Delhi Violence: दिल्ली हिंसा मामले में अदालत ने एक आरोपी को बताया नाबालिग, जेल अधीक्षक को दिया ये आदेश
By भाषा | Published: March 17, 2020 05:43 AM2020-03-17T05:43:12+5:302020-03-17T05:43:12+5:30
सुनवाई के दौरान नाबालिग की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अब्दुल गफ्फार ने आरोपी का स्कूल प्रमाण पत्र सौंपा जिसमें अपराध के समय आरोपी की उम्र 18 साल से कम है।
नयी दिल्ली: पिछले महीने उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति को दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को नाबालिग करार दिया और उसके मुकदमे को किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) को सौंप दिया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनुभव जैन ने संबंधित जेल अधीक्षक और जांच अधिकारी को नाबालिग को जेजेबी के समक्ष 17 मार्च को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
नाबालिग को 26 फरवरी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। सुनवाई के दौरान नाबालिग की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अब्दुल गफ्फार ने आरोपी का स्कूल प्रमाण पत्र सौंपा जिसमें अपराध के समय आरोपी की उम्र 18 साल से कम है।
इसके साथ ही बात दें कि दिल्ली हिंसा मामले में दाखिल एक याचिका को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। ये याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दाखिल की गई थी। इस याचिका में दिल्ली हिंसा से जुड़े वीडियो को संरक्षित करने की मांग की गई है। इसके साथ ही दिल्ली दंगो के दौरान पुलिस की निष्क्रियता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की गई है।
Delhi violence case: Delhi High Court has issued notice to Centre/ Delhi Police and Delhi Govt on a plea filed by Jamiat Ulema-e-Hind seeking preservation of video footage available of violence. The plea also seeks disciplinary action against alleged inaction of police personnel.
— ANI (@ANI) March 16, 2020
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ती सी हरिशंकर की पीठ ने अधिकारियों को सोमवार को नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई 27 मार्च के लिये निधारित कर दी। याचिका में अनुरोध किया गया कि दिल्ली पुलिस को दंगा प्रभावित इलाकों के 23 फरवरी से लेकर एक मार्च तक के सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने के निर्देश दिए जाएं। साथ ही इसमें मौके से साक्ष्य जुटाए बिना उन्हें नष्ट नहीं करने का भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और एसआईटी के गठन का अनुरोध किया गया है जिसमें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को शामिल किया जाये।