जम्मू कश्मीर में डॉक्टर और अर्धचिकित्साकर्मी साहस, प्रतिबद्धता एवं संकल्प की कहानी रच रहे हैं

By भाषा | Published: June 6, 2021 06:25 PM2021-06-06T18:25:36+5:302021-06-06T18:25:36+5:30

Doctors and paramedics in Jammu and Kashmir are creating a story of courage, commitment and determination | जम्मू कश्मीर में डॉक्टर और अर्धचिकित्साकर्मी साहस, प्रतिबद्धता एवं संकल्प की कहानी रच रहे हैं

जम्मू कश्मीर में डॉक्टर और अर्धचिकित्साकर्मी साहस, प्रतिबद्धता एवं संकल्प की कहानी रच रहे हैं

श्रीनगर, छह जून जम्मू कश्मीर में सैकड़ों डॉक्टर और अर्ध चिकित्साकर्मी पिछले साल से ही कोविड-19 के खिलाफ जंग में मुश्किलों से टक्कर ले रहे हैं और अब जब इस जानलेवा बीमारी के विरूद्ध टीकाकरण चल रहा है तब भी वे चुनौतियों से लोहा ले रहे हैं।

अग्रिम मोर्चा के कर्मियों के साहस, प्रतिबद्धता एवं संकल्प की कई कहानियां हैं। उनमें तबस्सुम आरा और शबीना कौसर की भी कुछ ऐसी ही कहानी है।

दोनों ने पिछले साल इस महामारी के फैलने से लेकर अब तक कई काम किये हैं और शानदार तरीके से जिम्मेदारियां निभायी हैं।

आरा (29) दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के जिला अस्पताल में तैनात हैं जबकि 31 वर्षीय कौसर अनंतनाग में लोगों की सेवा करती हैं। उन दोनों ने अब तक 15000 लोगों को टीका लगाया है।

अधिकारियों ने बताया कोविड-19 के खिलाफ आरा का जज्बा साहसिक है और उन्होंने बिना डरे और पूरे समर्पण भाव से विभिन्न भूमिकाओं में लोगों खासकर कोविड-19 के मरीजों एवं उनके परिवारों की सेवा की है।

उन्होंने कहा कि शुरू में जब लोगों एवं स्वास्थ्यकर्मियों के बीच टीके को लेकर हिचकिचाहट थी तब वह सबसे पहले टीका लगवाने आगे आयी। पिछले दस सालों से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में काम कर रही आरा ने अब तक करीब 7000 लोगों को टीका लगाया है जबकि उनका परिवार भी इस वायरस से संक्रमित होने से नहीं बचा।

आरा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ मुझे संक्रमण होने की कोई चिंता नहीं है। मैं किसी भी बात से डरती नहीं हूं। मैं अपने लोगों की सेवा करना चाहती हूं और ऐसा करती रहूंगी।’’

अधिकारियों ने बताया कि अपनी मां के अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के बाद भी आरा लोगों की सेवा करने के पथ से डिगी नहीं।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उनकी तारीफ करते हुए ट्वीट किया, ‘‘ लोगों की सेवा करने एवं जिंदगियां बचाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता सभी के लिए प्रेरणा है।’’

अधिकारियों के मुताबिक अन्य स्वास्थ्यकर्मी कौसर ने उचार, पृथक-वास एवं टीकाकरण जैसे विभिन्न मोर्चों पर अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभायीं और उन्होंने अबतक करीब 8000 लोगों को टीका लगाया। यह उनके, डाक्टरों एवं अन्य चिकित्साकर्मियों के लिए जोखिम से भरा था।

कौसर पहले पहलगाम के सिविल अस्पताल में तैनात थीं जहां उन्होंने छह महीने तक 20 से अधिक प्रसव प्रक्रिया में मदद की।

कौसर ने कहा, ‘‘ मेरा परिवार भयभीत और चिंतित था, इसलिए मैंने पहलगाम में रहने का इंतजाम किया और एक महीने बाद घर गयी। लेकिन मैं अपने आप को प्रेरित करती रही एवं समय के साथ मेरे परिवार ने भी शकुन महसूस किया और उसने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया। ’’

पिछले साल कौसर का अचाबल तबादला कर दिया गया और उन्हें कोरोना वायरस के मरीजों के निरीक्षण, कोविड किट के वितरण एवं पृथक वास में रह रहे मरीजों की निगरानी तथा कई मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी दी गयी।

अधिकारियों ने बताया कि इस साल जनवरी में टीकाकरण शुरू होने पर उन्हें अस्पतालों एवं क्षेत्र में टीकाकरण करने का जिम्मा दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने अब तक अर्धचिकित्साकर्मियों एवं अग्रिम मोर्चा के अन्य कर्मियों समेत करीब 8000 लोगों को टीका लगाया है।

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