'ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश के जनादेश को किया नीलाम', दिग्विजय सिंह का MP की जनता को खुला पत्र
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 24, 2020 06:26 PM2020-03-24T18:26:21+5:302020-03-24T18:26:21+5:30
दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा है कि पिछले दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ी और कांग्रेस की सरकार गिर गई. यह बेहद दुखद घटनाक्रम है, जिसने न सिर्फ़ कांग्रेस कार्यकर्ताओं बल्कि उन सभी नागरिकों की आशाओं और संघर्ष पर पानी फेर दिया, जो कांग्रेस की विचारधारा में यकीन रखते हैं.
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर जाने के बाद और शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने व विश्वास मत हासिल करने के साथ सियासत भी गर्माने लगी है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अब ज्योतिरादित्य सिंधिया पर कटाक्ष करते हुए जनता के नाम खुले एक पत्र में कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश के जनादेश को नीलाम कर दिया है.
दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा है कि पिछले दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ी और कांग्रेस की सरकार गिर गई. यह बेहद दुखद घटनाक्रम है, जिसने न सिर्फ़ कांग्रेस कार्यकर्ताओं बल्कि उन सभी नागरिकों की आशाओं और संघर्ष पर पानी फेर दिया, जो कांग्रेस की विचारधारा में यकीन रखते हैं. सिंह ने अपने पत्र लिखा है कि मुझे बेहद दुख है कि सिंधिया उस वक्त भाजपा में गए, जब भाजपा खुलकर आरएसएस के असली एजेंडा को लागू करने के लिए देश को पूरी तरह बांट रही है. कुछ लोग यह कह रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस में उचित पद और सम्मान मिलने की संभावना समाप्त हो गई थी, इसलिए वो भाजपा में चले गए. लेकिन ये गलत है. यदि वे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनना चाहते थे, तो ये पद उन्हें 2013 में ही आफर हुआ था और तब उन्होंने केंद्र में मंत्री बने रहना पसंद किया था. यही नहीं 2018 में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें उपमुख्यमंत्री पद संभालने का न्यौता भी दिया था, लेकिन उन्होंने स्वयं इसे अस्वीकार कर अपने समर्थक तुलसी सिलावट को उपमुख्यमंत्री बनाने की पेशकश कर दी थी. है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि कांग्रेस की राजनीति केवल सत्ता की राजनीति नहीं है. आज कांग्रेस की विचारधारा के सामने संघ की विचारधारा है. ये दोनों विचारधाराएं भारत के अलग अलग स्वरूप की कल्पना करती है. आज कांग्रेस की सरकार जाने का दुख उन सभी को है,जो कांग्रेस की विचारधारा में यकीन रखते हैं. ऐसे मोड़ पर सिंधिया का भाजपा में जाना यही साबित करता है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों के संघर्ष और वैचारिक प्रतिबद्धता को वो केवल अपनी निजी सत्ता के लिए इस्तेमाल करना चाहते थे. जब तक कांग्रेस में सत्ता की गारंटी थी,कांग्रेस में रहे और जब ये गारंटी कमजोर हुई तो भाजपा में चले गए.
मुद्दा सीट का नहीं, मंत्री पद का था
दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि यह कहना गलत है कि पार्टी उन्हें राज्य सभा का टिकट नहीं देना चाहती थी, इसीलिए वो भाजपा में चले गए. जहां तक मेरी जानकारी है, किसी ने इसका विरोध नहीं किया था. कांग्रेस के पास दो राज्य सभा सीट जीतने के लिए जरूरी विधायक संख्या थी. इसलिए मुद्दा सिर्फ सीट का नहीं था. मुद्दा केंद्र सरकार में मंत्री पद का था, जो सिर्फ़ नरेंद्र मोदी और अमित शाह ही दे सकते थे. मोदी शाह की इस जोड़ी ने पिछले 6 साल में इसी धनबल और प्रलोभन के आधार पर उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, बिहार और कर्नाटक में सत्ता पर कब्जा किया है. मध्यप्रदेश के जनादेश की नीलामी सिंधिया स्वयं करने निकल पड़े, तो मोदी शाह तो हाजिर थे ही, लेकिन अपने घर की नीलामी को सम्मान का सौदा नहीं कहा जाता.