ़ रही हैं.

 

 

वर्तमान में नागपुर दूरदर्शन केंद्र में स्टेशन से सैटेलाइट के लिए अपलिंकिंग और पीजीएफ यानी प्रोग्राम जनरेशन फैसिलिटी की सेवा ही शुरू है. 1982 में दूरदर्शन केंद्र शुरू हुआ था. वर्षों तक यहां से कार्यक्रम बनते और प्रसारित होते रहे लेकिन अब प्रसारण पर ब्रेक लग गया है.

कर्मचारियों के बीच कार्यक्रम निर्माण के बंद होने की आशंका के पीछे यह कारण है कि यहां प्रोग्राम ऑफिसर एक ही रह गया है, प्रोडक्शन असिस्टेंट और एडिटर भी एक ही है और कैमरामेन हैं ही नहीं. कोई भर्ती भी नहीं हो रही है. इतने कम स्टाफ में कार्यक्रम बनाना मुश्किल है. इसके अलावा विदर्भ के कार्यक्रमों के लिए मुंबई से रोजाना केवल आधे घंटे ही मिल पाते हैं.

सीधे तौर पर विदर्भ की उपेक्षा

विदर्भ के कलाकारों के लिए नागपुर दूरदर्शन केंद्र महत्वपूर्ण है. पहले यहां 2-3 घंटे के कार्यक्रम बना करते थे लेकिन स्टाफ की लगातार होती कमी के बाद अब करीब विदर्भ की कला, साहित्य, संस्कृति, रंगकर्मियों आदि के लिए आधा घंटे का ही समय मिल पा रहा है. आदिवासी क्षेत्र से जुड़ी कला के प्रदर्शन और प्रोत्साहन भी प्रभावित होगा. आश्चर्य की बात तो ये है कि व्यवस्था के बावजूद इसे कम किया जा रहा है. जी.एस. ख्वाजा, कलाक्षेत्र के जानकार

समय के हिसाब से चलें

दूरदर्शन सरकारी सेवा है, इसे अपग्रेड किया जाना चाहिए. ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि लोकल टैलेंट को बढ़ावा मिले. आज भी कुछ कार्यक्रमों में दूरदर्शन की टीआरपी अच्छी है. नरेंद्र शिंदे, सीरियल निर्माता

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